कोटा: शहर के कोचिंग संस्थान अप्रैल महीने से बंद पड़े हैं. लेकिन हजारों की संख्या में मेडिकल-इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र कोटा में ही हैं. वह यहां पर ही हॉस्टल, पीजी में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. अब स्टूडेंट्स ऑनलाइन पढ़ाई से परेशान हो चुके हैं. वह भी कोटा के कोचिंग संस्थानों को ऑफलाइन संचालित करने की मांग कर चुके हैं.
इन छात्रों ने कोटा के कोचिंग संस्थान को खुलवाने के लिए चल रहे आंदोलन में भी समर्थन किया है और कई प्रदर्शनों में शामिल भी हुए हैं. स्टूडेंट्स का कहना है कि उनके डाउट क्लियर नहीं हो रहे हैं. पढ़ाई में भी पिछड़ते जा रहे हैं. कुछ छात्रों ने कंप्यूटर या मोबाइल की स्क्रीन को देखने से आंखों को लेकर समस्या बताई.
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स्टूडेंट्स का यह भी कहना है कि पढ़ाई के दौरान नेटवर्क कनेक्टिविटी का भी इश्यू रहता है. जिसके चलते भी ठीक से नहीं पढ़ पाते हैं. ऑनलाइन एग्जाम लिए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें वह माहौल नहीं मिलता जो क्लासरूम एग्जाम में मिलता था.
अभिभावकों का भी कहना है कि बच्चे स्ट्रेस में हैं. ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चों को कुछ समझ नहीं आ रहा है. अगर ऑफलाइन कोचिंग नहीं खोली गई तो उन्हें एंट्रेंस एग्जाम में सिलेक्ट होने में भी दिक्कत होगी.
बिहार के गया निवासी उज्ज्वल कुमार का कहना है कि कोरोना के दौरान भी वह 4 महीने से कोटा में ही रूके हुए हैं. ऑनलाइन पढ़ाई में कई प्रॉब्लम आ रहे हैं. झारखंड के देवगढ़ निवासी अनिकेत का कहना है कि जेईई मेन की तैयारी भी कर रहे हैं. ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से आंखों में तकलीफ होने लगी है. ऑनलाइन पढ़ाई में जो टॉपिक मिस हो जाता है, उसे दोबारा समझ नहीं पा रहे हैं.
दिल्ली के नोमान का कहना है कि इंटरनेट पर हाई स्पीड इंटरनेट के पैक लिए हुए हैं, लेकिन दिन भर ऑनलाइन ही पढ़ाई से नेट पैक भी खत्म हो जाता है. पिछले साल ग्यारहवीं की पढ़ाई पूरी ऑनलाइन हुई. अब आईआईटी की तैयारी कर रहा हूं, लेकिन मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है. कुछ समझ में भी नहीं आ रहा है, लगातार पीछे होता जा रहा हूं. कोचिंग में हमें 11वीं का रिवीजन भी करवाया जा रहा था, लेकिन अब सब कुछ बंद हो गया है. 12वीं की पढ़ाई भी हमें करनी है, क्योंकि बोर्ड के एग्जाम भी हैं.
स्टूडेंट्स का कहना है कि उनको आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम के लिए दो ही अवसर मिलते हैं. शुरू में कुछ दिन कोचिंग खुले थे, तब हमने एक भी क्लास मिस नहीं की. अचानक अप्रैल में कोचिंग बंद हो गई, तब से परेशान हैं. अगर पहले अटेम्प्ट में हम ठीक से नहीं पढ़ पाए तो एक ही अटेंप्ट हमारे पास बचेगा. इससे हमें आगे चलकर समस्या आएगी.
स्टूडेंट्स के मुताबिक क्लास रूम में टेस्ट से प्रैक्टिस होती है, लेकिन अब यह सुविधा भी नहीं है. ओएमआर शीट भरने की प्रैक्टिस और एग्जामिनेशन हॉल में बैठने का माहौल भी नहीं मिलता है. हम हॉस्टल के रूम में बैठ कर टेस्ट देते हैं. हॉस्टल रूम में बैठकर पढ़ाई करने से टाइम मैनेजमेंट भी नहीं हो पाता है कि किस तरह से रिवीजन करना है.
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इटारसी निवासी वामनराज चौधरी का कहना है कि उनकी बेटी कोटा से आईआईटी एंट्रेंस की तैयारी कर रही है. कोटा की ऑफलाइन कोचिंग की वैल्यू ज्यादा होती है. ऑनलाइन पढ़ाई से स्टूडेंट्स संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं. कॉन्फिडेंस भी नहीं आ रहा है कि कितनी पढ़ाई हो पा रही है. ऑफलाइन कोचिंग में स्टूडेंट्स के बीच जो माहौल होता है, वह भी नहीं मिलता है.
कोटा में अपनी बच्ची को कोचिंग करा रहीं रिंकू का कहना है कि वे और उनकी बेटी स्ट्रेस में हैं. बची ऑनलाइन की वजह से ठीक से पढ़ाई नहीं कर पा रही है. वह बार-बार पढ़ाई में पिछड़ने की ही बात करती है. इसी के चलते कमजोर भी हो रही है. मैं भी उसे देखकर स्ट्रेस में रहने लगी हूं.
स्टूडेंट्स के मुताबिक ऑनलाइन पढ़ाई में सीधा फैकल्टी से इंटरेक्ट नहीं कर पाते हैं. हमारे कोई सवाल होते हैं तो लाइव लेक्चर के बाद सभी स्टूडेंट एक साथ क्वेरी कर देते हैं. जिसका जवाब फैकल्टी एक साथ नहीं दे पाते हैं. ऐसे में हमारे डाउट के रिप्लाई दो से 3 दिन बाद आ रहे हैं. जबकि ऑफलाइन क्लासेज में सभी प्रश्नों का उत्तर तुरंत मिल जाता है.