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SPECIAL : दो टेक्नीशियन के भरोसे कोटा में COVID-19 से रिकवर मरीजों का प्लाज्मा डोनेशन, फिर भी प्रदेश में कायम की बादशाहत

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Published : Sep 10, 2020, 3:58 PM IST

कोटा ब्लड बैंक में 16 लोगों का स्टाफ कोरोना पॉजिटिव हो गया है. जिनमें टेक्नीशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर और डॉक्टर भी शामिल हैं. हालांकि इसके बावजूद लगातार यहां के स्टाफ का जज्बा ऐसा है कि दो ही टेक्नीशियन रोज घंटों मेहनत करते हुए कोविड-19 से रिकवर हुए लोगों का प्लाज्मा डोनेशन करवा रहे हैं. वहीं डोनर्स में भी प्लाज्मा डोनेट करने को लेकर उत्साह नजर आता है.

कोटा ब्लड बैंक, kota blood bank
कोविड-19 से रिकवर मरीजों का प्लाज्मा डोनेशन

कोटा. ब्लड डोनेशन में यह जिला पूरे प्रदेश का सिरमौर है. इसी क्रम को उसने कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों के प्लाज्मा डोनेशन में भी बरकरार रखा है. यह जिला प्रदेश में प्लाजमा डोनेशन कार्य में सबसे अव्वल स्थान पर है. अब तक 120 यूनिट प्लाज्मा डोनेशन हो चुका है. यह आंकड़ा दिन-ब-दिन सात से आठ यूनिट बढ़ रहा है.

कोविड-19 से रिकवर मरीजों का प्लाज्मा डोनेशन

इसी क्रम से अगर कोटा आगे चलता रहा, तो पूरे देश में अव्वल हो सकता है, लेकिन बता दें कि कोटा ब्लड बैंक के 16 स्टाफ कोरोना पॉजिटिव हैं. जिनमें टेक्नीशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर और डॉक्टर भी शामिल हैं. इसके बावजूद दो ही टेक्नीशियन घंटों मेहनत करते हुए कोविड-19 से रिकवर हुए लोगों का प्लाज्मा डोनेशन करवा रहे हैं.

बाद में मिली अनुमति, लेकिन आगे बढ़ गया कोटा

जयपुर और जोधपुर को मई माह के पहले सप्ताह में ही प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति मिली थी, लेकिन कोटा को यह अनुमति जुलाई के अंतिम सप्ताह में मिली है. यहां पर बाद में प्लाज्मा बैंक स्थापित किया गया है, लेकिन कोटा का प्लाज्मा बैंक जयपुर और उदयपुर जैसे शहरों को भी प्लाज्मा दे रहा है. जयपुर में जहां पर करीब 90 के आसपास प्लाज्मा डोनेशन हुआ है. वहीं, जोधपुर में यह आंकड़ा 40 से 45 के बीच ही है. जबकि कोटा में आंकड़ा 120 को पार कर गया है, जो लगातार बढ़ भी रहा है.

कोटा ब्लड बैंक, kota blood bank
रोज घंटों मेहनत करते है टेक्निशियन

पढ़ेंः Special: कोरोना ने अपनों को किया पराया, मुंह देखने को तरसते रहे परिजन, अब मिलेगा अंतिम संस्कार का अधिकार

घंटों इंतजार के बाद भी डटे रहते हैं प्लाज्मा डोनर्स

कोटा के लोगों का जज्बा ब्लड बैंक के प्लाज्मा डोनेशन यूनिट में नजर आता है. जहां पर एक के बाद एक डोनर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. हालात ऐसे हैं कि डोनर्स को सारे सेरोलॉजिकल टेस्ट और अन्य प्रक्रिया से गुजरने में 1 से 2 घंटे लग जाते हैं. इसके बाद भी डोनर्स अपनी बारी का इंतजार करते हैं. करीब एक डोनर का एफरेसिस यूनिट पर पूरा प्रोसेस होने में एक से डेढ़ घंटा लग जाता है. इसके बावजूद भी लोग स्वेच्छा से ही दूसरी बार डोनेशन करने आ रहे हैं. ताकि कोविड-19 गंभीर मरीजों को बचाया जा सके.

कोटा ब्लड बैंक, kota blood bank
दो टेक्नीशियन के भरोसे चल रहा है ब्लड बैंक

डोनर्स बढ़-चढ़कर ले रहे भाग

ईटीवी भारत से बात करते हुए प्लाज्मा डोनर्स ने कहा कि वह खुद तो डोनेशन कर ही रहे हैं इसके अलावा कोविड-19 से रिकवर हुए अन्य लोगों से भी अपील करते हैं कि वह भी बढ़-चढ़कर डोनेशन में भाग ले. ताकि गंभीर मरीजों का इलाज हो सके. छावनी एरिया से दूसरी बार प्लाज्मा डोनेशन करने पहुंचे कमलेश शर्मा का कहना है कि उनकी पत्नी भी पॉजिटिव आई थी. जल्द ही उसका भी डोनेशन कराएंगे. साथ ही कृष्णानगर रंगबाड़ी निवासी साक्षी का कहना है कि मैंने अपने पिताजी के साथ 20 दिन पहले प्लाज्मा डोनेशन किया था.

पढ़ेंः SPECIAL: आधुनिकता के दौर में रियासतकालीन सांझी की परंपरा हो रही लुप्त

कोटा शहर में समाजसेवी प्लाजमा डोनेशन के लिए बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं. वे कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों से लगातार संपर्क कर रहे हैं और उन्हें डोनेशन के लिए ब्लड बैंक लेकर आ रहे हैं. श्री सराफा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन आनंद राठी, ह्यूमन हेल्पलाइन के मनोज जैन आदिनाथ, हाड़ौती विकास मोर्चा के राजेंद्र सांखला और टीम जीवनदाता के भुवनेश गुप्ता शामिल हैं. लगातार एमबीएस ब्लड बैंक के बाहर इन लोगों की उपस्थिति होती है.

कोटा ब्लड बैंक, kota blood bank
प्लाज्मा डोनेशन यूनिट में नजर आता है लोगों का जज्बा

कोटा में थेरेपी के रिजल्ट भी काफी अच्छे

मेडिकल कॉलेज कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. शिवकुमार के अनुसार कोटा में प्लाज्मा थेरेपी के काफी अच्छे रिजल्ट है. मरीज थेरेपी लगने के बाद जल्दी रिकवर कर रहे हैं. यहां तक कि कई मरीज ऐसे हैं जिनको प्लाजमा थेरेपी मिलते ही वह नेगेटिव आ जाते हैं. जिन मरीजों का ऑक्सीजन सैचुरेशन 93 से कम है उन्हें ही प्लाजमा थेरेपी मेडिकल कॉलेज कोटा के नए अस्पताल में दी जा रही है. जिससे मरीजों में सांस लेने की तकलीफ के अलावा बुखार और खांसी जैसे लक्षण भी समाप्त हो जाते हैं. वहीं, लीवर, फेफड़े और ब्लड ऑक्सीजन में भी सुधार नजर आता है.

कोटा. ब्लड डोनेशन में यह जिला पूरे प्रदेश का सिरमौर है. इसी क्रम को उसने कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों के प्लाज्मा डोनेशन में भी बरकरार रखा है. यह जिला प्रदेश में प्लाजमा डोनेशन कार्य में सबसे अव्वल स्थान पर है. अब तक 120 यूनिट प्लाज्मा डोनेशन हो चुका है. यह आंकड़ा दिन-ब-दिन सात से आठ यूनिट बढ़ रहा है.

कोविड-19 से रिकवर मरीजों का प्लाज्मा डोनेशन

इसी क्रम से अगर कोटा आगे चलता रहा, तो पूरे देश में अव्वल हो सकता है, लेकिन बता दें कि कोटा ब्लड बैंक के 16 स्टाफ कोरोना पॉजिटिव हैं. जिनमें टेक्नीशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर और डॉक्टर भी शामिल हैं. इसके बावजूद दो ही टेक्नीशियन घंटों मेहनत करते हुए कोविड-19 से रिकवर हुए लोगों का प्लाज्मा डोनेशन करवा रहे हैं.

बाद में मिली अनुमति, लेकिन आगे बढ़ गया कोटा

जयपुर और जोधपुर को मई माह के पहले सप्ताह में ही प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति मिली थी, लेकिन कोटा को यह अनुमति जुलाई के अंतिम सप्ताह में मिली है. यहां पर बाद में प्लाज्मा बैंक स्थापित किया गया है, लेकिन कोटा का प्लाज्मा बैंक जयपुर और उदयपुर जैसे शहरों को भी प्लाज्मा दे रहा है. जयपुर में जहां पर करीब 90 के आसपास प्लाज्मा डोनेशन हुआ है. वहीं, जोधपुर में यह आंकड़ा 40 से 45 के बीच ही है. जबकि कोटा में आंकड़ा 120 को पार कर गया है, जो लगातार बढ़ भी रहा है.

कोटा ब्लड बैंक, kota blood bank
रोज घंटों मेहनत करते है टेक्निशियन

पढ़ेंः Special: कोरोना ने अपनों को किया पराया, मुंह देखने को तरसते रहे परिजन, अब मिलेगा अंतिम संस्कार का अधिकार

घंटों इंतजार के बाद भी डटे रहते हैं प्लाज्मा डोनर्स

कोटा के लोगों का जज्बा ब्लड बैंक के प्लाज्मा डोनेशन यूनिट में नजर आता है. जहां पर एक के बाद एक डोनर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. हालात ऐसे हैं कि डोनर्स को सारे सेरोलॉजिकल टेस्ट और अन्य प्रक्रिया से गुजरने में 1 से 2 घंटे लग जाते हैं. इसके बाद भी डोनर्स अपनी बारी का इंतजार करते हैं. करीब एक डोनर का एफरेसिस यूनिट पर पूरा प्रोसेस होने में एक से डेढ़ घंटा लग जाता है. इसके बावजूद भी लोग स्वेच्छा से ही दूसरी बार डोनेशन करने आ रहे हैं. ताकि कोविड-19 गंभीर मरीजों को बचाया जा सके.

कोटा ब्लड बैंक, kota blood bank
दो टेक्नीशियन के भरोसे चल रहा है ब्लड बैंक

डोनर्स बढ़-चढ़कर ले रहे भाग

ईटीवी भारत से बात करते हुए प्लाज्मा डोनर्स ने कहा कि वह खुद तो डोनेशन कर ही रहे हैं इसके अलावा कोविड-19 से रिकवर हुए अन्य लोगों से भी अपील करते हैं कि वह भी बढ़-चढ़कर डोनेशन में भाग ले. ताकि गंभीर मरीजों का इलाज हो सके. छावनी एरिया से दूसरी बार प्लाज्मा डोनेशन करने पहुंचे कमलेश शर्मा का कहना है कि उनकी पत्नी भी पॉजिटिव आई थी. जल्द ही उसका भी डोनेशन कराएंगे. साथ ही कृष्णानगर रंगबाड़ी निवासी साक्षी का कहना है कि मैंने अपने पिताजी के साथ 20 दिन पहले प्लाज्मा डोनेशन किया था.

पढ़ेंः SPECIAL: आधुनिकता के दौर में रियासतकालीन सांझी की परंपरा हो रही लुप्त

कोटा शहर में समाजसेवी प्लाजमा डोनेशन के लिए बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं. वे कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों से लगातार संपर्क कर रहे हैं और उन्हें डोनेशन के लिए ब्लड बैंक लेकर आ रहे हैं. श्री सराफा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन आनंद राठी, ह्यूमन हेल्पलाइन के मनोज जैन आदिनाथ, हाड़ौती विकास मोर्चा के राजेंद्र सांखला और टीम जीवनदाता के भुवनेश गुप्ता शामिल हैं. लगातार एमबीएस ब्लड बैंक के बाहर इन लोगों की उपस्थिति होती है.

कोटा ब्लड बैंक, kota blood bank
प्लाज्मा डोनेशन यूनिट में नजर आता है लोगों का जज्बा

कोटा में थेरेपी के रिजल्ट भी काफी अच्छे

मेडिकल कॉलेज कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. शिवकुमार के अनुसार कोटा में प्लाज्मा थेरेपी के काफी अच्छे रिजल्ट है. मरीज थेरेपी लगने के बाद जल्दी रिकवर कर रहे हैं. यहां तक कि कई मरीज ऐसे हैं जिनको प्लाजमा थेरेपी मिलते ही वह नेगेटिव आ जाते हैं. जिन मरीजों का ऑक्सीजन सैचुरेशन 93 से कम है उन्हें ही प्लाजमा थेरेपी मेडिकल कॉलेज कोटा के नए अस्पताल में दी जा रही है. जिससे मरीजों में सांस लेने की तकलीफ के अलावा बुखार और खांसी जैसे लक्षण भी समाप्त हो जाते हैं. वहीं, लीवर, फेफड़े और ब्लड ऑक्सीजन में भी सुधार नजर आता है.

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