नागौर. देशभर के नमक उत्पादन में अपनी करीब 8 फीसदी भागीदारी रखने वाला नावां का नमक उद्योग इन दिनों ठप पड़ा है.कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जारी लॉकडाउन के कारण नमक का उत्पादन बंद है. नावां इलाके में कई किलोमीटर इलाके में फैली क्यारियों में सन्नाटा पसरा है और नमक को प्रोसेस कर खाने लायक बनाने वाली औद्योगिक इकाइयों की मशीनें भी ठप हैं. हालांकि, लॉकडाउन के बीच जरूरी खाद्य सामग्री से जुड़ी इकाइयों को सशर्त चालू रखा गया है. लेकिन दैनिक उपभोग से जुड़ा होने के बावजूद भी नमक का उत्पादन इन दिनों बंद है.
इसका बड़ा कारण यह है कि क्यारियों में जमे नमक को निकालने के लिए बड़ी संख्या में मजदूरों की दरकार होती है.यदि यहां काम शुरू किया जाए तो काफी मजदूरों को एक साथ काम करना होगा और यहां सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाना भी आसान नहीं होगा. इसलिए कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाएगा. ऐसे में एहतियात के तौर पर काम बंद है.
ये पढ़ें: नागौर: 16 चेक प्वाइंट पर पुलिस जवानों को मिलेगा कोरोना कवच
हालांकि, जिला प्रशासन ने कड़ी शर्तों के साथ नमक को प्रोसेस करने वाली इकाइयों में काम चालू करने की अनुमति दे रखी है. जहां अपेक्षाकृत बहुत कम श्रम शक्ति की जरूरत होती है और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाना भी आसान होता है. लेकिन बड़ी परेशानी यह है कि जब क्यारियों से नमक निकाला ही नहीं जा रहा है तो रिफाइनरी में प्रोसेस करने के लिए कच्चा माल कहां से जुटाया जाएगा.
ये पढ़ें: Special: जिस संगमरमर के लिए पहचाना जाता है मकराना, आज लॉकडाउन ने उसकी चमक कर दी फीकी
हालांकि, कलेक्टर दिनेश कुमार यादव का कहना है कि नमक उत्पादन से जुड़े लोगों से लगातार बातचीत चल रही है. यह विचार किया जा रहा है कि कम से कम श्रम शक्ति का निवेश कर किस तरह से क्यारियों में जमा नमक निकाला जाए. लेकिन फिलहाल इसका कोई कारगर तरीका सामने नहीं आ पाया है.