कोटा. रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई का फायदा (Russia Ukraine Crisis) राजस्थान और खासकर हाड़ौती में गेहूं उत्पादन करने वाले किसानों को मिलने वाला है. क्योंकि रशिया और यूक्रेन मिलाकर विश्व में 30 फीसदी गेहूं का निर्यात करते हैं, जिसमें रूस की बड़ी हिस्सेदारी है. यह विश्व का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है. वहीं, यूक्रेन इस सूची में चौथे स्थान पर है.
युद्ध की स्थिति में रूस-यूक्रेन से गेहूं निर्यात कम और भारत से निर्यात ज्यादा होने की संभावना जताई जा रही. ऐसी स्थिति में भारत के किसानों को गेहूं के अच्छे भाव मिलने के आसार हैं. राजस्थान की बात की जाए तो सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन बीकानेर संभाग में होता है. वहीं, पंजाब से लगते इलाके हनुमानगढ़ और गंगानगर इलाके में भारी मात्रा में गेहूं उत्पादन किया जाता है, लेकिन दूसरा नंबर (Wheat Production in Rajasthan) राजस्थान का गेहूं उत्पादन में कोटा संभाग आता है.
कोटा संभाग में पर इस बार रबी के सीजन में 478000 हेक्टेयर एरिया में गेहूं का उत्पादन किया गया है. गेहूं की फसल के लिए मुफीद मौसम पूरे सीजन में रहा, इसका फायदा भी किसानों को अच्छा मिलने वाला है. इस बार उनकी गेहूं के दाम बढ़कर 3000 तक जा सकते हैं. रशिया और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच अभी से मंडी में दाम (Wheat Price Rate in Rajasthan) बढ़ने लग गए हैं. बीते 10 दिनों में ही करीब 300 रुपये प्रति क्विंटल दाम गेहूं के मंडी में बढ़ गए हैं.
अभी पिछले साल से 450 रुपये की तेजी : कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में गेहूं की आवक की बात की जाए तो मंडी के भाव में तेजी बीते साल से भी देखी जा रही है. बीते साल 2021 में जहां पर फरवरी महीने में निचले 1611 व अधिकतम 1785 दाम रहे थे. इनका औसत भी 1680 आया था, जबकि इस बार फरवरी में ही तेजी देखी गई है.
औसत 2040 पहुंच गया है, जबकि निचले 1995 और ऊपर के 2090 भाव रहे हैं. करीब 260 रुपये की औसत भाव में तेजी आई है. इसी तरह से पिछले साल मार्च में गेहूं 1850 से 2200 रुपये के बीच बिका था, जबकि मंडी में आज ही गेहूं निचला 2200 रुपये बिका है. वहीं ऊपर में 2351 तक भी बिका है. यह तेजी बीते साल से 450 रुपये ज्यादा है.
मंडी में शुरू हुई दाम बढ़ने की आहट, 10 दिन में चढ़े 300 रुपये : भामाशाह कृषि उपज मंडी में रोज करीब 3000 क्विंटल गेहूं की आवक हो रही है. अभी से रशिया और यूक्रेन के युद्ध का असर मंडी में भाव पर नजर आने लगा है. बीते 10 दिनों में भी 300 रुपये का उछाल गेहूं की कीमतों में आया है. मंडी में जहां पर फरवरी महीने में गेहूं औसत 2040 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है. नया गेहूं अभी करीब 50 से 100 क्विंटल प्रतिदिन आ रहा है.
मंडी में माल बेचने आए किसानों का कहना है कि बीते 10 दिन पहले उन्होंने जहां पर 1950 की दर से गेहूं बेचा था, अब वही दाम 2350 पहुंच गया है. व्यापारी गौरव बलदवा का कहना है कि भाव लगातार बढ़ रहे हैं, आने वाले दिनों में उम्मीद जताई जा रही है कि इससे भी ज्यादा भाव मंडी में हो जाए. उनका कहना है कि खेतों में फसल भी काफी अच्छी इस बार है.
एरिया कम हुआ, प्रति हेक्टेयर उत्पादन ज्यादा होगा : रबी के सीजन में गेहूं मुख्य फसल हाड़ौती में होती है. इस बार इसका एरिया 478020 हेक्टेयर है. बीते साल की है एरिया 556591 हेक्टेयर था. 78571 हेक्टेयर में इस बार गेहूं की फसल कम है, लेकिन उत्पादन प्रति क्विंटल बढ़ने की संभावना जता रहे हैं. कृषि विभाग के सहायक निदेशक हुकमाराम शर्मा का का मानना है कि इस बार गेहूं के मुफीद पूरा सीजन का मौसम रहा है. सर्दी भी लंबे समय तक चली, समय-समय पर मावठ भी गिरी है.
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ऐसी स्थिति में किसानों के उत्पादन में 48 से 49 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूं की फसल होने का अनुमान है. यह बीते साल में 46 क्विंटल था. बीते साल में जहां पर 25 लाख 65 हजार मेट्रिक टन उत्पादन हुआ था. इस साल भी यह उत्पादन 25 लाख के आसपास रहने की उम्मीद है.
अप्रैल में 2500 से ज्यादा हो सकते हैं गेहूं के दाम : खेतों में गेहूं की फसल लहलहाती हुई खड़ी है और अब मार्च महीने में ही इसकी कटिंग शुरू होगी. अप्रैल से मंडियों में नया गेहूं आना शुरू होता है. इसके साथ ही पूरे साल में सर्वाधिक गेहूं भी अप्रैल के महीने में ही मंडी में बिकने के लिए पहुंचता है.
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गेहूं एक्सपोर्टर मुकेश भाटिया का मानना है कि मंडी में नए गेहूं की बंपर आवक (Kota Exporter on Wheat Price) अप्रैल महीने में होगी, तब 2400 से लेकर 2500 के आसपास गेहूं के भाव रहने के आसार हैं. जबकि बीते साल यह भाव 1600 से लेकर 2100 रुपये के बीच ही थे. यहां तक कि औसत भाव भी 1900 रुपये प्रति क्विंटल थे. बीते साल अप्रैल महीने में ही मंडी में 11 लाख 68 हजार मीट्रिक टन गेहूं बिक्री के लिए पहुंचा था.
मानसून लंबा होने के चलते नहीं हुई थी ज्यादा बुवाई : हाड़ौती में इस बार गेहूं का रकबा कम हुआ है, लेकिन यह कमी मानसून के चलते हुई है. मानसून सीजन में बारिश इस बार हाड़ौती संभाग में हुई. इसलिए किसानों को बुवाई का मौका ही नहीं मिला. किसानों को खेत तैयार करने का ही समय नहीं मिला. लगातार अंतराल पर बारिश होती रही और खेत सुख नहीं पाए. इसके चलते करीब 41000 हेक्टेयर एरिया पड़त (सूखा) रह गया है.
बीते साल जहां पर 11 लाख 85 हजार हेक्टेयर एरिया पर फसल हुई थी, इस बार यह रखवा 11 लाख 44 हजारों हेक्टेयर ही रह गई है. कम बुवाई का यह पूरा एरिया गेहूं का है. इसके अलावा भी बुवाई के लिए समय निकल जाने के चलते किसानों ने सरसों और चने को ज्यादा तवज्जो दी.
इस तरह से आएगा दाम में फर्क : कोटा से एक्सपोर्टर मुकेश भाटिया का मानना है कि भारत में गेहूं का बड़ा उत्पादक देश है. यहां से साउथ एशिया, अफ्रीकन और गल्फ कंट्रीज में गेहूं का निर्यात किया जाता है. जहां पर बड़ी मात्रा में रशिया और यूक्रेन से भी गेहूं पहुंचता है. ऐसे में अब दोनों देशों में जंग छिड़ी हुई है. इसके चलते वहां से निर्यात में कमी आएगी. इसका फायदा भारत को होगा. साथ ही भारत में भी गेहूं का निर्यात मुंद्रा पोर्ट के जरिए होता है.
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दरअसल, छोटे एक्सपोर्टर मुंद्रा पोर्ट पर बड़े एक्सपोर्टर्स को माल भेज देते हैं और वहां से ही विदेशों में माल सप्लाई होता है. साथ ही मुकेश भाटिया का यह भी मानना है कि अमेरिका और यूरोपियन कंट्री भारत के गेहूं की क्वालिटी को अच्छी नहीं मानती है. ऐसे में वहां निर्यात की संभावनाएं कम ही है.
MSP से भी ऊपर पहुंच गए हैं दाम : पिछले साल भी करीब 25 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हाड़ौती के चारों जिलों कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में हुआ था. ऐसे में मंडियों में दाम कम ही थे. साथ ही उत्पादन के कुछ गेहूं की खरीद भी कांटे लगाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल पर हुई थी. इस बार सरकार ने करीब 2 फीसद गेहूं का समर्थन मूल्य बढ़ाया है, इसलिए गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल तय है.
हालांकि, मंडी में वर्तमान में गेहूं न्यूनतम दाम भी समर्थन मूल्य से ज्यादा दाम पर बिक रहा है. भामाशाह कृषि उपज मंडी में एमएसपी से न्यूनतम दाम 200 रुपये ज्यादा है. वहीं वर्तमान गेहूं का अधिकतम दाम एमएसपी करीब 350 रुपये ज्यादा है.