नागौर. हिंदी और उर्दू के लेखक मुंशी प्रेमचंद की जयंती नागौर में प्रगतिशील लेखक मंच के बैनर तले बुधवार शाम को मनाई गई. राजकीय कांकरिया स्कूल के सभागार में कार्यक्रम हुआ. जिसकी अध्यक्षता राजस्थानी भाषा के साहित्यकार लक्ष्मण दान कविया ने की. मुख्य अतिथि प्रो. भवानीशंकर रांकावत और विशिष्ट अतिथि प्रो. पूर्णिमा कात्याल रहीं.
इस दौरान प्रो. पूर्णिमा कात्याल ने मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के माध्यम से तत्कालीन समाज में महिलाओं की स्थिति की विवेचना की. उन्होंने कहा कि प्रेमचंद ने तात्कालिक समाज का जितना सपाट चित्रण अपनी लेखनी से किया है. वह कोई दूसरा साहित्यकार नहीं कर पाया. मुख्य वक्ता प्रो. रांकावत ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपनी लेखनी और साहित्य से समाज सुधार का काम किया है.
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वे अपने पात्रों का जितना गहराई से मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते थे. वह युवा लेखकों के लिए मिसाल है. राजस्थानी भाषा के साहित्यकार लक्ष्मण दान कविया ने बताया कि प्रेमचंद ने अभावों को जिया था. इसी लिए अभावों का जितना मार्मिक चित्रण उनकी लेखनी में मिलता है.
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उतना किसी अन्य साहित्यकार की कृति में नहीं मिलता. रुद्रेश शर्मा ने कहा कि भविष्य में ऐसे आयोजनों से अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने पर ज्यादा सार्थकता होगी. मंच संचालन युवा लेखक गिरिराज व्यास ने किया. इस दौरान प्रगतिशील लेखक मंच की नागौर इकाई के महासचिव नरेंद्र पारीक आदि मौजूद थे.