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स्पेशल: 7 करोड़ से बनी किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट को डेढ़ महीने से पहले मरीज का इंतजार... - आइसोलेशन इंटेंसिव केयर सेंटर

प्रदेश का तीसरा ऐसा शहर कोटा (Kota)बन गया है, जहां पर सरकारी स्तर पर किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार (Rajasthan Government) ने 7 करोड़ रुपए खर्च किए है. इस लागत से बनकर  किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट (Kidney Transplant Unit) बनकर तैयार है, लेकिन उसे पहली सर्जरी यानी किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार है.

kidney transplant unit
कोटा के किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट को मरीज का इंतजार
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Published : Oct 9, 2021, 1:28 PM IST

Updated : Oct 9, 2021, 1:36 PM IST

कोटा: कोटा (Kota) प्रदेश का तीसरा ऐसा शहर है, जहां पर सरकारी स्तर पर किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार ने 7 करोड रुपए खर्च किए है. इस लागत से बनकर किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट बनकर तैयार है, लेकिन उसे पहली सर्जरी यानी किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार है. डेढ़ महीने के लंबे अंतराल के बाद भी एक भी मरीज अभी तक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कोटा के सेंटर को नहीं मिला है. इसके चलते यह सेंटर अभी शुरू नहीं हो पाया है.

ये भी पढ़ें- मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के नीचे से गुजरेगी 8 लेन अत्याधुनिक टनल..5 KM की टनल में न मोबाइल नेटवर्क जाएगा, न FM बंद होगा

मेडिकल कॉलेज कोटा (Medical College Kota) का नेफ्रोलॉजी विभाग (Nephrology Department) इसके लिए लगातार प्रयासरत है. प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने गत 20 अगस्त को ही इस इवेंट का उद्घाटन किया था. जिसके बाद इस यूनिट में पूरी सुविधाएं विकसित कर दी गई है.

7 करोड़ से बनी किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट

इसके पहले जयपुर (Jaipur) के एसएमएस (SMS), जोधपुर एम्स और डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ तीसरा सेंटर सरकारी स्तर पर कोटा में स्थापित हुआ है. हालांकि जोधपुर मेडिकल कॉलेज का सेंटर अभी बंद है. क्योंकि उसको मिली अनुमति किस समय सीमा निकल गई है ऐसे में वहां ट्रांसप्लांट बंद हो गए हैं. निजी स्तर पर करीब 10 से ज्यादा सेंटर किडनी ट्रांसप्लांट प्रदेश में करवा रहे हैं।

30 से ज्यादा मरीजों से किया संपर्क, 5 ने दिखाया केवल रूझान

नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने 30 से ज्यादा मरीजों से संपर्क किया है, जो कि या तो अस्पताल में डायलिसिस (Dialysis In Kota) कराने आते हैं या फिर उन्हें सख्त किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant In Kota) की जरूरत है, लेकिन इनमें से अभी एक भी मरीज ट्रांसप्लांट करवाने के लिए तैयार कोटा में नहीं हुआ है. हालांकि कुछ मरीजों ने इस दौरान भी मेट्रो सिटीज और जयपुर जाकर किडनी ट्रांसप्लांट करवाया है.

नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. विकास खंडेलिया का कहना है कि आधा दर्जन मरीजों का रुझान सामने आया है. जिनको जांचे लिखकर दी गई है. जल्द ही यह मरीज आएंगे और उनके फिट होने पर ट्रांसप्लांट करवाया जाएगा. शुरुआत में एक-दो मरीजों का ट्रांसप्लांट हो जाने के बाद में कोटा मेडिकल कॉलेज को कहीं भी देखने की जरूरत नहीं होगी, लगातार मरीजों के साथ लांच होगा.

दो मॉड्यूलर ओटी के साथ 3 बेड का आइसोलेशन आईसीयू तैयार

रिनल ट्रांसप्लांट सेंटर के लिए 7 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे. इसमें से करीब 1 करोड़ 90 लाख रुपए में सिविल वर्क किया गया है. जिसमें तीन बेड का आइसोलेशन इंटेंसिव केयर सेंटर (IICU), ऑपरेशन थिएटर व रिकवरी रूम, सेपरेट कॉरिडोर, लोबी, ऑब्जर्वेशन, ओटी स्टोर और ऑटोक्लेव्ड रूम भी तैयार हुए हैं. इसके साथ ही 5 करोड रुपए की मशीनरी भी खरीदी गई है. जिनमें एचडी लेप्रोस्कोपिक सेट, एनएसथीसिया वर्क स्टेशन, ओटी टेबल, सर्जिकल हैंड इंस्ट्रूमेंट, लॉन्ड्री डायलिसिस मशीन, आरो प्लांट, इन्फ्यूजन पंप, वेंटिलेटर, मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम स्थापित किए गए हैं.

80 से 85 फीसदी सक्सेज रेट

डॉ. विकास खंडेलिया का कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों के सक्सेस रेट 80 से 85 फ़ीसदी तक होती है. शुरुआत में वह जिन मरीजों का ब्लड ग्रुप में व ह्यूमन ल्युकाेसाइट एंटीजन (एचएलए) की क्रॉस मैचिंग होंगे, उन लोगों को किया जाएगा. बाद में जिन लोगों का ब्लड ग्रुप भी मैच नहीं होता है, उनके भी ट्रांसप्लांट किए जाएंगे. चिकित्सकों का कहना है कि मरीज को ट्रांसप्लांट के पहले नेफ्रोलॉजी विभाग देखता है. ट्रांसप्लांट का काम यूरोलॉजी विभाग करेगा. बाद में पोस्ट ऑपरेटिव केयर एनेस्थीसिया और नेफ्रोलॉजी विभाग साथ मिलकर करेगा.

kidney transplant unit
7 करोड़ से बनी किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट

हर साल करीब 700 मरीज, जिनको ट्रांसप्लांट का इंतजार

नेफ्रोलॉजी विभाग के अनुसार रोज करीब 40 मरीज डायलिसिस के लिए मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में आते हैं. इसके साथ ही पूरे साल में करीब 700 के आसपास ने मरीज किडनी फेलियर के मरीज आते हैं जिनको की ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है. हालांकि इनमें से करीब 50 से 60 लोग बड़े सेंटर पर जाकर किडनी ट्रांसप्लांट करवा भी लेते हैं.

बड़े सेंटरों पर 5 से 10 लाख, कोटा में महज दो लाख में होगा खर्चा

मेट्रो सिटीज में रिनल ट्रांसप्लांट के लिए करीब 5 से 10 लाख रुपए का खर्चा होता है. जयपुर के प्राइवेट सेंटरों के अलावा गुजरात, दिल्ली, मुंबई और अन्य बड़े शहर शामिल हैं. यहां पर अब रिनल ट्रांसप्लांट आम बात हो गई है. जबकि कोटा के चिकित्सकों का दावा है कि मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में ट्रांसप्लांट सर्जरी का खर्चा 2 लाख के आसपास ही आएगा. इसके साथ ही कोटा के चिकित्सकों का कहना है कि वह स्थानीय स्तर पर निचले तबके के मरीजों को कुछ मदद भी सामाजिक संस्थाओं से करवा देंगे. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में कई जांच हेतु निशुल्क हो जाती है साथ ही कई दवाइयां जो कि रिनल ट्रांसप्लांट के बाद में उपयोगी होती है. वह भी निशुल्क मिलती है. कुछ दवाइयां मरीजों को खरीदनी पड़ती है.

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7 करोड़ से बनी किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट

भामाशाह में शामिल था, चिरंजीवी में नहीं

पिछली सरकार के समय शुरू हुई भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत रिनल ट्रांसप्लांट का पैकेज भी शामिल था, जो कि एक लाख 75 हजार रुपए का था. हालांकि अब इस योजना को मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में जोड़ दिया गया है, लेकिन इसमें रिनल ट्रांसप्लांट का पैकेज नहीं है. इसके चलते भी जो निचले तबके के लोग हैं, जो कि 2 लाख रुपए अफोर्ड नहीं कर पा रहे हैं. उन्हें इस योजना के तहत भी मदद नहीं मिल पा रही है.

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7 करोड़ से बनी किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट

एक करोड़ से ज्यादा की एचएलए लैब स्थापित हो रही

कोटा में वर्तमान स्थिति में मरीजों की टिश्यू मैचिंग के लिए होने वाली ह्यूमन ल्युकाेसाइट एंटीजन (Human Leuckocyte Antigen) जांच वर्तमान में कोटा (Kota) में नहीं हो रही है. मरीज सामने आने पर यह जांच निजी स्तर पर करवाई जाएगी. इसके बाद एक करोड़ 30 लाख रुपए की एचएलए लैब भी कोटा (HLA Lab Kota) में स्थापित की जा रही है. ये मेडिकल कॉलेज (Medical College Kota) के नए अस्पताल के ब्लड बैंक में स्थापित होगी. जिसके जरिए किडनी डोनर और रिसिपिएंट के टिश्यू की मैचिंग की जाती है. ऐसे ही पता चलता है कि जिसकी किडनी निकाली जा रही है और जिस मरीज को लगाई जाएगी, वह उपयोग में ली जा सकेगी या नहीं.

कोटा: कोटा (Kota) प्रदेश का तीसरा ऐसा शहर है, जहां पर सरकारी स्तर पर किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार ने 7 करोड रुपए खर्च किए है. इस लागत से बनकर किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट बनकर तैयार है, लेकिन उसे पहली सर्जरी यानी किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार है. डेढ़ महीने के लंबे अंतराल के बाद भी एक भी मरीज अभी तक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कोटा के सेंटर को नहीं मिला है. इसके चलते यह सेंटर अभी शुरू नहीं हो पाया है.

ये भी पढ़ें- मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के नीचे से गुजरेगी 8 लेन अत्याधुनिक टनल..5 KM की टनल में न मोबाइल नेटवर्क जाएगा, न FM बंद होगा

मेडिकल कॉलेज कोटा (Medical College Kota) का नेफ्रोलॉजी विभाग (Nephrology Department) इसके लिए लगातार प्रयासरत है. प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने गत 20 अगस्त को ही इस इवेंट का उद्घाटन किया था. जिसके बाद इस यूनिट में पूरी सुविधाएं विकसित कर दी गई है.

7 करोड़ से बनी किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट

इसके पहले जयपुर (Jaipur) के एसएमएस (SMS), जोधपुर एम्स और डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ तीसरा सेंटर सरकारी स्तर पर कोटा में स्थापित हुआ है. हालांकि जोधपुर मेडिकल कॉलेज का सेंटर अभी बंद है. क्योंकि उसको मिली अनुमति किस समय सीमा निकल गई है ऐसे में वहां ट्रांसप्लांट बंद हो गए हैं. निजी स्तर पर करीब 10 से ज्यादा सेंटर किडनी ट्रांसप्लांट प्रदेश में करवा रहे हैं।

30 से ज्यादा मरीजों से किया संपर्क, 5 ने दिखाया केवल रूझान

नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने 30 से ज्यादा मरीजों से संपर्क किया है, जो कि या तो अस्पताल में डायलिसिस (Dialysis In Kota) कराने आते हैं या फिर उन्हें सख्त किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant In Kota) की जरूरत है, लेकिन इनमें से अभी एक भी मरीज ट्रांसप्लांट करवाने के लिए तैयार कोटा में नहीं हुआ है. हालांकि कुछ मरीजों ने इस दौरान भी मेट्रो सिटीज और जयपुर जाकर किडनी ट्रांसप्लांट करवाया है.

नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. विकास खंडेलिया का कहना है कि आधा दर्जन मरीजों का रुझान सामने आया है. जिनको जांचे लिखकर दी गई है. जल्द ही यह मरीज आएंगे और उनके फिट होने पर ट्रांसप्लांट करवाया जाएगा. शुरुआत में एक-दो मरीजों का ट्रांसप्लांट हो जाने के बाद में कोटा मेडिकल कॉलेज को कहीं भी देखने की जरूरत नहीं होगी, लगातार मरीजों के साथ लांच होगा.

दो मॉड्यूलर ओटी के साथ 3 बेड का आइसोलेशन आईसीयू तैयार

रिनल ट्रांसप्लांट सेंटर के लिए 7 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे. इसमें से करीब 1 करोड़ 90 लाख रुपए में सिविल वर्क किया गया है. जिसमें तीन बेड का आइसोलेशन इंटेंसिव केयर सेंटर (IICU), ऑपरेशन थिएटर व रिकवरी रूम, सेपरेट कॉरिडोर, लोबी, ऑब्जर्वेशन, ओटी स्टोर और ऑटोक्लेव्ड रूम भी तैयार हुए हैं. इसके साथ ही 5 करोड रुपए की मशीनरी भी खरीदी गई है. जिनमें एचडी लेप्रोस्कोपिक सेट, एनएसथीसिया वर्क स्टेशन, ओटी टेबल, सर्जिकल हैंड इंस्ट्रूमेंट, लॉन्ड्री डायलिसिस मशीन, आरो प्लांट, इन्फ्यूजन पंप, वेंटिलेटर, मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम स्थापित किए गए हैं.

80 से 85 फीसदी सक्सेज रेट

डॉ. विकास खंडेलिया का कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों के सक्सेस रेट 80 से 85 फ़ीसदी तक होती है. शुरुआत में वह जिन मरीजों का ब्लड ग्रुप में व ह्यूमन ल्युकाेसाइट एंटीजन (एचएलए) की क्रॉस मैचिंग होंगे, उन लोगों को किया जाएगा. बाद में जिन लोगों का ब्लड ग्रुप भी मैच नहीं होता है, उनके भी ट्रांसप्लांट किए जाएंगे. चिकित्सकों का कहना है कि मरीज को ट्रांसप्लांट के पहले नेफ्रोलॉजी विभाग देखता है. ट्रांसप्लांट का काम यूरोलॉजी विभाग करेगा. बाद में पोस्ट ऑपरेटिव केयर एनेस्थीसिया और नेफ्रोलॉजी विभाग साथ मिलकर करेगा.

kidney transplant unit
7 करोड़ से बनी किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट

हर साल करीब 700 मरीज, जिनको ट्रांसप्लांट का इंतजार

नेफ्रोलॉजी विभाग के अनुसार रोज करीब 40 मरीज डायलिसिस के लिए मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में आते हैं. इसके साथ ही पूरे साल में करीब 700 के आसपास ने मरीज किडनी फेलियर के मरीज आते हैं जिनको की ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है. हालांकि इनमें से करीब 50 से 60 लोग बड़े सेंटर पर जाकर किडनी ट्रांसप्लांट करवा भी लेते हैं.

बड़े सेंटरों पर 5 से 10 लाख, कोटा में महज दो लाख में होगा खर्चा

मेट्रो सिटीज में रिनल ट्रांसप्लांट के लिए करीब 5 से 10 लाख रुपए का खर्चा होता है. जयपुर के प्राइवेट सेंटरों के अलावा गुजरात, दिल्ली, मुंबई और अन्य बड़े शहर शामिल हैं. यहां पर अब रिनल ट्रांसप्लांट आम बात हो गई है. जबकि कोटा के चिकित्सकों का दावा है कि मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में ट्रांसप्लांट सर्जरी का खर्चा 2 लाख के आसपास ही आएगा. इसके साथ ही कोटा के चिकित्सकों का कहना है कि वह स्थानीय स्तर पर निचले तबके के मरीजों को कुछ मदद भी सामाजिक संस्थाओं से करवा देंगे. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में कई जांच हेतु निशुल्क हो जाती है साथ ही कई दवाइयां जो कि रिनल ट्रांसप्लांट के बाद में उपयोगी होती है. वह भी निशुल्क मिलती है. कुछ दवाइयां मरीजों को खरीदनी पड़ती है.

kidney transplant unit
7 करोड़ से बनी किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट

भामाशाह में शामिल था, चिरंजीवी में नहीं

पिछली सरकार के समय शुरू हुई भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत रिनल ट्रांसप्लांट का पैकेज भी शामिल था, जो कि एक लाख 75 हजार रुपए का था. हालांकि अब इस योजना को मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में जोड़ दिया गया है, लेकिन इसमें रिनल ट्रांसप्लांट का पैकेज नहीं है. इसके चलते भी जो निचले तबके के लोग हैं, जो कि 2 लाख रुपए अफोर्ड नहीं कर पा रहे हैं. उन्हें इस योजना के तहत भी मदद नहीं मिल पा रही है.

kidney transplant unit
7 करोड़ से बनी किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट

एक करोड़ से ज्यादा की एचएलए लैब स्थापित हो रही

कोटा में वर्तमान स्थिति में मरीजों की टिश्यू मैचिंग के लिए होने वाली ह्यूमन ल्युकाेसाइट एंटीजन (Human Leuckocyte Antigen) जांच वर्तमान में कोटा (Kota) में नहीं हो रही है. मरीज सामने आने पर यह जांच निजी स्तर पर करवाई जाएगी. इसके बाद एक करोड़ 30 लाख रुपए की एचएलए लैब भी कोटा (HLA Lab Kota) में स्थापित की जा रही है. ये मेडिकल कॉलेज (Medical College Kota) के नए अस्पताल के ब्लड बैंक में स्थापित होगी. जिसके जरिए किडनी डोनर और रिसिपिएंट के टिश्यू की मैचिंग की जाती है. ऐसे ही पता चलता है कि जिसकी किडनी निकाली जा रही है और जिस मरीज को लगाई जाएगी, वह उपयोग में ली जा सकेगी या नहीं.

Last Updated : Oct 9, 2021, 1:36 PM IST
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