कोटा. कोरोना का इफेक्ट आम जिन्दगी से लेकर इकोनॅामी तक हर ओर दिखाई दे रहा है. ऐसे में अब कोटा रेलवे जंक्शन भी इससे अछूता नहीं है. रेलवे को भी कोरोना के चलते घाटा उठाना पड़ रहा है. रेलवे का यात्री भार कोरोना के चलते 50 फीसदी तक कम हो गया है.
सामान्य से लेकर एसी कोच भी खाली पड़े हैं. जहां पर पहले वेटिंग के टिकट पर अंतिम समय तक संशय रहता था कि सीट मिलेगी या नहीं. अब हालात ऐसे हैं कि ट्रेनों में कोच खाली पड़े हैं. कोचों में इक्के-दुक्के यात्री सवार नजर आ रहे हैं. यहां तक कि सामान्य कोच में जहां क्षमता से दुगने यात्री बैठे रहते थे, अब सामान्य कोच में भी सीटें खाली ही पड़ी रहती है. वहीं रेलवे के हजारों की संख्या में टिकट कैंसिल हो रहे हैं. जिन यात्रियों ने पहले से टिकट बुक करा रखे थे.
अब वे कोरोना के चलते अपनी यात्रा को टाल रहे हैं. टिकट विंडो और रिजर्वेशन काउंटर के भी हालात ऐसे हैं कि वहां पर पहले तो कतारें लगती थी, अब लोग नजर भी नहीं आ रहे हैं. जितने भी यात्री यात्रा कर रहे हैं, वे कोरोना से बचाव का पूरा इंतजाम खुद का कर रहे हैं. अधिकांश यात्री मास्क लगाए नजर आ रहे हैं.
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एटीसी ऑफिस के कार्मिक एमएल मीणा का कहना है कि होली के बाद वेकेशन सीजन में ट्रेनें फुल रहती थी. ट्रेनें अब खाली पड़ी हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली और मुंबई की तरफ जाने वाली ट्रेनों में तो 50 फीसदी से भी ज्यादा यात्री भार की गिरावट देखने को मिली है. त्योहार होने के बावजूद आदमी इमरजेंसी में ही सफर कर रहा है. इसके चलते रेलवे को तो घाटा होना निश्चित है.
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रेलवे स्टेशन पर अक्सर भीड़भाड़ नजर आती है, लेकिन अब स्टेशन भी बिल्कुल खाली नजर आता है. यहां तक कि यहां पर फूड ट्रॉली संचालित करने वाले वेंडरों का कहना है कि उनका भी धंधा गिर गया है. कोटा जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर पर ट्रॉली वेंडर नरेश यादव का कहना है कि पहले जहां पर 500 से 600 रुपए तक की बिक्री हो जाया करती थी. अब 150 से 200 रुपए तक का ही धंधा हो पा रहा है.
उन्होंने कहा कि यह कोरोना बीमारी का ही इफेक्ट है. रेलवे स्टेशन पर रेस्टॅारेंट चलाने वाले नितेश्वर धर दुबे का कहना है कि ट्रेनों में भी पैकेजिंग फूड जाना बंद हो गया है. ऑर्डर भी काफी कम हो गए हैं.