कोटा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद परिवहन विभाग ने कमर कस ली है. अब 15 साल पुराने डीजल कमर्शियल वाहनों को शहरी सीमा में चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ऐसे में इनकी लिस्ट परिवहन विभाग ने तैयार कर ली है, जो कि करीब 2000 है. इनमें ट्रक, मिनीडोर, बस, मिनी बस और छोटे कमर्शियल व्हीकल शामिल है.
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हालांकि, एनजीटी के आदेश के बाद परिवहन विभाग की कार्रवाई का विरोध ट्रक और मिनी डोर यूनियन कर रहा है. उनका कहना है कि अधिकांश लोग कोविड-19 के इस दौर में बेरोजगार बैठे हैं. ऐसे में सरकार भी उनकी ओर ध्यान नहीं दे रही है. उनके जो पुराने वाहन हैं, उनको नगरीय सीमा से बाहर निकाला जा रहा है. जहां पर वो वाहन को चला नहीं पाएंगे और इन वाहनों को बाद में कटवाना ही मजबूरी होगा.
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वहीं, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी कुसुम राठौड़ का कहना है कि एनजीटी के आदेश के बाद 31 मार्च के बाद यह वाहन शहरी सीमा में नहीं चल पाएंगे. शहर की सीमा भी नगर विकास न्यास के अधीन आने वाली भूमि तक है. ऐसे में कोटा शहर के करीब 20 किलोमीटर तक के रेडियस में ये वाहन नहीं चल पाएंगे. ग्रामीण इलाके में इन्हें संचालित किया जा सकता है. ऐसे में सभी पुराने वाहन स्वामियों को निर्देशित किया है कि वो अपना रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करवा लें.
विभाग के अधिकारियों पर भी लगाया लापरवाही का आरोप
मिनीडोर यूनियन से जुड़े सदस्यों का कहना है कि सभी वाहन चालकों से 2 महीने पहले ही विभाग ने लाइफ टाइम टैक्स जमा करवा लिया है. ऐसे में अधिकांश ने 50 से 60 हजार रुपए टैक्स के रूप में रात को दिए हैं. जबकि जब उनकी गाड़ी को तीन ही महीने संचालित करना था तो, इस तरह से टैक्स वसूली भी अधिकारियों ने क्यों की. साथ ही उन्होंने कहा कि वाहन चालकों की बात को भी कोई मानने को तैयार नहीं है.