कोटा. शिक्षा नगरी के नाम से विख्यात कोटा की कोचिंग संस्थानों को वापस शुरू करवाने की मांग को लेकर शुक्रवार को आंदोलन की शुरूआत हुई. इस आंदोलन की शुरुआत कोटा बचाओ संघर्ष समिति के साथ हॉस्टल, मैस, लॉन्ड्री, कोचिंग और ऑटो यूनियनों ने मिलकर की है. इसके पहले चरण में बड़ी संख्या में इन यूनियनों के लोग कलेक्ट्रेट पर पहुंचे.
जहां पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई. ये यूनियन लगातार कोटा के कोचिंग संस्थानों को खुलवाने की मांग कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि कोटा की पूरी अर्थव्यवस्था कोचिंग पर निर्भर है और कोचिंग संस्थान 9 महीने से बंद पड़े हैं। जिसके चलते कोचिंग व्यवसाय से जुड़े लोग भुखमरी और बेरोजगारी से गुजर रहे हैं.
30 नवंबर तक शांतिपूर्वक फिर करेंगे चक्का जाम
हॉस्टल एवं कोचिंग संचालकों का कहना है कि अगर 30 नवंबर तक उनकी मांग नहीं सुनी गई और 1 दिसंबर से कोचिंग संस्थानों को नहीं खोला गया तो वे अगले महीने से आंदोलन को उग्र कर देंगे. कोरल पार्क हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल का कहना है कि कोचिंग व्यवसाय से जुड़े तमाम लोग काम नहीं होने से परेशान हो गए हैं और आर्थिक तंगी के हालात से जूझ रहे हैं.
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करोड़ों का है हॉस्टल पर कर्जा
राजीव गांधी हॉस्टल एसोसिएशन के नवीन मित्तल का कहना है कि कोटा के 3 हजार हॉस्टल में लाखों की तादाद में बच्चे रहते हैं. इन सभी हॉस्टल पर करोड़ों रुपए का कर्जा है. जिनकी हर महीने किस्त भी जा रही है. अगस्त में लोन मोरटोरियम भी खत्म हो गया है. ऐसे में अब किस्त को कैसे भरेंगे. कोटा की डगमगाती अर्थव्यवस्था को बचाना है तो कोचिंग संस्थानों को आरंभ करके ही हालात को पटरी पर लाया जा सकता है.
चुनाव और त्यौहार सब जारी, केवल पढ़ाई से खतरा बता रह सरकार
चंबल हॉस्टल एसोसिएशन के शुभम अग्रवाल का कहना है कि शैक्षणिक सत्र को जीरो होने की कगार पर है. जबकि देश और प्रदेश में चुनाव हो रहे हैं. हर तरह के त्यौहार मनाए जा रहे हैं. बाजारों में भीड़भाड़ हो रही है. चक्का जाम जैसी स्थिति हो रही है, होटल, रेस्टोरेंट और मॉल सब चालू हैं, सरकार सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर पक्षपात कर रही है.