कोटा. देशभर में कोटा इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम (JEE and NEET coaching in kota) की कोचिंग के लिए जाना जाता है. लाखों की संख्या में छात्र यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं और स्टूडेंट्स के सलेक्शन में भी कोटा टॉप पर है. यहां के कोचिंग संस्थानों में लाखों रुपए की फीस कोचिंग के लिए ली जाती है. अब दो संस्थानों ने लाखों की जगह महज कुछ हजार रुपयों में ऑफ लाइन कोचिंग (Off line coaching in Kota) करवाने का दावा किया है (Kota coaching Fees War). इनमें एक संस्थान पहले से ही कोटा में मौजूद है. दूसरे संस्थान ने हाल ही एडमिशन शुरू किए हैं. पहले से मौजूद एक संस्थान ने मेडिकल और इंजीनियरिंग एग्जाम के लिए 40 हजार रुपए फीस रखी (Affordable fees by coaching institutes in Kota) है.
फैकल्टी से नहीं किया कंप्रोमाइज: कोटा में हाल ही में ऑफलाइन सेंटर लांच करने वाले फिजिक्स वाला संस्थान में 58000 से लेकर 70 हजार रुपए सालाना तक फीस जारी की (Medical and engineering exam affordable coaching in Kota) है. संस्थान की टीम लीडर सोनिया केसवानी का कहना है कि अभी वह इससे आधी फीस पर ही एडमिशन ले रहे हैं. ऐसे में JEE या फिर NEET की तैयारी कर रहे 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट से महज 25000 रुपए और जीएसटी फीस ली जा रही है. जबकि 12वीं ड्रॉपआउट के लिए यह फीस 35000 रुपए और जीएसटी है.
कम फीस पर उनका कहना है कि हमारे सीईओ अलख पांडे का विजन है कि नॉमिनल फीस पर बच्चों को पढ़ाया जाए और उन्हें ज्यादा अच्छी सुविधा दी जाए. हमारे संस्थान ने कॉस्ट कटिंग के अलग ही पॉइंट ऑफ व्यू से यह फीस कम की है. अच्छी क्वालिटी की एजुकेशन बच्चों को देना है. साथ ही यहां पर जो बच्चे एडमिशन ले रहे हैं, उनको एडमिशन ही नहीं दिलाना है. उनके लिए व्यवस्थाएं बैठानी हैं और उनका सपना सलेक्शन का सपना पूरा करना है. इसके लिए हमने एजुकेशन क्वालिटी से समझौता नहीं किया है. हमनें क्वालिफाइड और एक्सपीरियंस वाली फैकल्टी रखी है.
फीस ने दूसरों को दी चुनौती: केसवानी का कहना है कि चुनौती हम लोगों से ज्यादा सामने वालों के लिए हो गई है (Kota coaching Fees War). हमने सुना है कि आसपास के संस्थानों ने भी फीस कम की है. वे भी हमारे स्तर पर आ गए हैं, क्योंकि हमने ही उन्हें चुनौती दी है. अब यह कोटा के दूसरे कोचिंग संस्थानों को करके दिखाना है. मुझे लगता है कि यहां यह चुनौती हमारे लिए नहीं सामने वाले लोगों के लिए है. अभी तक हमारे संस्थान में 5000 से ज्यादा बच्चे एडमिशन ले चुके हैं.
कोचिंग फीस वार से बच्चे और पेरेंट्स खुश : कम फीस पर एडमिशन लेने वाले बच्चे और उनके पेरेंट्स भी काफी खुश नजर आ रहे हैं. नरोत्तम का कहना है कि वह अपने बेटे यशवंत को नीट की कोचिंग करवान चाहते हैं. यहां संस्थान में 57 हजार रुपए में ही एडमिशन हो गया. जबकि दूसरे संस्थानों में यहां से दोगुनी फीस है. यह फीस दूसरे कोचिंग के हिसाब से काफी कन्वेनिएंट और अफोर्डेबल है. पटना से एडमिशन करवाने पहुंचे सुभाष कुमार का कहना है कि उनकी बेटी का एडमिशन 12वीं ड्रॉपआउट के रूप में हुआ है. वह मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी करेगी. जिसकी फीस केवल 35 हजार रुपए दी है. वहीं दूसरे संस्थान में यह फिर करीब डेढ़ लाख के आसपास है.
1 साल की फीस में चार एडमिशन : कम फीस पर हो रही कोचिंग में एडमिशन करवाने पहुंचे मनीष कुमार का कहना है कि वह खुद बड़े संस्थान में पढ़ रहे हैं. जहां पर उनकी 1 साल की फीस 1,18000 रुपए है. जबकि 2 साल की फीस 2,36000 रुपए है. यहां पर उन्होंने अपने तीन भाई और एक बहन का एडमिशन करवाया है. सभी का एडमिशन 11वीं में हुआ है और प्रत्येक की फीस 28000 रुपए जमा कराई है. इन चारों की फीस ही उनके 1 साल की फीस से कम है.
34000 में JEE और NEET की तैयारी: कोटा के पुराने कोचिंग संस्थान कॅरियर पॉइंट ने हाल ही में अपनी एक स्कीम लॉन्च की है. जिसके तहत 34000 रुपए और जीएसटी की सालाना फीस में मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी करवाई जाएगी. इसकी करीब 40 हजार फीस है. इसके लिए इस साल केवल 12वीं पास आउट बच्चों के लिए ही बैच बनाया गया है. संस्थान के निदेशक प्रमोद माहेश्वरी का कहना है कि हमारा मानना है कि गरीब बच्चे प्रवेश कोचिंग नहीं ले पाते हैं. उनके लिए फीस देना फाइनेंशली काफी बड़ी परेशानी होती है. इसी लक्ष्य को रखते हुए 34 हजार रुपए और जीएसटी फीस के बैच शुरू करेंगे. इसमें कुल 40 हजार रुपए के आसपास की फीस बच्चे को देनी होगी. जुलाई में 20 तारीख से यह बैच शुरू कर रहे हैं, करीब हर बैच में 100 बच्चे रहेंगे. शुरुआत में हमने 5-5 बैच मेडिकल और इंजीनियरिंग के प्लान किए हैं.
फैकल्टी की सैलरी दुगनी क्यों हो जाती है : माहेश्वरी का कहना है कि फैकल्टी की कॉस्ट ज्यादा नहीं होती है. फैकल्टी को इधर से उधर अप्रोच करने पर ही उनकी कॉस्ट बढ़ जाती है. एक फैकल्टी को रातों-रात दूसरे संस्थान में जाने पर दोगुनी सैलरी मिलने लग जाती है. एक रात में ही फैकल्टी मेंबर में पढ़ाने की काबिलियत व ज्ञान दुगना नहीं होता है, लेकिन यह करने से पूरा खर्चा बच्चों पर चला जाता है. इसके अलावा कोटा कोचिंग संस्थानों में कई तरह के आडंबर, तमाशा और कार्यक्रम किए जाते हैं. इनका खर्चा भी बच्चों को ही देना होता है. अगर इन सब को हटा दिया जाए तो यह कॉस्टिंग 34 से 40 हजार के बीच ही है. इस पर हमने और हमारी पूरी टीम ने कैलकुलेशन की है. इसीलिए इस बार इसे लागू करके देखा है कि क्या रिजल्ट आते हैं.
आधी फीस में दिया एडमिशन: नए संस्थान आने के बाद बच्चे इधर से उधर दूसरे संस्थान से भी जुड़े हैं. बच्चे पहले के संस्थान में अपनी फीस जमा करा चुके थे. ऐसे बच्चों को उनके पहले संस्थान की रसीद दिखाने पर फीस कम कर दी जाती है. बच्चों से रिफंड के लिए एप्लाई भी करवाया गया है. साथ ही बच्चे को कहा गया है कि उन्होंने कितनी फीस पहले संस्थान में दी और रिफंड के बाद जो फीस वापस मिलेगी, वह हमारे यहां पर जमा करा दो, उसमें भी पढ़ा देंगे. यहां तक कि कई संस्थान तो इस तरह से भी एडमिशन दे रहे हैं कि अगर दूसरे संस्थान में आधी फीस जमा करा चुके हैं, तो फिर आधी फीस में ही वह नए संस्थान में जाकर आगे की पढ़ाई कर सकते हैं.
फैकल्टी के साथ बच्चे भी गए दूसरे संस्थान में : हाल ही में संस्थानों में एक-दूसरे की फैकल्टी को तोड़कर अपने संस्थानों के साथ जोड़ा था. इसमें एक संस्थान ने दूसरे संस्थान के फैकल्टी को काफी ज्यादा पैसा सैलरी के रूप में दिया. इन फैकल्टी से पहले के संस्थान में पढ़ रहे बच्चे भी जुड़े हुए थे. ऐसे में उन बच्चों को भी अपने सिलेक्शन की चिंता सताने लगी. ऐसे भी कई बच्चे हैं जो इन फैकल्टी के साथ टूट कर एक से दूसरे संस्थान में पहुंचे हैं. कई फैकल्टी ने तो बच्चों को एप्रोच भी किया था. ऐसे में फैकल्टी की बात मानकर बच्चों ने दूसरे संस्थान में प्रवेश ले लिया है.
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डिस्काउंट में भी हो रहे एडमिशन : शहर के इंद्रप्रस्थ इंडस्ट्रियल एरिया के रोड नंबर 2 और तलवंडी में उनके अनअकैडमी ने ऑफलाइन सेंटर में क्लासेज शुरू की है. यह संस्थान अपने बच्चों को आकर्षित करने के लिए एडमिशन पर 20 प्रतिशत फीस कम ले रहा है. मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस में इस संस्थान की 125000 से 140000 रुपए तक फीस है. इसमें ही सीधी 20 फीसदी की छूट दी जा रही है. इस तरह बच्चों से करीब एक लाख रुपए के आसपास फीस ली जा रही है.
एंट्रेंस टेस्ट में अच्छे नंबर पर रियायत : कई पुराने संस्थानों ने अपने फीस स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं किया है. यह सभी बच्चों से पहले बताई गई फीस ही ले रहे हैं. हालांकि ये संस्थान अलग-अलग स्कॉलरशिप के एडमिशन टेस्ट में बच्चों के प्रदर्शन के अनुसार रियायत दे रहे हैं. ऐसा लगभग सभी संस्थान कर रहे हैं. कोटा में सर्वाधिक बच्चे एलेन कॅरियर इंस्टिट्यूट के पास हैं. ऐसे में उन्होंने अपने फीस स्ट्रक्चर में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है. इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस में उनकी सालाना फीस 11वीं से 12वीं ड्रॉपआउट तक 120000 से 153000 रुपए तक है. इसके अलावा रेजोनेंस कोचिंग संस्थान की फीस 112000 से लेकर 155000 रुपए तक है. मोशन कोचिंग संस्थान की फीस 125000 से लेकर 155000 रुपए तक है. इसी तरह रिलाएबल कोचिंग संस्थान की फीस 153000 से 165000 रुपए तक है.
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सस्ती फीस वाला फॉर्मूला यहां हुआ फेल: राजीव गांधी नगर स्थित न्यूक्लियस कोचिंग में बीते साल एक स्कीम के जरिए स्टूडेंट्स को काफी सस्ते दाम में पढ़ाने की स्कीम शुरू की थी. इसे कुछ महीने बाद ही बंद कर दिया गया. इस स्कीम के तहत अगर बच्चे के पिता 20000 मासिक कमाते हैं, तो उसे महज 2000 ही कोचिंग फीस देनी थी. इस स्कीम के तहत लिमिटेड सीट भी कोचिंग में तय की थी, जिनमें प्रवेश भी दिया है. संस्थान के संयुक्त निदेशक अशोक खंडेलवाल का कहना है कि उन्होंने यह स्कीम अब बंद कर दी. इसकी जगह गरीब विद्यार्थियों के लिए 70 हजार रुपए फीस रखी गई है. वर्तमान में उनकी फीस इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी की 1 लाख 45 हजार है. उनका कहना है कि कोटा में बच्चा सिलेक्शन का सपना लेकर आता है. ऐसे में उन्हें अच्छी फैकल्टी, पढ़ाई और अन्य व्यवस्था भी करनी होती है.