कोटा: लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Speaker Om Birla) कोटा के दौरे (Kota Visit) पर हैं. उन्होंने कोविड-19 से अपने पैरंट्स को खो चुके बच्चों से मुलाकात की . ये वह बच्चे हैं, जो कि देश भर से कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा (Competitive Exams) की तैयारी के लिए आए हैं. इनको लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की प्रेरणा से ही कोटा के निजी कोचिंग संस्थान ने निशुल्क पढ़ाने का निर्णय लिया था.
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ओम बिरला की पहल पर हुआ मुमकिन
यह सब बच्चे ऑफलाइन कोचिंग लेने के लिए अब कोटा पहुंच गए हैं. यहां के हॉस्टल संचालक भी इन्हें निशुल्क रख रहे है. साथ ही इनको निशुल्क ही शिक्षा दी जा रही है. पहले यह बच्चे ऑनलाइन कोचिंग (Online Coaching) ही इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की निशुल्क कर रहे थे, लेकिन हाल ही में सरकार ने गाइडलाइन (Guideline) जारी करते हुए कोचिंग संस्थानों को खोल दिया. ऐसे में यह करीब 150 बच्चे कोटा आ गए हैं. जिनकी पढ़ाई और कोटा में रहने पर करोड़ों रुपए का खर्चा होगा.
लोकसभा स्पीकर एक एक बच्चे से आत्मीयता से मिले और उनकी पारिवारिक स्थिति के साथ-साथ पूरे परिवार का परिचय भी उनसे लिया. इसके साथ ही कोटा में किसी तरह की कोई समस्या तो उन्हें नहीं हो रही है, इस संबंध में भी बिरला ने जानकारी बच्चों से ली है. साथ ही उन्होंने बच्चों को आश्वस्त किया है कि वह कोटा में किसी तरह की कोई परेशानी उन्हें नहीं होने देंगे.
'इनका भविष्य हमारी जिम्मेदारी'
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Speaker Om Birla) का कहना है कि जिन बच्चों ने महामारी (Corona) के समय अपने पैरंट्स को खो दिया, उनका भविष्य सुरक्षित करना हम सबकी जिम्मेदारी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोटा को शिक्षा की काशी (Shiksha Ki Kashi) कहा था, ऐसे में हमने कदम उठाते हुए इन बच्चों को मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करवा रहे हैं. बिरला ने कहा कि इन बच्चों की अभिभावक अब नहीं रहे हैं. ऐसे में हमें ही इनका अभिभावक रहकर इनके भविष्य की चिंता करनी होगी.
बच्चों को मिला हौसला
बच्चे भी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलकर काफी प्रसन्न थे. सभी बच्चों में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के साथ सेल्फी लेने का क्रेज देखा गया. इस दौरान निजी कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने भी जानकारी दी कि इन बच्चों को हर तरह की सुविधा यहां पर निशुल्क दी जा रही है. साथ ही किसी भी तरह की कोई परेशानी होने पर इन बच्चों को कांटेक्ट नंबर दिए हुए हैं. ताकि वह संस्थान के प्रबंधन से जुड़े हुए लोगों से संपर्क कर सके और उनकी समस्याओं का तुरंत निदान किया जा सके.