ETV Bharat / city

सांभर झील में पक्षी त्रासदी जैसी ना हो कोई दूसरी घटना, रोकने के लिए वन विभाग और स्वयंसेवक जुटे

खारे पानी की विख्यात सांभर झील में पिछले साल नवंबर में हुई पक्षी त्रासदी में हजारों स्थानीय और प्रवासी पक्षी काल के ग्रास बन गए थे. इस साल ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए वन विभाग के साथ ही स्थानीय कार्यकर्ता अभी से मुस्तैद हो गए हैं.

सांभर झील त्रासदी,  Sambhar Lake tragedy,  bird tragedy in Sambhar Lake
सांभर झील में पक्षी त्रासदी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए विभाग पहले से अलर्ट
author img

By

Published : Oct 6, 2020, 12:09 PM IST

नागौर. खारे पानी की प्रसिद्ध सांभर झील में पिछले साल नवंबर में हुई त्रासदी में हजारों पक्षियों की मौत हो गई थी. इनमें स्थानीय पक्षियों के अलावा कई प्रजातियों के प्रवासी पक्षी भी शामिल थे. ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो. इसको लेकर वन विभाग के साथ ही स्थानीय स्वयंसेवक भी अभी से मुस्तैद हो गए हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने काचरोदा नर्सरी में पक्षियों के संरक्षण को लेकर काम कर रहे स्वयंसेवकों की एक कार्यशाला रखी. जिसमें झील क्षेत्र में नियमित मॉनिटरिंग करने और ऐसी किसी घटना से निपटने के लिए तत्काल प्रयास करने जैसे मुद्दों की कार्य योजना तैयार की गई है.

सांभर झील में पक्षी त्रासदी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए विभाग पहले से अलर्ट

वन विभाग के जयपुर डीएफओ नरेश शर्मा, रेंजर आरएस जाखड़ और दूदू एसीएफ संजय कौशिक ने काचरोदा र्सरी में वाइल्ड लाइफ क्रीचर्स ऑर्गनाइजेशन के स्वयंसेवकों के साथ बैठक कर ऐसे किसी भी हालत से निपटने के लिए किए जाने वाले उपायों पर चर्चा की है. वाइल्ड लाइफ क्रीचर्स ऑर्गनाइजेशन के पूर्णेश कुलश्रेष्ठ ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों ने स्थानीय स्तर पर की जा रही तैयारियों की समीक्षा की और एक कमेटी का गठन भी किया गया है. यह कमेटी नियमित रूप से झील क्षेत्र में जाकर निगरानी करेगी. ताकि पक्षी त्रासदी जैसी किसी घटना की प्रारंभिक तौर पर ही सूचना मिल सके.

सांभर झील त्रासदी,  Sambhar Lake tragedy,  bird tragedy in Sambhar Lake
वन विभाग और स्वयंसेवकों की टीम

पढ़ें: सूरतगढ़ के शांतनु ने CLAT परीक्षा में देशभर में 10वीं रैक हासिल की, प्रदेश में रहा टॉप

बीमार या संक्रमित पक्षियों को झील से निकालने और उनके उपचार के लिए पशुपालन विभाग की एक टीम बनाई गई है. स्थानीय स्तर पर पक्षियों के संरक्षण के लिए काम कर रहे स्वयंसेवक बताते हैं कि वे नियमित रूप से झील क्षेत्र में निगरानी कर रहे हैं. अभी कोई भी बीमार पक्षी नहीं मिला है.

नागौर. खारे पानी की प्रसिद्ध सांभर झील में पिछले साल नवंबर में हुई त्रासदी में हजारों पक्षियों की मौत हो गई थी. इनमें स्थानीय पक्षियों के अलावा कई प्रजातियों के प्रवासी पक्षी भी शामिल थे. ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो. इसको लेकर वन विभाग के साथ ही स्थानीय स्वयंसेवक भी अभी से मुस्तैद हो गए हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने काचरोदा नर्सरी में पक्षियों के संरक्षण को लेकर काम कर रहे स्वयंसेवकों की एक कार्यशाला रखी. जिसमें झील क्षेत्र में नियमित मॉनिटरिंग करने और ऐसी किसी घटना से निपटने के लिए तत्काल प्रयास करने जैसे मुद्दों की कार्य योजना तैयार की गई है.

सांभर झील में पक्षी त्रासदी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए विभाग पहले से अलर्ट

वन विभाग के जयपुर डीएफओ नरेश शर्मा, रेंजर आरएस जाखड़ और दूदू एसीएफ संजय कौशिक ने काचरोदा र्सरी में वाइल्ड लाइफ क्रीचर्स ऑर्गनाइजेशन के स्वयंसेवकों के साथ बैठक कर ऐसे किसी भी हालत से निपटने के लिए किए जाने वाले उपायों पर चर्चा की है. वाइल्ड लाइफ क्रीचर्स ऑर्गनाइजेशन के पूर्णेश कुलश्रेष्ठ ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों ने स्थानीय स्तर पर की जा रही तैयारियों की समीक्षा की और एक कमेटी का गठन भी किया गया है. यह कमेटी नियमित रूप से झील क्षेत्र में जाकर निगरानी करेगी. ताकि पक्षी त्रासदी जैसी किसी घटना की प्रारंभिक तौर पर ही सूचना मिल सके.

सांभर झील त्रासदी,  Sambhar Lake tragedy,  bird tragedy in Sambhar Lake
वन विभाग और स्वयंसेवकों की टीम

पढ़ें: सूरतगढ़ के शांतनु ने CLAT परीक्षा में देशभर में 10वीं रैक हासिल की, प्रदेश में रहा टॉप

बीमार या संक्रमित पक्षियों को झील से निकालने और उनके उपचार के लिए पशुपालन विभाग की एक टीम बनाई गई है. स्थानीय स्तर पर पक्षियों के संरक्षण के लिए काम कर रहे स्वयंसेवक बताते हैं कि वे नियमित रूप से झील क्षेत्र में निगरानी कर रहे हैं. अभी कोई भी बीमार पक्षी नहीं मिला है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.