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नागौर: खानपुरा मांजरा में मरने के बाद भी मुसीबत बनी टिड्डियां, तालाब का पानी दूषित होने का खतरा

कोरोना काल के बीच नागौर में इस बार अब तक का सबसे बड़ा टिड्डी दलों का हमला देखने को मिला. प्रशासन के साथ ही ग्रामीण भी इन टिड्डियों को नष्ट करने में जुटे हुए हैं. जायल उपखंड के खानपुरा मांजरा गांव में मरने के बाद भी ये टिड्डियां मुसीबत का कारण बनी हुई है. पढ़ें खास रिपोर्ट...

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मरी हुई टिड्डी
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Published : May 29, 2020, 6:33 PM IST

नागौर. कोरोना वायरस से संक्रमण के खतरे के बीच नागौर के लिए अब एक और नई मुसीबत खड़ी हो गई है. इस बीच नागौर में अब तक के सबसे बड़े टिड्डी दल के हमले की समस्या से भी जूझ रहा है. ये टिड्डियां खेतों में फसल के साथ ही पेड़-पौधों को भी खासा नुकसान पहुंचा रही हैं. लेकिन जायल उपखंड के खानपुरा मांजरा गांव में टिड्डियां मरने के बाद भी ग्रामीणों के लिए मुसीबत का कारण बनी हुई हैं. यहां तालाब की अंगोर में टिड्डियों ने पड़ाव डाला था, जहां कीटनाशक का छिड़काव कर उन्हें नष्ट कर दिया गया है. लेकिन अब मरी हुई टिड्डियों के कारण तालाब का पानी दूषित होने का खतरा मंडरा रहा है.

खानपुरा मांजरा में मरने के बाद भी मुसीबत बनी टिड्डियां

दरअसल, खानपुरा मांजरा गांव में पिछले दिनों टिड्डीदल ने तालाब के अंगोर के इलाके में पड़ाव डाला था, जिसकी जानकारी मिलने पर कृषि विभाग और टिड्डी नियंत्रण मंडल की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की मदद से दवा का छिड़काव कर टिड्डियों को नष्ट किया गया. अब ये मरी हुई टिड्डियां तालाब की अंगोर में पड़ी हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अभी तेज हवा के साथ उड़कर मरी हुई टिड्डियां तालाब के पानी में जा सकती हैं. बारिश में अंगोर से बहकर जो पानी तालाब तक जाएगा. उसके साथ ये मरी हुई टिड्डियां भी तालाब में जाएगी. दोनों ही परिस्थितियों में तालाब का पानी प्रदूषित होना तय है.

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सफाई करते लोग

पढ़ें- रेड जोन मुंबई से 750 श्रमिकों को लेकर नागौर पहुंची ट्रेन, बढ़ा संक्रमण का खतरा

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यह तालाब उनके लिए पानी का प्रमुख स्रोत है. गांव के लोग पीने और रोजमर्रा की बाकि जरूरतों के लिए इसी तालाब का पानी काम में लेते हैं. इसके साथ ही मवेशियों की प्यास भी ग्रामीण इसी तालाब के पानी से बुझाते हैं. अगर इसका पानी दूषित हो जाता है तो ग्रामीणों और पशुओं के लिए भी पीने के पानी का संकट खड़ा हो जाएगा. तालाब का पानी दूषित होने के संभावित खतरे से निपटने के लिए ग्रामीणों ने अपने स्तर पर ही अंगोर में सफाई की व्यवस्था करवाई है. इसके तहत कुछ श्रमिकों को सफाई करने के लिए लगाया गया है. ये श्रमिक तालाब के अंगोर से मरी हुई टिड्डियों को हटा रहे हैं.

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मरी हुई टिड्डी

हालांकि, खानपुरा मांजरा गांव के तालाब का अंगोर का क्षेत्रफल काफी बड़ा है. इसलिए फिलहाल मरी हुई टिड्डियों को पूरी तरह से हटाना काफी चुनौती भरा काम है. हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि तालाब से मरी हुई टिड्डियों को जल्द से जल्द हटवाया जा रहा है. ताकि तालाब के पानी को दूषित होने से बचाया जा सके. इस गांव में टिड्डियों ने एक तरफ जहां कुछ खेतों में खड़े कपास के 8 से 12 इंच के पौधों को चट किया है. वहीं, पेड़ पौधों को भी काफी नुकसान पहुंचाया है. अब नष्ट होने के बाद भी टिड्डियां लोगों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई हैं.

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गांव का तालाब

पढ़ें- 15 साल बाद टिड्डियों का आतंक, 5 हजार हेक्टेयर से ज्यादा इलाके प्रभावित

वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले के 50 से ज्यादा गांवों में करीब 5213 हेक्टेयर इलाके में टिड्डियों का सर्वे कर उन्हें नष्ट किया जा चुका है. जानकारों का यह कहना है कि बारिश में टिड्डियों का प्रजननकाल होता है और इससे पहले इन्हें नष्ट नहीं किया गया तो यह जिले के लिए बड़ी समस्या का कारण बन सकती हैं. इधर, कई संगठनों ने प्रदेशभर में जून महीने में टिड्डियों की ओर से बड़े हमले की चेतावनी भी जारी की है. इसके चलते ग्रामीणों से लेकर जिला प्रशासन तक की चिंता बढ़ गई है.

नागौर. कोरोना वायरस से संक्रमण के खतरे के बीच नागौर के लिए अब एक और नई मुसीबत खड़ी हो गई है. इस बीच नागौर में अब तक के सबसे बड़े टिड्डी दल के हमले की समस्या से भी जूझ रहा है. ये टिड्डियां खेतों में फसल के साथ ही पेड़-पौधों को भी खासा नुकसान पहुंचा रही हैं. लेकिन जायल उपखंड के खानपुरा मांजरा गांव में टिड्डियां मरने के बाद भी ग्रामीणों के लिए मुसीबत का कारण बनी हुई हैं. यहां तालाब की अंगोर में टिड्डियों ने पड़ाव डाला था, जहां कीटनाशक का छिड़काव कर उन्हें नष्ट कर दिया गया है. लेकिन अब मरी हुई टिड्डियों के कारण तालाब का पानी दूषित होने का खतरा मंडरा रहा है.

खानपुरा मांजरा में मरने के बाद भी मुसीबत बनी टिड्डियां

दरअसल, खानपुरा मांजरा गांव में पिछले दिनों टिड्डीदल ने तालाब के अंगोर के इलाके में पड़ाव डाला था, जिसकी जानकारी मिलने पर कृषि विभाग और टिड्डी नियंत्रण मंडल की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों की मदद से दवा का छिड़काव कर टिड्डियों को नष्ट किया गया. अब ये मरी हुई टिड्डियां तालाब की अंगोर में पड़ी हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अभी तेज हवा के साथ उड़कर मरी हुई टिड्डियां तालाब के पानी में जा सकती हैं. बारिश में अंगोर से बहकर जो पानी तालाब तक जाएगा. उसके साथ ये मरी हुई टिड्डियां भी तालाब में जाएगी. दोनों ही परिस्थितियों में तालाब का पानी प्रदूषित होना तय है.

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सफाई करते लोग

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ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यह तालाब उनके लिए पानी का प्रमुख स्रोत है. गांव के लोग पीने और रोजमर्रा की बाकि जरूरतों के लिए इसी तालाब का पानी काम में लेते हैं. इसके साथ ही मवेशियों की प्यास भी ग्रामीण इसी तालाब के पानी से बुझाते हैं. अगर इसका पानी दूषित हो जाता है तो ग्रामीणों और पशुओं के लिए भी पीने के पानी का संकट खड़ा हो जाएगा. तालाब का पानी दूषित होने के संभावित खतरे से निपटने के लिए ग्रामीणों ने अपने स्तर पर ही अंगोर में सफाई की व्यवस्था करवाई है. इसके तहत कुछ श्रमिकों को सफाई करने के लिए लगाया गया है. ये श्रमिक तालाब के अंगोर से मरी हुई टिड्डियों को हटा रहे हैं.

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मरी हुई टिड्डी

हालांकि, खानपुरा मांजरा गांव के तालाब का अंगोर का क्षेत्रफल काफी बड़ा है. इसलिए फिलहाल मरी हुई टिड्डियों को पूरी तरह से हटाना काफी चुनौती भरा काम है. हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि तालाब से मरी हुई टिड्डियों को जल्द से जल्द हटवाया जा रहा है. ताकि तालाब के पानी को दूषित होने से बचाया जा सके. इस गांव में टिड्डियों ने एक तरफ जहां कुछ खेतों में खड़े कपास के 8 से 12 इंच के पौधों को चट किया है. वहीं, पेड़ पौधों को भी काफी नुकसान पहुंचाया है. अब नष्ट होने के बाद भी टिड्डियां लोगों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई हैं.

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गांव का तालाब

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वहीं, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले के 50 से ज्यादा गांवों में करीब 5213 हेक्टेयर इलाके में टिड्डियों का सर्वे कर उन्हें नष्ट किया जा चुका है. जानकारों का यह कहना है कि बारिश में टिड्डियों का प्रजननकाल होता है और इससे पहले इन्हें नष्ट नहीं किया गया तो यह जिले के लिए बड़ी समस्या का कारण बन सकती हैं. इधर, कई संगठनों ने प्रदेशभर में जून महीने में टिड्डियों की ओर से बड़े हमले की चेतावनी भी जारी की है. इसके चलते ग्रामीणों से लेकर जिला प्रशासन तक की चिंता बढ़ गई है.

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