कोटा. समर्थन मूल्य पर किसानों को मंडी भाव से ज्यादा दाम मिल रहे हैं, इसके लिए पूरे हाड़ौती में 23 केंद्र बनाए गए हैं. इसके बावजूद 3 दिन में 10 किसानों के फसल की ही खरीद हो पाई है. जबकि मंडी में रोज कई गुना सरसों और चने की आवक हो रही है. जो किसान मंडी में अपनी फसल को बेच रहे हैं, उनको करीब 1 हजार से 1200 रुपए कम मिल रहे हैं. इससे किसानों को नुकसान हो रहा है.
जानकारी के अनुसार हाड़ौती में अब तक 45 हजार 135 किसान समर्थन मूल्य पर फसल बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. इनमें से चने और सरसों के लिए 657 किसानों की खरीद का समय दे दिया गया है, लेकिन उनमें से केवल 10 किसान ही खरीद केंद्र पर फसल बेचने के लिए पहुंचे हैं. 7 दिन बाद खरीद का समय भी खत्म हो जाएगा, उसके बाद किसान समर्थन मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे.
13 सेंटरों पर रजिस्ट्रेशन की क्षमता पूरी
वहीं, 13 सेंटरों पर तो रजिस्ट्रेशन की क्षमता ही पूरी हो चुकी है. नए रजिस्ट्रेशन बंद हो गए हैं, लेकिन इसके बावजूद खरीद केंद्रों पर किसान नजर नहीं आ रहे हैं. जिन 10 किसानों की फसल खरीद हुई है, उनमें 6 सरसों और 4 चने की खरीद हुई है. इसमें से कोटा में तो चने की एक भी खरीद नहीं हुई है, केवल 3 किसानों की खरीद सरसों की हुई है. तो वहीं भवानी मंडी में 4 किसानों के चने और 3 किसानों की सरसों की फसल खरीदी गई है.
मंडी में हो रही हजारों बोरी की आवक
कोटा मंडी की बात की जाए तो सरसों की 6 से 7 हजार बोरी रोज आवक हो रही है, जिनकी 3 हजार 301 से 3 हजार 751 रुपए भाव किसानों को मिल रहे हैं. जबकि चने की आवक 300 से 400 बोरी हो रही है, जिसकी भाव 3 हजार 250 से 3 हजार 721 रुपए तक हैं. समर्थन मूल्य पर चने 4 हजार 875 और 4 हजार 425 रुपए प्रति क्विंटल में सरसों की फसल खरीदी की जा रही है.
किसानों की फसल नहीं हुई तैयार
राजफेड के क्षेत्रीय अधिकारी नरेश शुक्ला का कहना है, कि अभी किसानों की फसलें नहीं आई है. इसके कारण वे खरीद केंद्रों पर अपनी फसल बेचने नहीं जा पा रहे हैं. कुछ किसानों ने हमें इस संबंध में शिकायत भी दी है कि उनकी फसल में अभी देरी होगी. इसके कारण उनके टोकन की समय सीमा बढ़ाई जाए. साथ ही शुक्ला ने कहा, कि सरसों की फसल में 8 और चने की फसल में 14 फीसदी नमी होने के कारण उसकी क्वालिटी कमजोर हो जाती है, ऐसे में उसे हम नहीं खरीदते हैं.
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उन्होंने कहा कि ऐसे में कुछ किसानों की फसल भी नहीं खरीद पाए हैं, इसलिए किसान सेंटर पर तो आ रहे हैं लेकिन पूछताछ कर कर वापस जा रहे हैं. मंडी के सवाल पर शुक्ला ने दावा किया कि जो मंडी में किसानों की जगह व्यापारी ज्यादा आते हैं, जो अपनी फसल बेचने आ रहे हैं.
इन केंद्रों पर एक भी किसान की फसल नहीं खरीदी गई
कोटा जिले में भामाशाह मंडी, कोटा और झालावाड़ जिले के भवानी मंडी केंद्र पर ही किसानों की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है. इसके अलावा जो अन्य 21 केंद्र हैं, वहां पर एक भी किसान की फसल नहीं खरीदी गई है. जिनमें कोटा जिले के सांगोद, रामगंजमंडी, सुल्तानपुर और इटावा, बूंदी जिले में बूंदी मंडी, नैनवा, देई, कापरेन और हिंडोली, बारां जिले में बारां मंडी, समरानियां, अंता, अटरू, छबड़ा और छीपाबड़ौद, झालावाड़ जिले में झालरापाटन, खानपुर, चौमहला, बकानी, अकलेरा और मनोहरथाना केंद्र शामिल हैं.
एक किसान की 25 क्विंटल होगी खरीद
राज्य सरकार को केंद्र ने चना खरीद के लिए 6 लाख 15 हजार 750 मेट्रिक टन की अनुमति दी है. वहीं सरसों में 10 लाख 46 हजार 500 मेट्रिक टन की अनुमति मिली है. सरसों और चने को लेकर कृषि विभाग के अनुमान के आधार पर जिले में जिंस उत्पादन का 25 फीसदी तक खरीद होगी. वहीं किसान का अधिकतम समर्थन मूल्य पर खरीद 25 क्विंटल होगी.
ये हैं आंकड़े
- हाड़ौती में किसानों ने 45 हजार 135 रजिस्ट्रेशन करवाया.
- सरसों के 7 हजार 575 और चने के लिए 27 हजार 560 रजिस्ट्रेशन.
- खरीद के लिए अब तक 657 टोकन जारी किए.
- केवल 10 किसान पहुंचे अपनी फसल को बेचने.
- 6 सरसों और 4 चने किसानों के फसल की तुलाई हुई है.
- भवानी मंडी में 7 और कोटा में 3 किसानों की फसल की खरीद हुई है.