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स्पेशल: RBI की मॉनिटरिंग से को-ऑपरेटिव बैंक मजबूत होंगे, लोगों के पैसे की सिक्योरिटी भी बढ़ेगी

अर्बन को-ऑपरेटिव और मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक की रोज की क्रियाकलाप भी RBI की निगरानी में आ गई हैं. अब RBI की प्रॉपर मॉनिटरिंग होने से बैंकों में जमा पैसे की सिक्योरिटी बढ़ेगी, जो लोगों के गाड़ी कमाई का पैसा है वह सुरक्षित रहेगा. इससे को-ऑपरेटिव बैंक की वर्किंग में भी निखार आएगा. साथ ही छोटे या जिला स्तर पर काम कर रहे को-ऑपरेटिव बैंक मजबूत होंगे.

Amendment in Banking Regulation Act, RBI new guideline, Monitoring of cooperative banks
कॉपरेटिव बैंक पर रहेगी RBI की नजर
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Published : Aug 26, 2020, 11:03 PM IST

कोटा. केंद्र सरकार ने कानून लाकर अर्बन को-ऑपरेटिव और मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंकों पर निगरानी बढ़ा दी है. इसके लिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में संशोधन किया गया है. जिसे जून माह से लागू कर दिया गया है. इसके बाद से ही अब अर्बन को-ऑपरेटिव और मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक की रोज की क्रियाकलाप भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की निगरानी में आ गई है.

हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रॉपर मॉनिटरिंग होने से बैंको में जमा पैसे की सिक्योरिटी बढ़ेगी. लोगों के जो गाड़ी कमाई का पैसा है वह सुरक्षित रहेगा. कॉपरेटिव बैंक की वर्किंग में भी निखार आएगा. इससे छोटे या जिला स्तर पर ही काम कर रहे को-ऑपरेटिव बैंक मजबूत होंगे.

कॉपरेटिव बैंक पर रहेगी RBI की नजर

बड़े बैंक कर रहे विरोध

कोटा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक बलविंदर सिंह गिल का कहना है कि जो बड़े कॉपरेटिव बैंक अल्ट्रा मॉडर्न लेवल पर काम कर रहे हैं, वे इसका विरोध भी कर रहे हैं. बड़े स्तर पर काम करने वाले यह बैंक भारत के नहीं, यहां से बाहर भी काम कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- गणेशोत्सव विशेष: राजस्थान में इस जगह श्रीकृष्ण ने स्थापित किया था भारत का पहला गणेश मंदिर

इनका कहना है कि एक्ट में हुए बदलाव से उनके डे टू डे वर्किंग में हस्तक्षेप होगा. साथ ही उनकी जो ऑटोनॉमस तरीके से डिसीजन मेकिंग में भी दिक्कत आएगी. इसको लेकर नेशनल लेवल पर भी डिबेट चल रही है.

कंपनी के सीईओ को निर्धारण करने होगा

बलविंदर सिंह गिल का मानना है कि RBI की निगरानी बढ़ने से पब्लिक डिपॉजिट्स सिक्योर होगी. इसके अलावा उसमें पारदर्शिता भी आएगी. मैनेजमेंट संबंधित ऑपरेशन और डे टू डे वर्किंग के अलावा इन्वेस्टमेंट और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी प्रोफेशनलिज्म इसमें नजर आएगी. सीईओ के अपॉइंटमेंट का प्रावधान भी अब RBI ने बना दिया है, जिसके भी पालना करवाई जाएगी.

पहले साल में एक बार, अब हर महीने होगी ऑडिट

कोटा नागरिक सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेश बिरला का मानना है कि को-ऑपरेटिव बैंकों में गड़बड़ियां हो रही थी. घपले और घोटाले के चलते बैंक फेल हो रहे थे. इसलिए भारत सरकार ने आम जनता के पैसे को सिक्योर रखने के लिए को-ऑपरेटिव बैंक पर शिकंजा कसा है, उनको निगरानी में लिया है.

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पहले जहां साल में एक बार ऑडिट हुआ करती थी. जिसमें वह पूरी डिटेल देखते थे, अब हर महीने रिपोर्ट देनी पड़ेगी. कोई भी जानकारी RBI मांग सकती है. वह बैंक देने से मना नहीं करेगा. जिसमें कितना लोन दिया है, किस तरह से लोन दिया गया है. डिपॉजिट किस तरह से ले रहे हैं. पैसा किस जगह पर इन्वेस्ट हो रहा है. यह सब चीजें अब शुरू हो गई है.

कम होंगे घपले और घोटाले

कोटा नागरिक सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेश बिरला के अनुसार कुछ बैंकों में घपले और घोटाले हो रहे थे. इसके चलते आम जनता का पैसा डूब रहा था. साथ ही लगातार इन बैंकों का एनपीए बढ़ रहा था. नई गाइडलाइन के जरिए RBI की निगरानी बढ़ने से साफ सुथरे तरीके से काम कर रहे बैंकों को फायदा होगा, क्योंकि लोगों के पसीने की कमाई जो बैंकों में डूब रही थी, उस पर लगाम लगेगी.

कोऑपरेटिव बैंकों पर आम जनता का बढ़ेगा विश्वास

राजेश बिरला ने बताया कि आम जनता का विश्वास भी अब बढ़ेगा, क्योंकि उनके पैसे की सिक्योरिटी बढ़ जाएगी. अधिकांश कमजोर या फिर मध्यम वर्गीय परिवार ही इन बैंकों में अपना पैसा जमा करवाते हैं. बैंकों के डूबने के चलते उन्हें टाइम पर पैसा नहीं मिल रहा था. आम आदमी सोचता था कि बैंक में पैसा जमा किया है, तो भी नुकसान हो गया. अब RBI के निगरानी में होने से वह निश्चिंत होकर पैसा जमा कराएगा.

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कर्मचारियों को सावधानी से करना होगा काम

कोटा नागरिक सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेश बिरला का मानना है कि RBI की मॉनिटरिंग बढ़ जाने से अब बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों को सावधानी से काम करना होगा. कर्मचारियों की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी. पहले जो ध्यान से काम नहीं करते थे, अब ऐसा नहीं होगा. कर्मचारियों की जिम्मेदारी बढ़ेगी, उन्हें सचेत रहना होगा.

बोर्ड पालिसी मेकर, उस पर नहीं होगा असर

बिरला का कहना है कि कॉपरेटिव बैंक के जो बोर्ड होते हैं, वह केवल पॉलिसी मेकिंग का ही काम करते हैं. इसलिए उन पर ज्यादा कोई असर नहीं पड़ेगा. उनका तो डे टू डे वर्किंग में कोई हस्तक्षेप ज्यादा नहीं होता है. ज्यादातर पॉलिसी अभी RBI की गाइडलाइन के अनुसार ही बनाई जा सकती है. जिनमें किस तरह से लोन देना है, कितना लोन दे सकते हैं. कितनी प्रतिशत ब्याज दर को और ड्राफ्ट पर ले सकते हैं.

कोटा. केंद्र सरकार ने कानून लाकर अर्बन को-ऑपरेटिव और मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंकों पर निगरानी बढ़ा दी है. इसके लिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में संशोधन किया गया है. जिसे जून माह से लागू कर दिया गया है. इसके बाद से ही अब अर्बन को-ऑपरेटिव और मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक की रोज की क्रियाकलाप भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की निगरानी में आ गई है.

हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रॉपर मॉनिटरिंग होने से बैंको में जमा पैसे की सिक्योरिटी बढ़ेगी. लोगों के जो गाड़ी कमाई का पैसा है वह सुरक्षित रहेगा. कॉपरेटिव बैंक की वर्किंग में भी निखार आएगा. इससे छोटे या जिला स्तर पर ही काम कर रहे को-ऑपरेटिव बैंक मजबूत होंगे.

कॉपरेटिव बैंक पर रहेगी RBI की नजर

बड़े बैंक कर रहे विरोध

कोटा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक बलविंदर सिंह गिल का कहना है कि जो बड़े कॉपरेटिव बैंक अल्ट्रा मॉडर्न लेवल पर काम कर रहे हैं, वे इसका विरोध भी कर रहे हैं. बड़े स्तर पर काम करने वाले यह बैंक भारत के नहीं, यहां से बाहर भी काम कर रहे हैं.

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इनका कहना है कि एक्ट में हुए बदलाव से उनके डे टू डे वर्किंग में हस्तक्षेप होगा. साथ ही उनकी जो ऑटोनॉमस तरीके से डिसीजन मेकिंग में भी दिक्कत आएगी. इसको लेकर नेशनल लेवल पर भी डिबेट चल रही है.

कंपनी के सीईओ को निर्धारण करने होगा

बलविंदर सिंह गिल का मानना है कि RBI की निगरानी बढ़ने से पब्लिक डिपॉजिट्स सिक्योर होगी. इसके अलावा उसमें पारदर्शिता भी आएगी. मैनेजमेंट संबंधित ऑपरेशन और डे टू डे वर्किंग के अलावा इन्वेस्टमेंट और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी प्रोफेशनलिज्म इसमें नजर आएगी. सीईओ के अपॉइंटमेंट का प्रावधान भी अब RBI ने बना दिया है, जिसके भी पालना करवाई जाएगी.

पहले साल में एक बार, अब हर महीने होगी ऑडिट

कोटा नागरिक सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेश बिरला का मानना है कि को-ऑपरेटिव बैंकों में गड़बड़ियां हो रही थी. घपले और घोटाले के चलते बैंक फेल हो रहे थे. इसलिए भारत सरकार ने आम जनता के पैसे को सिक्योर रखने के लिए को-ऑपरेटिव बैंक पर शिकंजा कसा है, उनको निगरानी में लिया है.

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पहले जहां साल में एक बार ऑडिट हुआ करती थी. जिसमें वह पूरी डिटेल देखते थे, अब हर महीने रिपोर्ट देनी पड़ेगी. कोई भी जानकारी RBI मांग सकती है. वह बैंक देने से मना नहीं करेगा. जिसमें कितना लोन दिया है, किस तरह से लोन दिया गया है. डिपॉजिट किस तरह से ले रहे हैं. पैसा किस जगह पर इन्वेस्ट हो रहा है. यह सब चीजें अब शुरू हो गई है.

कम होंगे घपले और घोटाले

कोटा नागरिक सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेश बिरला के अनुसार कुछ बैंकों में घपले और घोटाले हो रहे थे. इसके चलते आम जनता का पैसा डूब रहा था. साथ ही लगातार इन बैंकों का एनपीए बढ़ रहा था. नई गाइडलाइन के जरिए RBI की निगरानी बढ़ने से साफ सुथरे तरीके से काम कर रहे बैंकों को फायदा होगा, क्योंकि लोगों के पसीने की कमाई जो बैंकों में डूब रही थी, उस पर लगाम लगेगी.

कोऑपरेटिव बैंकों पर आम जनता का बढ़ेगा विश्वास

राजेश बिरला ने बताया कि आम जनता का विश्वास भी अब बढ़ेगा, क्योंकि उनके पैसे की सिक्योरिटी बढ़ जाएगी. अधिकांश कमजोर या फिर मध्यम वर्गीय परिवार ही इन बैंकों में अपना पैसा जमा करवाते हैं. बैंकों के डूबने के चलते उन्हें टाइम पर पैसा नहीं मिल रहा था. आम आदमी सोचता था कि बैंक में पैसा जमा किया है, तो भी नुकसान हो गया. अब RBI के निगरानी में होने से वह निश्चिंत होकर पैसा जमा कराएगा.

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कर्मचारियों को सावधानी से करना होगा काम

कोटा नागरिक सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेश बिरला का मानना है कि RBI की मॉनिटरिंग बढ़ जाने से अब बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों को सावधानी से काम करना होगा. कर्मचारियों की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी. पहले जो ध्यान से काम नहीं करते थे, अब ऐसा नहीं होगा. कर्मचारियों की जिम्मेदारी बढ़ेगी, उन्हें सचेत रहना होगा.

बोर्ड पालिसी मेकर, उस पर नहीं होगा असर

बिरला का कहना है कि कॉपरेटिव बैंक के जो बोर्ड होते हैं, वह केवल पॉलिसी मेकिंग का ही काम करते हैं. इसलिए उन पर ज्यादा कोई असर नहीं पड़ेगा. उनका तो डे टू डे वर्किंग में कोई हस्तक्षेप ज्यादा नहीं होता है. ज्यादातर पॉलिसी अभी RBI की गाइडलाइन के अनुसार ही बनाई जा सकती है. जिनमें किस तरह से लोन देना है, कितना लोन दे सकते हैं. कितनी प्रतिशत ब्याज दर को और ड्राफ्ट पर ले सकते हैं.

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