कोटा. नगर विकास न्यास की सीमा में सैकड़ों की संख्या में कृषि भूमि पर अवैध रूप से कॉलोनियों लगातार बनती जा रही है. यूआईटी के सर्वे में सामने आया कि बिल्डर्स ने अवैध रूप से 500 से ज्यादा कॉलोनियां काटने की बात सामने आ रही थी. जिनमें हजारों की संख्या में मकान बन गए. साल दर साल इन कॉलोनियों में बाढ़ का खतरा (flood in Kota) बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि यहां पानी की निकासी व्यवस्था नहीं है.
इनमें से ही कुछ कॉलोनी डूब क्षेत्र में आ रही है. प्रॉपर्टी डीलरों ने पैसों के लालच में प्लानिंग बनाकर जमीनों को बेच दिया. जबकि वहां पर पानी की निकासी की व्यवस्था ही नहीं थी. यूआईटी ने भी इन कॉलोनियों पर किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया और यह व्यवस्थित रूप से बस गई है. साल दर साल इन कॉलोनियों में बाढ़ का खतरा (Water filled in Kota colonies) बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि पानी का ड्रेनेज सिस्टम बिगड़ा हुआ है. ऐसे में डूब एरिया की कई कॉलोनी है. हालांकि, इन डूब एरिया में बसी हुई कॉलोनियों को भी अनुमोदन का कार्य होने वाला है.
यूआईटी के अधिकारियों का कहना है कि अब प्रशासन शहरों के संग के जरिए हम इनके अनुमोदन की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हमें इसके पहले देखना होगा कि पानी निकासी की क्या व्यवस्था होगी. यूआईडी के इंजीनियर ने इस एरिया का सर्वे भी किया है. निकासी का भी कोई प्लान हम लेकर आएंगे. हालांकि, बारिश भी काफी ज्यादा इस बार हुई थी. प्रयास किया जाएगा कि नाले या डायवर्जन और बनाए जाए.
स्थानीय बाशिंदों का जीवन नर्क बन जाता है
कोटा शहर की बात की जाए तो थेगड़ा, बोरखेड़ा, रायपुरा और देवली अरब रोड पर ऐसी सैकड़ों कॉलोनियां हैं जो कि अब डूब एरिया में बसी हुई है. इनमें बालाजी नगर सेकंड व थर्ड, कौटिल्य नगर, गणेशधाम, श्रीएनक्लेव काशी धाम, तिरुपति नगर, रॉयल सनसिटी स्पेशल, साईंधाम व नगर, आशियाना नगर, आस्था नगर विस्तार व आदर्श नगर विस्तार सहित कई अन्य कॉलोनियों शामिल हैं. इन कॉलोनियों में 2 हजार से ज्यादा मकान बने हुए हैं. हजारों की संख्या में यहां पर लोग रहते हैं. यहां रहने वाले लोगों का जीवन बारिश के समय नर्क बन जाता है.
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इन क्षेत्रों में अधिकांश कॉलोनियां नालों के नजदीक हैं. ऐसे में नाला जब बारिश में ओवरफ्लो होकर बहने लगता है तो पानी इन कॉलोनियों में प्रवेश कर जाता है. जो कि 3 से 4 दिन तक नहीं निकलता. ये कॉलोनियां निचले हिस्से में बसी हुई हैं, ऐसे में यहां जलभराव होने पर पानी आसानी से बाहर नहीं निकल पाता है.
सस्ते के चक्कर में खरीदा लेकिन अब बन गई आफत
इन कॉलोनियों के लोगों का कहना है कि उन्होंने सस्ते प्लॉट के चक्कर में यहां पर भूखंड खरीद लिया. यहां मकान का निर्माण भी कर लिया लेकिन जब बारिश का सीजन आया तो यहां पर जलभराव की स्थिति बन गई.
एक मंजिल तक डूब जाती है कई कॉलोनियां
इन कॉलोनियों में सड़क पर तो करीब 7 से 8 फीट पानी होता है. जबकि मकान अधिकांश 3 से 4 फीट ऊपर बने हुए हैं. इसके बावजूद मकानों में 3 से 4 फीट पानी प्रवेश कर जाता है. जिससे लोगों का काफी नुकसान लोगों को होता है. देवली अरब रोड की एक कॉलोनी में रहने वाली तौकीर बानो का कहना है कि घर में 3 से 4 फीट पानी आ जाता है. फ्रीज, फर्नीचर, कपड़े, खाने-पीने का सामान सब कुछ खराब हो जाता है. जबकि हमारा मकान 5 फीट ऊपर बना हुआ है. उन्होंने बताया कि लाखों रुपए लगाकर मकान बनाया है लेकिन कोई मतलब नहीं निकला. इसमें 15 लाख रुपए निर्माण के लगे थे, अब बाढ़ में 2 लाख का सामान खराब हो गया है.
प्रॉपर्टी डीलर ने झूठ बोला
स्थानीय बाशिंदों का कहना है कि उन्हें डूब क्षेत्र का पता नहीं था. विजय सिंह हाड़ा का कहना है कि मकान बनाया था, तब सर्दी और गर्मी का सीजन चल रहा था. मकान बनकर पूरा हुआ तो बारिश आ गईं, तब यहां पर काफी मात्रा में पानी जमा हो गया. अब हमारे पास में कोई दूसरा ऑप्शन भी नहीं है क्योंकि हमारा पूरा पैसा इस मकान को बनाने में ही लग गया. हम सरकार से अपील करते हैं कि पानी के निकासी की कोई व्यवस्था करे.
गायब रहती है 3 से 4 दिन बिजली
वीरेंद्र सिंह नरूका का कहना है कि बारिश के सीजन में स्थिति भयावह हो जाती है. ट्रांसफार्मर कौटिल्य नगर में स्थित है. ये एरिया बारिश ज्यादा होने पर पहले डूब जाता है. हर तरफ पानी होने के कारण कई बार 3 से 4 दिन तक लाइट चली जाती है. चोरों का भी खतरा बारिश के सीजन में रहता है. इसलिए मकान को भी सूना नहीं छोड़ सकते.
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सुरेश बाई का कहना है कि बारिश के सीजन में हमारा पूरा एरिया बाढ़ ग्रस्त हो जाता है. यहां पर नाव चलाकर प्रशासन रेस्क्यू करता है. उन्होंने कहा कि मेरा खुद का घर टापू बन जाता है. साथ ही नाले में से निकलकर बड़े-बड़े मगरमच्छ तैरते हैं, जो कि किसी भी व्यक्ति को अपना शिकार बना सकते हैं. ऐसे में घर पर रहना भी दुश्वार हो जाता है. जब हमें मकान बेचा गया था, तब प्रॉपर्टी डीलर ने कहा था कि यहां जलभराव नहीं होता.
6 साल में तीन बार आ चुकी है बाढ़
कौटिल्य नगर निवासी किशन सिंह का कहना है कि वह 2015 से मकान बनाकर रह रहे हैं. जब मकान लेने के लिए यहां पर आए थे, तब सड़क नहीं थी. प्रॉपर्टी डीलर ने कहा था कि सड़क वह नहीं बनाएंगे लेकिन पानी की कोई समस्या नहीं होती है. पानी यहां पर नहीं भरता है लेकिन बाद में हालात विकट हो गए. बीते 6 साल में तीन बार बाढ़ आ चुकी है. साल 2016, 2019 और इस साल 2021 में भी पानी हमारे घरों में घुस गया.
प्रॉपर्टी डीलर के बहकावे में आकर नहीं खरीदें प्लॉट: यूआईटी
यूआईटी के उपसचिव चंदन दुबे का कहना है कि देवली अरब रोड पर कृषि भूमि पर गैर अनुमोदन के कई कॉलोनियां बस गई हैं. लोगों ने कृषि भूमि को प्लॉट के रूप में खरीद कर बिना अनुमोदन के ही मकान बना लिए हैं. यह काम 15 से 20 साल से चल रहा है. इसमें एक भी कॉलोनी नियोजित नहीं है और इनमें पानी की निकासी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. एरिया भी काफी नीचे है, जिससे जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. उन्होंने कहा कि प्रॉपर्टी डीलर के बहकावे में आकर सस्ते प्लॉट नहीं खरीदें.