जोधपुर. पश्चिमी राजस्थान से लगे पाकिस्तान बॉर्डर पर अब तक हुईं लड़ाइयों के युद्ध स्थल को सेना टूरिज्म पॉइंट के रूप में विकसित करने जा रही है. इस काम में सेना के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन पर्यटन विभाग, पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड और रेलवे भी शामिल है. एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सोमवार को जोधपुर के मेहरानगढ़ से इसके लिए रणभूमि श्रद्धांजलि यात्रा का (Ranbhumi shradhanjali Yatra starts from Jodhpur) आगाज हुआ. जोधपुर की कोणार्क कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर (Lt Gen Rakesh Kapoor in Jodhpur) ने इस यात्रा को रवाना किया.
उन्होंने कहा कि कि हम देश के युवाओं को बताना चाहते हैं कि सेना ने किस अदम्य साहस से दुश्मनों का मुकाबला किया है. हम चाहते हैं कि देश के युवा सेना के पराक्रम को उस जगह पर जाकर देखें जहां पर जवानों ने दुश्मनों से लोहा लिया था. जोधपुर कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने बताया कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 1971 के भारत पाक युद्ध की शौर्य गाथा से आमजन के साथ युवाओं व पर्यटकों को रूबरू करवाने लिए जोधपुर स्थित थल सेना की कोणार्क कोर यह अनूठी पहल करने जा रही है.
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यात्रा के दौरान 'मेरी कहानी मेरी जुबानी' के तहत 1971 का युद्ध लड़ चुके 9 वयोवृद्ध योद्धा युद्ध की कहानी बयां करेंगे. पायलट प्रोजेक्ट के अध्ययन के बाद इन सभी स्थलों की यात्रा का एक टूर प्रोग्राम बनेगा जो टूरिज्म डिपार्टमेंट बनाएगा और बुकिंग कर सैलानियों को यहां की यात्रा करवाएगा.
जोधपुर से शुरू होकर यात्रा गढ़रा रोड, मुनाबाव, जैसलमेर के तनोट जाकर लौटी
यात्रा 5 सितंबर को रवाना हुई. यात्रा आज शाम को बाखासर से गढ़रा रोड होते हुए स्वरूप का ताला पहुंचेगी जहां पर 10 पैरा कमांडों की ओर से बैटल ऑफ छाछरों हुआ था. वहां उस युद्ध का जीवंत वर्णन किया जाएगा. 6 सितंबर को यात्रा बाड़मेर से मुनाबाव पहुंचेगी. बैटल ऑफ पर्वत अली की कहानी की प्रदर्शनी लगाई जाएगी. यहां पर जीरो पॉइंट से खोखरापार दिखाया जाएगा. यहीं से यात्रा जैसलमेर पहुंचेगी और फिर सोनार दुर्ग जाएगी. जैसलमेर मिलिट्री स्टेशन पर लाइट एंड साउंड शो का आयोजन होगा. यात्रा 7 सितंबर को जैसलमेर से घोटारू दुर्ग पहुंचेगी. उसके बाद लोंगेवाला जाएगी. लोंगेवाला युद्ध स्थल और वॉर मेमोरियल पर कार्यक्रम का आयोजन होगा जहां बीएसएफ के योद्धा भैरों सिंह अपनी बात रखेंगे. इसके बाद यात्रा साढ़ेवाला होते हुए तनोट पहुंचेगी और तनोट के बाद बबलियान चौकी भी जाएगी. 8 सितंबर को यात्रा वापस जोधपुर आ जाएगी.
योद्धाओं ने बताए किस्से
1971 का युद्ध के दौरान पश्चिम राजस्थान में कई जगह पर लड़ाई हुई थी. इस दौरान जोधपुर से 10 पैरा कमांडो कर्नल भवानी सिंह के नेतृत्व में गए हुए थे जिन्होंने पर्वत अली और छाछरों का युद्ध जीता था. पूर्व कैप्टन भंवर सिंह ने बताया कि कितने उत्साह के साथ हमने लड़ाई लड़ी थी. इसी तरह पूर्व सैनिक सुखदेव ने बताया कि पर्वत अली की लड़ाई के दौरान हम पाकिस्तान के कैंप में जाकर रात को सो गए थे. सुबह पाकिस्तानी उठे तो उन्होंने कहा कि चाय पीनी है इस पर हमने कहा अभी तुम्हें चाय पिलाते हैं. हमारी जबरदस्त लड़ाई हुई. हमारे सैनिक भी शहीद हुए फिर भी हमने 25 पाकिस्तानी जिंदा पकड़ लिए थे. आज भारतीय सेना वापस उसी जगह लेकर जा रही है. यह हमारे लिए गर्व की बात है.