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शाहबाद में पकड़े गए रिश्वत के आरोपी बोले- RAS लोढ़ा के लिए ली थी घूस की राशि...

कोटा ACB की पूछताछ में मंगलवार को रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किए गए तीनों अभियुक्तों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने रिश्वत की राशि एडीएम सहरिया विकास डॉ. महेंद्र कुमार लोढ़ा के लिए ली थी. साथ ही यह भी कहा कि सत्यापन के दौरान रिश्वत के 12 हजार रुपए लिए थे. उनमें से भी 10 हजार रुपए एडीएम डॉक्टर महेंद्र कुमार लोढ़ा को दिए थे.

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सत्यापन के दौरान भी लिए थे 10 हजार
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Published : Jun 17, 2020, 6:22 PM IST

कोटा. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने रिश्वत के मामले में बारां जिले के शाहबाद से गिरफ्तार किए तीनों सरकारी कार्मिक बुधवार को न्यायालय में पेश किए गए. जहां से उन्हें एक जुलाई के लिए न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है.

सत्यापन के दौरान भी लिए थे 10 हजार

इससे पहले एसीबी की पूछताछ में तीनों अभियुक्तों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने रिश्वत की राशि एडीएम सहरिया विकास डॉ. महेंद्र कुमार लोढ़ा के लिए ली थी. साथ ही रिश्वत के मामले के तीनों आरोपियों ने यह भी कहा कि सत्यापन के दौरान रिश्वत के 12 हजार रुपए लिए थे. उनमें से भी 10 हजार रुपए एडीएम डॉक्टर महेंद्र कुमार लोढ़ा को दिए थे. न्यायालय के आदेश पर तीनों आरोपी एडीएम ऑफिस के सीनियर कार्यालय सहायक आशीष कुमार शर्मा, सहरिया आश्रम छात्रावास के अधीक्षक अजय गर्ग और एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल के वार्डन अशोक कुमार शर्मा को जेल भेज दिया है. तीनों आरोपी मंगलवार को 13 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए थे.

यह भी पढ़ेंः कोटा: ACB ने 3 सरकारी कार्मिकों को 13 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा, ADM भी संदेह के दायरे में

जिस बिल की रिश्वत मिली, वो पास हो गए...

एसीबी के निरीक्षक अजीज बागडोलिया का कहना है कि एडीएम ऑफिस का कार्यालय सहायक आशीष कुमार शर्मा ने पहले भी आरएएस अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह लोढ़ा के लिए पैसे लिए हैं, जिन बिलों के लिए उसने पहले पैसे लिए हैं, वह पास हो गए हैं और बाकी पेंडिंग हैं. साथ ही उनका कहना है रिश्वत मांगने के दौरान जब आरएएस अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह लोढ़ा का सत्यापन किया गया था. उसमें भी उन्होंने परिवादी को आश्वासन दिया था कि आहरण-वितरण अधिकार वापस दे देंगे. इसके बाद उन्होंने बात नहीं की और आशीष की ओर उन्होंने इशारा कर दिया था.

जांच के लिए ऑफिस से उठाए डॉक्यूमेंट, लाखों के बिल पेंडिंग...

एसीबी के अधिकारियों ने एडीएम सहरिया विकास डॉक्टर महेंद्र कुमार लोढ़ा के शाहाबाद कार्यालय से बड़ी मात्रा में डॉक्यूमेंट उठाए हैं, जिनके जरिए एक बड़े गड़बड़ झाले का खुलासा हो सकता है. एसीबी इन सभी डॉक्यूमेंट का विश्लेषण करने में जुट गई है. हालांकि एसीबी की टीम ने वहां पर पेंडिंग पड़े बड़ी मात्रा के बिल उठाए हैं. यह बिल लाखों रुपए के हैं, जो कि स्वीकृत नहीं किए गए थे.

कोटा. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने रिश्वत के मामले में बारां जिले के शाहबाद से गिरफ्तार किए तीनों सरकारी कार्मिक बुधवार को न्यायालय में पेश किए गए. जहां से उन्हें एक जुलाई के लिए न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है.

सत्यापन के दौरान भी लिए थे 10 हजार

इससे पहले एसीबी की पूछताछ में तीनों अभियुक्तों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने रिश्वत की राशि एडीएम सहरिया विकास डॉ. महेंद्र कुमार लोढ़ा के लिए ली थी. साथ ही रिश्वत के मामले के तीनों आरोपियों ने यह भी कहा कि सत्यापन के दौरान रिश्वत के 12 हजार रुपए लिए थे. उनमें से भी 10 हजार रुपए एडीएम डॉक्टर महेंद्र कुमार लोढ़ा को दिए थे. न्यायालय के आदेश पर तीनों आरोपी एडीएम ऑफिस के सीनियर कार्यालय सहायक आशीष कुमार शर्मा, सहरिया आश्रम छात्रावास के अधीक्षक अजय गर्ग और एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल के वार्डन अशोक कुमार शर्मा को जेल भेज दिया है. तीनों आरोपी मंगलवार को 13 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए थे.

यह भी पढ़ेंः कोटा: ACB ने 3 सरकारी कार्मिकों को 13 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा, ADM भी संदेह के दायरे में

जिस बिल की रिश्वत मिली, वो पास हो गए...

एसीबी के निरीक्षक अजीज बागडोलिया का कहना है कि एडीएम ऑफिस का कार्यालय सहायक आशीष कुमार शर्मा ने पहले भी आरएएस अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह लोढ़ा के लिए पैसे लिए हैं, जिन बिलों के लिए उसने पहले पैसे लिए हैं, वह पास हो गए हैं और बाकी पेंडिंग हैं. साथ ही उनका कहना है रिश्वत मांगने के दौरान जब आरएएस अधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह लोढ़ा का सत्यापन किया गया था. उसमें भी उन्होंने परिवादी को आश्वासन दिया था कि आहरण-वितरण अधिकार वापस दे देंगे. इसके बाद उन्होंने बात नहीं की और आशीष की ओर उन्होंने इशारा कर दिया था.

जांच के लिए ऑफिस से उठाए डॉक्यूमेंट, लाखों के बिल पेंडिंग...

एसीबी के अधिकारियों ने एडीएम सहरिया विकास डॉक्टर महेंद्र कुमार लोढ़ा के शाहाबाद कार्यालय से बड़ी मात्रा में डॉक्यूमेंट उठाए हैं, जिनके जरिए एक बड़े गड़बड़ झाले का खुलासा हो सकता है. एसीबी इन सभी डॉक्यूमेंट का विश्लेषण करने में जुट गई है. हालांकि एसीबी की टीम ने वहां पर पेंडिंग पड़े बड़ी मात्रा के बिल उठाए हैं. यह बिल लाखों रुपए के हैं, जो कि स्वीकृत नहीं किए गए थे.

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