जयपुर. राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा है कि दूरस्थ शिक्षा (Convocation Ceremony Of VM University Kota) के माध्यम से ऐसे रोजगार परक पाठ्यक्रम तथा प्रोफेशनल कोर्स संचालित किए जाएं. जिससे विद्यार्थी स्वावलंबन की ओर प्रेरित हों. उन्होंने कहा कि कुशल मानव संसाधन से ही देश की आर्थिक एवं औद्योगिक प्रगति सुनिश्चित हो सकती है, इसलिए कौशल आधारित पढ़ाई आज के समय की मांग बन चुकी है. उन्होंने आह्वान किया कि राज्य के सभी विश्वविद्यालय आपसी समन्वय से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों पर काम करें ताकि विद्यार्थियों के साथ-साथ उद्योग जगत को भी नवीन मानव संसाधन का फायदा मिल सके.
कुलाधपति ने कहा कि (Governor Addresses The Convocation Ceremony Of VM University Kota) सूचना क्रांति और इंटरनेट के कारण दूरस्थ शिक्षा आसान एवं प्रासंगिक हुई है. विजुअल क्लासरूम लर्निंग, इंटरैक्टिव ऑनसाइट लर्निंग और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए विद्यार्थी घर बैठे ही बेहतर पढ़ाई कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि तकनीक आधारित शिक्षण एवं ऑनलाइन शिक्षण के क्षेत्र में वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों के लिए मानक विश्वविद्यालय का कार्य करे.
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शिक्षा में अग्रणी बनाने का लक्ष्य : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में प्रतिबद्धता से काम कर रही है. उच्च अध्ययन के लिए राज्य में बेहतर अवसर उपलब्ध हैं. मेडिकल, तकनीकी, कृषि, पशुपालन, विधि, पत्रकारिता, आयुर्वेद, पुलिस सुरक्षा आदि विषयों से जुड़े विश्वविद्यालयों में अध्ययन कर हमारे विद्यार्थी देश और दुनिया में नाम कमा रहे हैं. प्रदेश के विद्यार्थियों को अब उच्च अध्ययन के लिए अन्य राज्यों में जाने के लिए आवश्यकता नहीं रही. सीएम गहलोत ने कहा कि हमारा प्रयास है कि विश्वविद्यालयों में शोध कार्यां को बढ़ावा मिले, हमारे विश्वविद्यालय विश्व स्तरीय बनें और उनके माध्यम से श्रेष्ठ मानवीय संसाधन तैयार हो.
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विश्व रैंकिंग में जगह बनाने का प्रयास करे विश्वविद्यालय : रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि देश के विश्वविद्यालय अकादमिक श्रेष्ठता के मानदंड स्थापित करते हुए विश्व रैंकिंग में अपना स्थान बनाने के लिए प्रयास करें. श्रेष्ठ अकादमिक संस्थाओं से शिक्षा प्राप्त प्रतिभाशाली विद्यार्थी ही देश को उन्नति के शिखर पर ले जाने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की पहल के अंतर्गत रक्षा विनिर्माण की क्षमता में वृद्धि करना देश की प्राथमिकता है. इसी उद्देश्य से डीआरडीओ ने भी कई विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एम.टेक. पाठ्यक्रम शुरू किए हैं.