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उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की मनाई जयंती, वक्ताओं ने कहा- युवा लेखकों के लिए हैं मिसाल

लेखक मुंशी प्रेमचंद की जयंती के मौके पर नागौर में प्रगतिशील लेखक मंच के बैनल तले एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि वह युवा लेखकों के लिए मिसाल हैं.

nagore celebrates the birth anniversary of Munshi Premchand
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Published : Jul 31, 2019, 10:04 PM IST

नागौर. हिंदी और उर्दू के लेखक मुंशी प्रेमचंद की जयंती नागौर में प्रगतिशील लेखक मंच के बैनर तले बुधवार शाम को मनाई गई. राजकीय कांकरिया स्कूल के सभागार में कार्यक्रम हुआ. जिसकी अध्यक्षता राजस्थानी भाषा के साहित्यकार लक्ष्मण दान कविया ने की. मुख्य अतिथि प्रो. भवानीशंकर रांकावत और विशिष्ट अतिथि प्रो. पूर्णिमा कात्याल रहीं.

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की मनाई जयंती...वक्ताओं ने कहा वह युवा लेखकों के लिए हैं मिसाल

इस दौरान प्रो. पूर्णिमा कात्याल ने मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के माध्यम से तत्कालीन समाज में महिलाओं की स्थिति की विवेचना की. उन्होंने कहा कि प्रेमचंद ने तात्कालिक समाज का जितना सपाट चित्रण अपनी लेखनी से किया है. वह कोई दूसरा साहित्यकार नहीं कर पाया. मुख्य वक्ता प्रो. रांकावत ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपनी लेखनी और साहित्य से समाज सुधार का काम किया है.

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वे अपने पात्रों का जितना गहराई से मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते थे. वह युवा लेखकों के लिए मिसाल है. राजस्थानी भाषा के साहित्यकार लक्ष्मण दान कविया ने बताया कि प्रेमचंद ने अभावों को जिया था. इसी लिए अभावों का जितना मार्मिक चित्रण उनकी लेखनी में मिलता है.

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उतना किसी अन्य साहित्यकार की कृति में नहीं मिलता. रुद्रेश शर्मा ने कहा कि भविष्य में ऐसे आयोजनों से अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने पर ज्यादा सार्थकता होगी. मंच संचालन युवा लेखक गिरिराज व्यास ने किया. इस दौरान प्रगतिशील लेखक मंच की नागौर इकाई के महासचिव नरेंद्र पारीक आदि मौजूद थे.

नागौर. हिंदी और उर्दू के लेखक मुंशी प्रेमचंद की जयंती नागौर में प्रगतिशील लेखक मंच के बैनर तले बुधवार शाम को मनाई गई. राजकीय कांकरिया स्कूल के सभागार में कार्यक्रम हुआ. जिसकी अध्यक्षता राजस्थानी भाषा के साहित्यकार लक्ष्मण दान कविया ने की. मुख्य अतिथि प्रो. भवानीशंकर रांकावत और विशिष्ट अतिथि प्रो. पूर्णिमा कात्याल रहीं.

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की मनाई जयंती...वक्ताओं ने कहा वह युवा लेखकों के लिए हैं मिसाल

इस दौरान प्रो. पूर्णिमा कात्याल ने मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के माध्यम से तत्कालीन समाज में महिलाओं की स्थिति की विवेचना की. उन्होंने कहा कि प्रेमचंद ने तात्कालिक समाज का जितना सपाट चित्रण अपनी लेखनी से किया है. वह कोई दूसरा साहित्यकार नहीं कर पाया. मुख्य वक्ता प्रो. रांकावत ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपनी लेखनी और साहित्य से समाज सुधार का काम किया है.

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वे अपने पात्रों का जितना गहराई से मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते थे. वह युवा लेखकों के लिए मिसाल है. राजस्थानी भाषा के साहित्यकार लक्ष्मण दान कविया ने बताया कि प्रेमचंद ने अभावों को जिया था. इसी लिए अभावों का जितना मार्मिक चित्रण उनकी लेखनी में मिलता है.

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उतना किसी अन्य साहित्यकार की कृति में नहीं मिलता. रुद्रेश शर्मा ने कहा कि भविष्य में ऐसे आयोजनों से अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने पर ज्यादा सार्थकता होगी. मंच संचालन युवा लेखक गिरिराज व्यास ने किया. इस दौरान प्रगतिशील लेखक मंच की नागौर इकाई के महासचिव नरेंद्र पारीक आदि मौजूद थे.

Intro:उपन्यास सम्राट के नाम से विख्यात देश के महान लेखक मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर बुधवार को नागौर के कांकरिया स्कूल सभागार में कार्यक्रम हुआ। अतिथियों ने मुंशी प्रेमचंद के कृतित्व और व्यक्तित्व से शहरवासियों को रू-ब-रू करवाया। वक्ताओं ने कहा कि प्रेमचंद ने अपनी लेखनी से समाज सुधार का काम किया है।


Body:नागौर. हिंदी और उर्दू के लेखक मुंशी प्रेमचंद की जयंती नागौर में प्रगतिशील लेखक मंच के बैनर तले बुधवार शाम को मनाई गई। राजकीय कांकरिया स्कूल के सभागार में कार्यक्रम हुआ। जिसकी अध्यक्षता राजस्थानी भाषा के साहित्यकार लक्ष्मण दान कविया ने की। मुख्य अतिथि प्रो. भवानीशंकर रांकावत और विशिष्ट अतिथि प्रो. पूर्णिमा कात्याल रहीं।
प्रगतिशील लेखक मंच की नागौर इकाई के महासचिव नरेंद्र पारीक ने बताया कि अतिथियों ने मां सरस्वती और मुंशी प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण कर और पुष्प चढ़ाकर कार्यक्रम का आगाज किया। प्रो. पूर्णिमा कात्याल ने मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के माध्यम से तत्कालीन समाज में महिलाओं की स्थिति की विवेचना की। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद ने तात्कालिक समाज का जितना सपाट चित्रण अपनी लेखनी से किया है। वह कोई दूसरा साहित्यकार नहीं कर पाया। मुख्य वक्ता प्रो. रांकावत ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपनी लेखनी और साहित्य से समाज सुधार का काम किया है। वे अपने पात्रों का जितना गहराई से मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते थे। वह युवा लेखकों के लिए मिसाल है।


Conclusion:राजस्थानी भाषा के साहित्यकार लक्ष्मण दान कविया ने बताया कि प्रेमचंद ने अभावों को जिया था। इसी लिए अभावों का जितना मार्मिक चित्रण उनकी लेखनी में मिलता है। उतना किसी अन्य साहित्यकार की कृति में नहीं मिलता। वरिष्ठ पत्रकार रुद्रेश शर्मा ने कहा कि भविष्य में ऐसे आयोजनों से अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने पर ज्यादा सार्थकता होगी। मंच संचालन युवा लेखक गिरिराज व्यास ने किया।
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बाइट- प्रो. भवानी शंकर रांकावत, मुख्य वक्ता। मंच से बोलते हुए।
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