कोटा. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरफ से आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस एग्जाम नीट यूजी का परिणाम 16 अक्टूबर को जारी हुआ है. इसमें एक स्टूडेंट ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि उसको टॉपर होने के बावजूद एनटीए ने फेल बताया है. बाद में जब उसने आपत्ति की तो उसके रिजल्ट में सुधार करते हुए उसे एसटी कैटेगरी का टॉपर बना दिया है. हालांकि एक्सपर्ट की राय इस मामले में बिल्कुल अलग है उनका कहना है कि एनटीए के द्वारा आयोजित नीट जैसी बड़ी परीक्षा में ऐसा गड़बड़झाला होना संभव नहीं है.
इस तरह के गड़बड़ का दावा करने वाला मृदुल रावत कोटा से कोचिंग कर रहा था. वहीं राजस्थान के करौली जिले के गंगापुर का रहने वाला है. हालांकि स्टूडेंट के दावे के अनुसार रिजल्ट पर आपत्ति जताने के बाद नीट परीक्षा को आयोजित करवाने वाली एनटीए ने अपनी गलती मानी और संशोधित परिणाम जारी किया है. साथ ही उसने कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की इतनी बड़ी गलती से मृदुल तनाव में आ गया और वह बीते दिनों परेशान भी रहा है.
छात्र का कहना है कि उसने कहा कि नीट परीक्षा देने के बाद जब ओएमआर शीट और आंसर की जारी हुई तो मृदुल ने अपने अंकों का मिलान किया. जिसके अनुसार उसके प्राप्तांक 720 में से 655 नंबर नीट परीक्षा में बैठ रहे थे, जो कि उसे टॉपर स्टूडेंट्स में शामिल करने के लिए काफी थे. हालांकि एनटीए की वेबसाइट से मार्कशीट डाउनलोड की गई, उसमें महज 329 अंक आए थे, जिनके अनुसार उसको मेडिकल सीट पर प्रवेश नहीं मिल रहा था, इससे वह चौक गया.
इस पर उसने अपने कोचिंग और फैकल्टी से बात की. उन्होंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से सोशल मीडिया और ईमेल के जरिए तुरंत संपर्क करने का आग्रह किया. जिसके बाद मेल करते हुए एनटीए को इस समस्या से अवगत कराया. इसके बाद एनटीए ने भी जल्दी रिजल्ट दुरुस्त करने का जवाब दिया. जब रिजल्ट को करेक्ट किया, लेकिन दोबारा जारी किए गए रिजल्ट में भी अंको में तो सही कर दिया गया. हालांकि शब्दों में रिजल्ट पुराना ही दर्शाया गया. इसके बाद दोबारा मैंने ने एनटीए से संपर्क किया और उनके दूसरी बार फिर रिजल्ट को दुरुस्त किया गया है.
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हालांकि कोटा के कोचिंग एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी इतनी बड़ी गड़बड़झाला नीट जैसे बड़े एग्जाम में नहीं कर सकता है. स्टूडेंट मार्कशीट में भी बार-बार गड़बड़झाले की बात कर रहा है, जबकि सिस्टम कंप्यूटर जेनरेटेड होता है. ऐसे में पूरी मार्कशीट में ही करेक्शन एक जगह करने पर होते हैं. इस मामले में संदेह है. ऐसे में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से भी पूरे मामले की कन्फर्मेशन करवाना जरूरी है.