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स्पेशल: गन्ना जूस विक्रेताओं का आधा सीजन निकल गया, अब परिवार का पेट पालने का भी संकट

कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन ने न केवल लोगों को घरों में कैद कर दिया है. बल्कि बाजार व्यवसाय और दुकानों पर भी ताला लगा दिया है. इससे गन्ने का व्यापार भी पूरी तरह से लॉक हो गया है. जिसके चलते किसानों को अपने परिवार का पेट पालने में भी मुश्किल आ रही है.

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लॉकडाउन में गन्ना विक्रताओं को बड़ा घाटा
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Published : May 6, 2020, 6:34 PM IST

कोटा. कोरोना वायरस से पूरे देश की अर्थव्यवस्था को ही हिलाकर रख दिया है. कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है. जो इसकी मार ना झेल रहा हो. गर्मी के दिनों में ही गन्ने के जूस की मांग चरम पर रहती है.

गर्मी के सीजन में गन्ने की चरखी लगाकर जूस पिलाने का काम करने वाले तबके के सामने भी समस्या खड़ी हो गई है. यह लोग पूरे सीजन की कमाई गर्मी के 4 महीनों में करते हैं. जबकि आधा सीजन लॉकडाउन में बंद होने के चलते चला गया है और अब कोरोना वायरस के खतरे के चलते लोग उनकी दुकानों तक भी नहीं आएंगे. लॉकडाउन 3.0 शुरू होने के बावजूद इनकी चरखी, दुकान और ठेले नहीं खुले हैं.

लॉकडाउन में गन्ना विक्रताओं को बड़ा घाटा

यह भी पढे़ं- आखिरकार एक मरीज को क्यूं कहना पड़ा कि 'मैं कोरोना पॉजिटिव हूं...'

कोटा में गन्ने की चरखी वालों के साथ यह समस्या एक या दो जगह नहीं करीब 300 से 400 जगह गन्ने की अलग-अलग चरखियां संचालित होती हैं. इनमें आरटीडीसी रोड, नयापुरा चौराहा, अग्रसेन चौराहा, बड़ तिराहा और डीसीएम रोड पर तो अधिकांश बाहर के लोग आकर ही यह धंधा करते हैं. नगर निगम को जगह का किराया भी जमा करा चुके थे. अब जब उनकी दुकान ही संचालित नहीं हो पाई, तो किराए का पैसा भी उनका ऐसे ही चला गया है.

सीजन में कमाते हैं पूरे सालभर का

गन्ने का ठेला लगाने वाले रणजीत का कहना है कि पूरे साल उनका 4 महीने ही धंधा ठीक से चलता है. मार्च से शुरू होने वाले सीजन के 4 महीनों में ही वे साल भर की कमाई कर लेते हैं. जिससे परिवार का पेट पालन का काम होता है. पूरा साल हमें बेरोजगार रहकर छोटे-मोटे काम

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गन्ने का खाली पड़ा ठेला

सूनसान पड़ी चरखी में हो रही चोरियां

गन्ने की कुछ चरखी में चोरी के मामले भी सामने आए हैं. कुछ जगहों पर गले मोटर और वायरिंग को चोर ले गए हैं. इसके अलावा अधिकांश चरखियां सूनसान ही पड़ी हुई है. उनको कवर करके रख दिया गया है. अधिकांश बाहर से आने वाले चरखी संचालक अपने घरों को लौट गए, क्योंकि यहां पर उनके सामने राशन पानी की समस्या भी आ रही थी.

यह भी पढ़ें- कई बार हुआ गिरदावरी का काम, अब तक किसानों के खाते में नहीं डाला पैसा: गुलाबचंद कटारिया

पूरे परिवार की जिम्मेदारी कैसे उठाएंगे

गन्ने के जूस का धंधा करने वाले लोगों का कहना है कि उनके ऊपर 5 से 6 लोगों की जिम्मेदारी है. इन लोगों का कहना है कि बच्चों की फीस से लेकर बीमारी में भी पैसे की जरूरत होती है, लेकिन अब 2 महीने घर बैठने के बाद बचा हुआ पैसा भी खर्च हो गया है. हम लोग राशन के लिए भी मोहताज हो रहे हैं.

जो पैसा बचा था उसे दुकान जमाने में लगा दिया

सीवी गार्डन के नजदीक गन्ने के जूस का व्यापार करने वाले रघुवीर सुमन का कहना है कि उन्होंने मार्च में ही गन्ने का जूस निकालने की मशीन को तैयार करवाया था. इसके अलावा पूरी तैयारी कर दी थी. साथ ही 5 क्विंटल गन्ना भी खरीद लिया था. दुकान को महज 2 दिन ही संचालित किया था कि कोरोना वायरस लॉकडाउन हो गया. अब उनका जो गन्ना था वह भी सूख गया है.

यह भी पढे़ं- TOP 10 @1PM: एक क्लिक में जानिए राजस्थान की 10 बड़ी ख़बरें

लोगों में डर है कहीं कोरोना ना हो जाए

झालावाड़ रोड पर आईएल चौराहे के नजदीक गन्ने की चरखी संचालित करने वाली मांगी बाई का कहना है कि अगर वे अब दुकान लगा भी लेंगे, तो कोई बीमारी के चलते गन्ने का रस पीने की नहीं आएगा. लोगों को डर सताएगा कि उन्हें कहीं कोरोना वायरस नहीं हो जाए. मांगी बाई ने तो यहां तक कह डाला कि हमें भी नहीं पता कौन सा आदमी संक्रमित हैं. हम उसको गन्ने का रस पिलाएं, तो हम भी कोरोना वायरस की चपेट में आ सकते हैं.

कोटा. कोरोना वायरस से पूरे देश की अर्थव्यवस्था को ही हिलाकर रख दिया है. कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है. जो इसकी मार ना झेल रहा हो. गर्मी के दिनों में ही गन्ने के जूस की मांग चरम पर रहती है.

गर्मी के सीजन में गन्ने की चरखी लगाकर जूस पिलाने का काम करने वाले तबके के सामने भी समस्या खड़ी हो गई है. यह लोग पूरे सीजन की कमाई गर्मी के 4 महीनों में करते हैं. जबकि आधा सीजन लॉकडाउन में बंद होने के चलते चला गया है और अब कोरोना वायरस के खतरे के चलते लोग उनकी दुकानों तक भी नहीं आएंगे. लॉकडाउन 3.0 शुरू होने के बावजूद इनकी चरखी, दुकान और ठेले नहीं खुले हैं.

लॉकडाउन में गन्ना विक्रताओं को बड़ा घाटा

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कोटा में गन्ने की चरखी वालों के साथ यह समस्या एक या दो जगह नहीं करीब 300 से 400 जगह गन्ने की अलग-अलग चरखियां संचालित होती हैं. इनमें आरटीडीसी रोड, नयापुरा चौराहा, अग्रसेन चौराहा, बड़ तिराहा और डीसीएम रोड पर तो अधिकांश बाहर के लोग आकर ही यह धंधा करते हैं. नगर निगम को जगह का किराया भी जमा करा चुके थे. अब जब उनकी दुकान ही संचालित नहीं हो पाई, तो किराए का पैसा भी उनका ऐसे ही चला गया है.

सीजन में कमाते हैं पूरे सालभर का

गन्ने का ठेला लगाने वाले रणजीत का कहना है कि पूरे साल उनका 4 महीने ही धंधा ठीक से चलता है. मार्च से शुरू होने वाले सीजन के 4 महीनों में ही वे साल भर की कमाई कर लेते हैं. जिससे परिवार का पेट पालन का काम होता है. पूरा साल हमें बेरोजगार रहकर छोटे-मोटे काम

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गन्ने का खाली पड़ा ठेला

सूनसान पड़ी चरखी में हो रही चोरियां

गन्ने की कुछ चरखी में चोरी के मामले भी सामने आए हैं. कुछ जगहों पर गले मोटर और वायरिंग को चोर ले गए हैं. इसके अलावा अधिकांश चरखियां सूनसान ही पड़ी हुई है. उनको कवर करके रख दिया गया है. अधिकांश बाहर से आने वाले चरखी संचालक अपने घरों को लौट गए, क्योंकि यहां पर उनके सामने राशन पानी की समस्या भी आ रही थी.

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पूरे परिवार की जिम्मेदारी कैसे उठाएंगे

गन्ने के जूस का धंधा करने वाले लोगों का कहना है कि उनके ऊपर 5 से 6 लोगों की जिम्मेदारी है. इन लोगों का कहना है कि बच्चों की फीस से लेकर बीमारी में भी पैसे की जरूरत होती है, लेकिन अब 2 महीने घर बैठने के बाद बचा हुआ पैसा भी खर्च हो गया है. हम लोग राशन के लिए भी मोहताज हो रहे हैं.

जो पैसा बचा था उसे दुकान जमाने में लगा दिया

सीवी गार्डन के नजदीक गन्ने के जूस का व्यापार करने वाले रघुवीर सुमन का कहना है कि उन्होंने मार्च में ही गन्ने का जूस निकालने की मशीन को तैयार करवाया था. इसके अलावा पूरी तैयारी कर दी थी. साथ ही 5 क्विंटल गन्ना भी खरीद लिया था. दुकान को महज 2 दिन ही संचालित किया था कि कोरोना वायरस लॉकडाउन हो गया. अब उनका जो गन्ना था वह भी सूख गया है.

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लोगों में डर है कहीं कोरोना ना हो जाए

झालावाड़ रोड पर आईएल चौराहे के नजदीक गन्ने की चरखी संचालित करने वाली मांगी बाई का कहना है कि अगर वे अब दुकान लगा भी लेंगे, तो कोई बीमारी के चलते गन्ने का रस पीने की नहीं आएगा. लोगों को डर सताएगा कि उन्हें कहीं कोरोना वायरस नहीं हो जाए. मांगी बाई ने तो यहां तक कह डाला कि हमें भी नहीं पता कौन सा आदमी संक्रमित हैं. हम उसको गन्ने का रस पिलाएं, तो हम भी कोरोना वायरस की चपेट में आ सकते हैं.

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