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कोरोना का खौफः मुक्तिधाम से अस्थियां ले जाने से डर रहे हैं परिजन, एक साल से डिब्बों में बंद

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Published : May 29, 2021, 10:59 AM IST

कोटा के किशोरपुरा मुक्तिधाम में हर रोज कोरोना संक्रमित कई शवों को जलाया जाता है. जहां कोरोना के डर से कई परिजनों पिछले साल से पड़ी अस्थियों को लेने नहीं पहुंच रहे है.

relatives not taking asthiyan from Muktidham in kota, कोटा मुक्तिधाम से अस्थियां नहीं ले जा रहे परिजन
कोटा मुक्तिधाम से अस्थियां नहीं ले जा रहे परिजन

कोटा. कोरोना संक्रमण का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. हर रोज कई मौते हो रही है, जिससे लाशों को जलाने के लिए मुक्तिधाम में जगह कम पड़ रही है. ऐसे में कोटा के किशोरपुरा मुक्तिधाम में भी यही हाल है. यहां पर एक इलेक्ट्रिक मशीन शवदाह गृह बनाया हुआ है. यहां आने वाले शवों की रजिस्टर में एंट्री होती है.

कोटा मुक्तिधाम से अस्थियां नहीं ले जा रहे परिजन

वहीं शव के अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को लॉकर में रखा जाता है. जहां अभी लॉकर फूल हो गए, तो डिब्बो में नाम, पता और मोबाइल नम्बर अंकित कर पेपर चिपकाया जाता है. साथ ही इनमे तारीख भी अंकित की जाती है. ऐसी कई अस्थियां पिछले साल कोरोना के समय से रखी हुई है, जिनको आज तक परिजन रिश्तेदार लेने नहीं आए.

पढ़ें- भरतपुर डॉक्टर दंपती हत्याकांड : बहन की हत्या का बदला लेने के दिनदिहाड़े गोलियों से भूना, जानें पूरी कहानी

मशीन ऑपरेटर ओम प्रकाश का कहना है कि पिछले साल जब कोरोना की लहर चली थी, उस समय भी कोरोना पॉजिटिव की मौत के बाद शव को इलेक्ट्रिक भट्टी से दाह संस्कार किया गया था. जिस पर उनकी अस्थियों को डिब्बों और लॉकर में रखा हुआ है, जिसको अभी तक कोई भी लेने नहीं आया.

relatives not taking asthiyan from Muktidham in kota, कोटा मुक्तिधाम से अस्थियां नहीं ले जा रहे परिजन
डिब्बों में बंद है अस्थियां

ओमप्रकाश ने कहा कि हो सकता है, परिजनों और रिश्तेदारों को यह शक हो कि कहीं अस्थियों से कोरोना न हो जाए, इसलिए लेकर नहीं गए हो. उन्होंने बताया कि लोग अगर अस्थियों को लेकर जाए तो लॉकर खाली हो, लेकिन पिछले साल की अस्थियां इतनी रखी हुई है. जिससे पूरे लॉकर फूल हो रहे हैं. कई बार इनके फोन नम्बरों पर सम्पर्क कर चुके हैं, लेकिन आस्वासन के अलावा लेने नहीं आ रहे हैं.

पिछले साल की अपेक्षा इस साल ज्यादा आए शव

ऑपरेटर ओम प्रकाश ने बताया कि पिछले साल फिर भी इतने शव नहीं आए थे, लेकिन इस साल अप्रैल और मई माह में शवों को वेटिंग में रखना पड़ा, क्योंकि मशीन को ठंडा करने के लिए 1 घंटे का बैकअप देना होता है, जिससे मशीन ठंडी होती है. उन्होंने बताया कि पिछले साल की अस्थियां भी लाकर में रखी हुई है. लॉकर पूरी तरह से फूल है, अब इस साल की अस्थियों को रखने तक की जगह नहीं बची है, ऐसे में डिब्बे और खुली बाल्टियों में रखना पड़ रहा है.

कोविड शव को जलाने से पहले होती है मशीन सैनिटाइजर

ऑपरेटर ओम प्रकाश ने बताया कि कोविड से मरने वाले व्यक्ति के शव को मशीन में रखने से पहले उसको सैनिटाइज करवाया जाता है. वहीं अंतिम क्रिया करने वाले व्यक्ति को पीपीई किट पहनाकर उसको अंदर आने दिया जाता है. ओम प्रकाश ने कहा कि अस्पताल से आने वाला शव प्लास्टिक के किट में पैक होकर आती है. जिससे उसको बिना प्लास्टिक किट हटाए, जलाया जाता है. जिससे उठने वाले धुंए से लोगों को संक्रमण न हो, इसलिए उन्हें बाहर भेज दिया जाता है. उन्होंने बताया कि नार्मल डेथ पर उसके साथ आने वाले कपड़ों को हटा दिया जाता है. जिससे धुंआ नहीं उठता.

पढ़ें- सुसाइड करने से पहले विवाहिता ने बनाया Video: कांस्टेबल पर लगाया दुष्कर्म का आरोप, परिजनों को Sorry बोल नहर में कूदी

ओम प्रकाश ने कहा कि हमें भी सुरक्षित रहना है, इसलिए कोरोना संक्रमण से मरे व्यक्ति के शव को हम भी हाथ नहीं लगाते हैं. सीधे कर्मचारियों की ओर से मशीन पर रखा जाता है. वहीं मशीन के हैंडल और वॉल्व को सैनिटाइज किया जाता है. इसके बाद मशीन चालू कर शव को अंदर धकेलते है.

कोटा. कोरोना संक्रमण का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. हर रोज कई मौते हो रही है, जिससे लाशों को जलाने के लिए मुक्तिधाम में जगह कम पड़ रही है. ऐसे में कोटा के किशोरपुरा मुक्तिधाम में भी यही हाल है. यहां पर एक इलेक्ट्रिक मशीन शवदाह गृह बनाया हुआ है. यहां आने वाले शवों की रजिस्टर में एंट्री होती है.

कोटा मुक्तिधाम से अस्थियां नहीं ले जा रहे परिजन

वहीं शव के अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को लॉकर में रखा जाता है. जहां अभी लॉकर फूल हो गए, तो डिब्बो में नाम, पता और मोबाइल नम्बर अंकित कर पेपर चिपकाया जाता है. साथ ही इनमे तारीख भी अंकित की जाती है. ऐसी कई अस्थियां पिछले साल कोरोना के समय से रखी हुई है, जिनको आज तक परिजन रिश्तेदार लेने नहीं आए.

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मशीन ऑपरेटर ओम प्रकाश का कहना है कि पिछले साल जब कोरोना की लहर चली थी, उस समय भी कोरोना पॉजिटिव की मौत के बाद शव को इलेक्ट्रिक भट्टी से दाह संस्कार किया गया था. जिस पर उनकी अस्थियों को डिब्बों और लॉकर में रखा हुआ है, जिसको अभी तक कोई भी लेने नहीं आया.

relatives not taking asthiyan from Muktidham in kota, कोटा मुक्तिधाम से अस्थियां नहीं ले जा रहे परिजन
डिब्बों में बंद है अस्थियां

ओमप्रकाश ने कहा कि हो सकता है, परिजनों और रिश्तेदारों को यह शक हो कि कहीं अस्थियों से कोरोना न हो जाए, इसलिए लेकर नहीं गए हो. उन्होंने बताया कि लोग अगर अस्थियों को लेकर जाए तो लॉकर खाली हो, लेकिन पिछले साल की अस्थियां इतनी रखी हुई है. जिससे पूरे लॉकर फूल हो रहे हैं. कई बार इनके फोन नम्बरों पर सम्पर्क कर चुके हैं, लेकिन आस्वासन के अलावा लेने नहीं आ रहे हैं.

पिछले साल की अपेक्षा इस साल ज्यादा आए शव

ऑपरेटर ओम प्रकाश ने बताया कि पिछले साल फिर भी इतने शव नहीं आए थे, लेकिन इस साल अप्रैल और मई माह में शवों को वेटिंग में रखना पड़ा, क्योंकि मशीन को ठंडा करने के लिए 1 घंटे का बैकअप देना होता है, जिससे मशीन ठंडी होती है. उन्होंने बताया कि पिछले साल की अस्थियां भी लाकर में रखी हुई है. लॉकर पूरी तरह से फूल है, अब इस साल की अस्थियों को रखने तक की जगह नहीं बची है, ऐसे में डिब्बे और खुली बाल्टियों में रखना पड़ रहा है.

कोविड शव को जलाने से पहले होती है मशीन सैनिटाइजर

ऑपरेटर ओम प्रकाश ने बताया कि कोविड से मरने वाले व्यक्ति के शव को मशीन में रखने से पहले उसको सैनिटाइज करवाया जाता है. वहीं अंतिम क्रिया करने वाले व्यक्ति को पीपीई किट पहनाकर उसको अंदर आने दिया जाता है. ओम प्रकाश ने कहा कि अस्पताल से आने वाला शव प्लास्टिक के किट में पैक होकर आती है. जिससे उसको बिना प्लास्टिक किट हटाए, जलाया जाता है. जिससे उठने वाले धुंए से लोगों को संक्रमण न हो, इसलिए उन्हें बाहर भेज दिया जाता है. उन्होंने बताया कि नार्मल डेथ पर उसके साथ आने वाले कपड़ों को हटा दिया जाता है. जिससे धुंआ नहीं उठता.

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ओम प्रकाश ने कहा कि हमें भी सुरक्षित रहना है, इसलिए कोरोना संक्रमण से मरे व्यक्ति के शव को हम भी हाथ नहीं लगाते हैं. सीधे कर्मचारियों की ओर से मशीन पर रखा जाता है. वहीं मशीन के हैंडल और वॉल्व को सैनिटाइज किया जाता है. इसके बाद मशीन चालू कर शव को अंदर धकेलते है.

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