नागौर. जायल स्थित गोठ मांगलोद मन्दिर के पास बने वैदिक गुरुकुल में एक आचार्य ने बच्चे की बेरहमी से पिटाई की थी. इससे संबंधित एक वायरल वीडियो ईटीवी भारत ने 31 जुलाई 2022 को दिखाया था (Nagaur Student Harassed ). जिसमें पीड़ित बच्चा अपने मुंह से दर्द की दास्तान बता रहा था. वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल (viral Video Of Nagaur Batuk) होने के बाद परिजनों ने थाने में मामला दर्ज कराया. जिसके बाद पुलिस ने वैदिक गुरुकुल विद्यालय का मुआयना किया. फिर संस्थान से निष्काषित आचार्य को गिरफ्तार कर लिया.
सोशल मिडिया पर क्लिप के वायरल होने के साथ ही लोगों की नाराजगी भी जाहिर होने लगी थी. बच्चे के कूल्हों पर पड़े नील और घाव ने रूह छलनी कर दिया था (Child Brutally Beaten up In Nagaur). 11 साल के मासूम के साथ हुई ज्यादती की कहानी जिसने भी सुनी और देखी वो कांप गया. इस बर्बरता से आहत लोगों ने गुरुकुल को बंद कराने की मांग भी उठानी शुरू कर दी थी.
आचार्य को फायर तो किया लेकिन...: इस मामले ने जैसे ही तूल पकड़ना शुरू किया वैदिक गुरुकुल ट्रस्ट ने आनन फानन में आचार्य को फायर कर दिया (Nagaur Gurukul Student Beaten). उनके सख्त रवैए को संस्थान की विचारधारा के विपरीत बताया. हालांकि संस्थान के मैनेजर नितेश रतावा का एक बयान बेहद गैर जिम्मेदाराना है. अपनी बात साझा करते हुए उन्होंने कहा कि चूंकि बच्चे मस्ती कर रहे थे इसलिए आचार्य विशाल को गुस्सा आ गया और 'कुछ ज्यादा' टॉर्चर हो गया. थोड़ी ज्यादा मारपीट हो गई और फिर वीडियो वायरल हो गया.
तो क्या शिक्षकों को खुली छूट: रतावा के इस बयान पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं. पूछ रहे हैं कि क्या किसी शिक्षक को गुस्सा आ जाए तो वो इस कदर जालिम बन जाएगा कि बच्चे की चमड़ी उधेड़ दे. सवाल ये भी उठता है कि क्या बच्चों की नादानी पर बेंत या डंडे से पिटाई का पैमाना सेट करना जरूरी है? आखिर 'कुछ ज्यादा' या 'कुछ कम' की नौबत ही क्यों आने दी जाए?
एक्शन में CWC: खबर चलते ही सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष मनोज सोनी ने मामला गंभीर माना (CWC Action On Nagaur Student Issue). बाल कल्याण समिति ने संज्ञान लेते हुए विधिक कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं. सोनी ने माना की मामला बेहद गंभीर है.