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गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2016 में किए गए संशोधन को निरस्त करने की मांग, सौंपा ज्ञापन

गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2016 में कुछ संशोधन किए गए हैं. जिसको लेकर सोमवार को गौवंश संरक्षण संघर्ष समिति ने किए गए संशोधन को निरस्त करने की मांग की है. इस संबंध में समिति के लोगों ने जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा है.

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गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2016 में हुए संशोधन को निरस्त करने की मांग
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Published : Sep 7, 2020, 5:58 PM IST

अजमेर. शहर में गौवंश संरक्षण संघर्ष समिति की ओर से गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2016 में किए गए संशोधन को निरस्त करने की मांग की गई है. इस संबंध में जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया.

गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2016 में हुए संशोधन को निरस्त करने की मांग

गौवंश संरक्षण संघर्ष समिति का कहना है कि राज्य सरकार ने साल 2016 में राज्य के निराश्रित अभंग और वृद्ध गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2016 बनाया था. इसके तहत राज्य की पंजीकृत गौशालाओं और कांजी हाउस में आवाज सहित गौवंश के पालन पोषण की सहायता राशि देने का प्रावधान किया गया था.

राज्य सरकार ने राजस्थान स्टांप अधिनियम 1988 की धारा 3 ख के तहत स्टांप ड्यूटी पर अधिभार से प्राप्त राशि सिर्फ गौवंश संरक्षण और संवर्धन के लिए व्यय का प्रावधान कर स्थाई राशि की व्यवस्था भी की थी. समिति के अनुसार प्रदेश में पंजीकृत और अब पंजीकृत लगभग 35 सो गौशाला है. इनमें से लगभग 1980 गौशालाओं को भी एक वित्तीय साल में 180 दिन की ही सहायता के तहत बड़े गौवंश का 40 रुपए और छोटे गोवंश का 20 रुपए प्रति गौवंश के हिसाब से राशि दी जाती रही है. शेष दिनों की व्यवस्थाएं गौशाला ये अपने स्तर पर करती हैं.

पढ़ें- 'पायलट लोगों के दिलों में बसते हैं...किसान नेता हैं...हर दिल अजीज हैं'

अधिनियम में संशोधन होने के बाद वर्तमान में जिन गौशालाओं को सहायता मिल रही है. उनको भी सहायता नहीं मिल सकेगी. समिति के पदाधिकारी गोविंद जादम और लेखराज सिंह राठौड़ ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार गौ माता का निवाला छीन कर अन्यत्र जगह व्यय कर रही है. गौ माता के श्राप से सरकार भी नहीं बचेगी. उन्होंने कहा कि जब तक अधिनियम में किए गए संशोधन को निरस्त नहीं किया जाता है तब तक संघर्ष जारी रहेगा.

अजमेर. शहर में गौवंश संरक्षण संघर्ष समिति की ओर से गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2016 में किए गए संशोधन को निरस्त करने की मांग की गई है. इस संबंध में जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया.

गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2016 में हुए संशोधन को निरस्त करने की मांग

गौवंश संरक्षण संघर्ष समिति का कहना है कि राज्य सरकार ने साल 2016 में राज्य के निराश्रित अभंग और वृद्ध गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2016 बनाया था. इसके तहत राज्य की पंजीकृत गौशालाओं और कांजी हाउस में आवाज सहित गौवंश के पालन पोषण की सहायता राशि देने का प्रावधान किया गया था.

राज्य सरकार ने राजस्थान स्टांप अधिनियम 1988 की धारा 3 ख के तहत स्टांप ड्यूटी पर अधिभार से प्राप्त राशि सिर्फ गौवंश संरक्षण और संवर्धन के लिए व्यय का प्रावधान कर स्थाई राशि की व्यवस्था भी की थी. समिति के अनुसार प्रदेश में पंजीकृत और अब पंजीकृत लगभग 35 सो गौशाला है. इनमें से लगभग 1980 गौशालाओं को भी एक वित्तीय साल में 180 दिन की ही सहायता के तहत बड़े गौवंश का 40 रुपए और छोटे गोवंश का 20 रुपए प्रति गौवंश के हिसाब से राशि दी जाती रही है. शेष दिनों की व्यवस्थाएं गौशाला ये अपने स्तर पर करती हैं.

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अधिनियम में संशोधन होने के बाद वर्तमान में जिन गौशालाओं को सहायता मिल रही है. उनको भी सहायता नहीं मिल सकेगी. समिति के पदाधिकारी गोविंद जादम और लेखराज सिंह राठौड़ ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार गौ माता का निवाला छीन कर अन्यत्र जगह व्यय कर रही है. गौ माता के श्राप से सरकार भी नहीं बचेगी. उन्होंने कहा कि जब तक अधिनियम में किए गए संशोधन को निरस्त नहीं किया जाता है तब तक संघर्ष जारी रहेगा.

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