कोटा. राजस्थान राज्य के शिक्षकों और कार्मिकों के वेतन से प्रतिमाह 1 और 2 दिन का वेतन कटौती करने, मार्च के 16 दिनों के वेतन को स्थगित करने पर राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है. शिक्षकों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि हमारा वेतन काट कर सरकार विधायक और मंत्रियों को सुविधाएं मुहैया करा रही है.
राजस्थान शिक्षक संघ कोटा जिले के शिक्षकों ने सरकार की ओर से एक या दो दिन का वेतन कटौती के विरोध में उतर गए है. इसको लेकर रविवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि राज्य सरकार शिक्षकों के साथ हनन कर रही है. जिसमें पुलिस और चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों का वेतन कटौती नहीं कर रही.
प्रदेश सभाध्यक्ष देवलाल गोचर ने रविवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि राज्य के शिक्षा विभाग में 4 लाख 5 हजार 633 के करीब शिक्षा विभाग में कार्यरत कार्मिक है. शिक्षकों के कुल वेतन में से 1 माह का वेतन तो आयकर चुकाने में ही चला जाता है शेष 11 माह के वेतन में अपना गुजारा चलता है. इनमें से भी वेतन स्थगित करना और प्रतिमाह 1 और 2 दिन वेतन कटौती करने का निर्णय शिक्षकों की आर्थिक क्षमता को कमजोर करता है अतः ये निर्णय पुनर्विचारणीय है.
विधायकों की तरह ध्वनि मत से पारित नहीं होते शिक्षकों के वेतन-भत्ते:-
शिक्षकों के वेतन भत्तों को विधायकों की तरह हर दो-तीन साल में ध्वनिमत से पारित करने की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में बढ़ती मंहगाई में शिक्षक अपना और अपने परिवार का जीवन यापन के साथ मकान, वाहन और अन्य पर्सनल लोन के बैंक से लिए कर्जों को कैसे चुका पाएंगे. जितनी कटौती वो अपने लोन चुकाने में करता है उसके समान राशि अपने वेतन से प्रतिमाह कटौती करते हुए और वेतन स्थगित कर वसूल कर ली जाती है, तो शिक्षक कैसे अपने लोन भरेगा और अपना परिवार चलाएगा.
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उन्होंने कहा कि यदि इन दोनों का औसत निकाला जाए तो ये 110018 रुपए की मार 1 वर्ष प्रत्येक कार्मिक को झेलनी पड़ेगी. ऐसे में मनमाने तरीके से राशि वसूल कर शिक्षा विभाग के कार्मिकों का शोषण करने की कार्रवाई शिक्षक बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने बताया कि राज्य में पुलिस और चिकित्सा कार्मिकों को छोड़कर शेष समस्त कर्मचारियों और शिक्षकों के वेतन कटौती करने और वेतन भत्ते स्थगित करने में भेदभाव और सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.
शिक्षक संघ ने प्रत्येक संभाग स्तर पर प्रेस वार्ता के जरिए संगठन के मत को प्रस्तुत करते हुए वेतन भत्तो को स्थगित करने और प्रतिमाह वेतन कटौती के आदेश वापस लिया जाए अन्यथा प्रान्त की स्थाई समिति के निर्णय के बाद आगामी समय मे उग्र आन्दोलन किया जाएगा.