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Rare Green Pigeon In Kota: दुर्लभ हरे कबूतर का रेस्कयू कर कराया उपचार, पतंगबाजी के मांझे से घायल हुआ था ये शाही पक्षी

पतंगबाजी के मांझे से घायल हुए हरे कबूतर (Rescue of rare green pigeon) को रेस्कयू कर प्राथमिक उपचार दिया गया. फिलहाल हरा कबूतर (Rare Green Pigeon In Kota) स्वस्थ हैं शीघ्र ही उसका पुनर्वास प्राप्त किये गए स्थान पर किया जायेगा.

Rare Green Pigeon In Kota
Rare Green Pigeon In Kota
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Published : Jan 9, 2022, 9:40 PM IST

कोटा. पतंगबाजी के दौरान तेज धार के मांझे से पक्षियों के घायल होने की सूचना पाकर पिछले 15 वर्षों से रेस्कयू का कार्य करने वाली संस्था ह्यूमन हेल्पलाइन निरन्तर रेस्कयू कार्य कर रही है. रविवार को मांझे से घायल हुए हरे कबूतर का रेस्कयू कर उसका उपचार किया गया.

हरा कबूतर फिलहाल स्वस्थ

पतंगबाजी के मांझे से घायल हुए हरे कबूतर (Rare Green Pigeon In Kota) के रेस्कयू में हेल्पलाईन के सदस्य शाहनवाज खान ने मदद की जिसका उपचार डॉ. अखिलेश पांडे ने किया. फिलहाल हरा कबूतर स्वस्थ (Rescue of rare green pigeon) हैं शीघ्र ही उसका पुनर्वास प्राप्त किये गए स्थान पर किया जायेगा. बता दें कि अपने रंग के अनुरूप यह हरा कबूतर बरगद के विशालकाय पेड़ के पत्तों पर कुछ इस तरह घुल मिल जाते हैं कि इनको देखना आसान नहीं होता. बड़े आकार के हरियल कबूतर को शाही पक्षी भी कहा जाता है. यह महाराष्ट्र का राज्य पक्षी है.

यह भी पढ़ें - जयपुर: मकर संक्रांति पर घायल हुए 56 परिंदों का किया उपचार, स्वस्थ होने पर उड़े खुले आसमानों में

घायल पक्षियों का रेस्कयू

ह्यूमन हेल्पलाइन के अध्यक्ष मनोज जैन आदिनाथ ने बताया कि वर्ष भर में सैकड़ों पक्षियों के घायल होने की सूचना हेल्पलाईन के कॉल सेंटर पर आने के बाद सेवासाथी और पदाधिकारी मौके पर पहुँचकर घायल पक्षियों का रेस्कयू कर प्राथमिक उपचार कर मोखापाडा स्थित बहु उद्देशीय पशु चिकित्सालय अथवा जन्तुआलय पहुँचाकर उनका उपचार कराते हैं.

यह भी पढ़ें - जयपुर: ऑपरेशन फ्री स्काई के तहत मांझे से घायल हुए पक्षियों का उपचार किया गया

मांझे से इसलिए होती है पक्षियों की मौत

दरअसल, मांझा घिसने वाले इसमें कांच डालते हैं, जिससे इसकी धार तेज हो जाती है. यही तेज धार इंसानों और पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा (Birds injured during kite flying) साबित हो रही है. कांच का उपयोग करने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करती है, फिर भी मांझा घिसने वाले व्यापार बढ़ाने के लिए चोरी-छिपे मांझे में कांच डालकर घिसाई कर रहे हैं. पतंगबाजी के दौरान हवा के जोर से मांझा कस जाता है और कसा हुआ मांझा तेज तलवार और छुरी से कम नहीं होता. इससे कई बार पतंग उड़ाने वालों की अंगुली कट जाती है. मांझे से कई लोगों के गले कटने के हादसे हो चुके हैं और कई पक्षियों को जान से हाथ धोना पड़ा है.

कोटा. पतंगबाजी के दौरान तेज धार के मांझे से पक्षियों के घायल होने की सूचना पाकर पिछले 15 वर्षों से रेस्कयू का कार्य करने वाली संस्था ह्यूमन हेल्पलाइन निरन्तर रेस्कयू कार्य कर रही है. रविवार को मांझे से घायल हुए हरे कबूतर का रेस्कयू कर उसका उपचार किया गया.

हरा कबूतर फिलहाल स्वस्थ

पतंगबाजी के मांझे से घायल हुए हरे कबूतर (Rare Green Pigeon In Kota) के रेस्कयू में हेल्पलाईन के सदस्य शाहनवाज खान ने मदद की जिसका उपचार डॉ. अखिलेश पांडे ने किया. फिलहाल हरा कबूतर स्वस्थ (Rescue of rare green pigeon) हैं शीघ्र ही उसका पुनर्वास प्राप्त किये गए स्थान पर किया जायेगा. बता दें कि अपने रंग के अनुरूप यह हरा कबूतर बरगद के विशालकाय पेड़ के पत्तों पर कुछ इस तरह घुल मिल जाते हैं कि इनको देखना आसान नहीं होता. बड़े आकार के हरियल कबूतर को शाही पक्षी भी कहा जाता है. यह महाराष्ट्र का राज्य पक्षी है.

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घायल पक्षियों का रेस्कयू

ह्यूमन हेल्पलाइन के अध्यक्ष मनोज जैन आदिनाथ ने बताया कि वर्ष भर में सैकड़ों पक्षियों के घायल होने की सूचना हेल्पलाईन के कॉल सेंटर पर आने के बाद सेवासाथी और पदाधिकारी मौके पर पहुँचकर घायल पक्षियों का रेस्कयू कर प्राथमिक उपचार कर मोखापाडा स्थित बहु उद्देशीय पशु चिकित्सालय अथवा जन्तुआलय पहुँचाकर उनका उपचार कराते हैं.

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मांझे से इसलिए होती है पक्षियों की मौत

दरअसल, मांझा घिसने वाले इसमें कांच डालते हैं, जिससे इसकी धार तेज हो जाती है. यही तेज धार इंसानों और पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा (Birds injured during kite flying) साबित हो रही है. कांच का उपयोग करने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करती है, फिर भी मांझा घिसने वाले व्यापार बढ़ाने के लिए चोरी-छिपे मांझे में कांच डालकर घिसाई कर रहे हैं. पतंगबाजी के दौरान हवा के जोर से मांझा कस जाता है और कसा हुआ मांझा तेज तलवार और छुरी से कम नहीं होता. इससे कई बार पतंग उड़ाने वालों की अंगुली कट जाती है. मांझे से कई लोगों के गले कटने के हादसे हो चुके हैं और कई पक्षियों को जान से हाथ धोना पड़ा है.

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