कोटा. पूरे देश में श्रमिकों के लिए चलने वाली विशेष ट्रेन के किराए को लेकर राजनीति जमकर हो रही है. कोटा से अभी तक 9 विशेष ट्रेनें बच्चों को लेकर बिहार और झारखंड जा चुकी है. इनमें बैठने वाले बच्चों से किसी तरह का कोई किराया नहीं लिया गया है.
इन छात्रों का कहना है कि उन्होंने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अपना गूगल डॉक्यूमेंट के जरिए करवाया था. इसके बाद उन्हें जिला कलेक्टर कोटा से एक एसएमएस मिला है. वहीं इनका रिजर्वेशन हो गया. उन्हें किसी तरह का कोई किराया नहीं देना पड़ा है.
जिले के अनुसार तय कर रखे हैं कोच
कोटा से बिहार और झारखंड गई ट्रेनों में जिलों के अनुसार को तय कर दिए गए हैं. साथ ही अलग-अलग डिवीजन बनाकर जिलों को विभाजित कर दिया है और उन्हीं के अनुसार ट्रेनें चलाई जा रही हैं. स्टेशन पर जब स्टूडेंट आता है तो उसकी स्क्रीनिंग की जाती है. इसके बाद उसे कोच नंबर बता कर भेज दिया जाता है. कोचिंग संस्थान का स्टाफ ही बच्चों को सीट अलॉट कर देता है. सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए एक कोच में 54 छात्रों को ही बैठाया जा रहा है.
15 फीसदी किराया चुका रहा बिहार-झारखंड
कोटा से अब तक 2 ट्रेनें झारखंड और 7 ट्रेनें बिहार के लिए रवाना हुई हैं. अधिकांश छात्र अपने गृह जिलों को पहुंच गए हैं. ऐसे में रेलवे ने 85 फीसदी किराए में छूट दी है. वहीं 15 फीसदी किराया जो है, जिस राज्य के यह बच्चे हैं, वह सरकार दे रही है.
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रेलवे सूत्रों के अनुसार एक अनुमान के मुताबिक एक ट्रेन पर आने-जाने का खर्चा करीब 35-40 लाख रुपए हो रहा है. इसमें से 85 फ़ीसदी पैसा रेलवे दे रहा है. जबकि 6 लाख के आसपास रुपए बिहार सरकार प्रति ट्रेन दे रही है. हालांकि दूरी के अनुसार यह कम ज्यादा हो रहा है.
कुली को देना पड़ रहा है पैसा
स्टेशन पर छात्र-छात्राओं का सामान उठाने के लिए निजी कोचिंग संस्थान ने अपने कई कार्मिक लगाए हुए हैं. लेकिन इसके बावजूद भी छात्र ज्यादा होते हैं, तो पुलिस भी छात्रों का सामान उठाने के लिए लेकर जा रहे हैं. हालांकि कुलियों को उन्हें पैसा देना पड़ रहा है. जबकि जो निजी कोचिंग संस्थान के कार्मिक हैं, उन्हें किसी तरह का कोई भुगतान नहीं देना पड़ रहा है.
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ऑटो चालक भी ले रहे मनमाना किराया
कुछ लोगों ने शिकायत की है कि उनके हॉस्टल या पीजी से स्टेशन आने के लिए ऑटो करना पड़ता है. जिसका पहले किराया 150 से 200 हुआ करता था. जो कि बढ़ाकर 500 से ज्यादा लिया जा रहा है. ऐसे में ऑटो चालक भी स्टूडेंट से अवैध रूप से ज्यादा किराया ले रहे हैं. ऐसे में ज्यादा किराया देना छात्रों की मजबूरी बन गई है.