कोटा. जिले के कांग्रेस विधायक भरत सिंह हमेशा ही अपने पत्रों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. इस बार उन्होंने चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने झोलाछाप डॉक्टरों की प्रशंसा की है. उन्होंने कहा कि झोलाछाप डॉक्टरों की ग्रामीण क्षेत्रों में काफी उपयोगिता है. ऐसे में कोविड-19 के दौरान उनका उपयोग किया जाए तो गांव में कोरोना कंट्रोल हो सकती है. वहीं, उन्होंने बेरोजगारी के युग में झोलाछाप डॉक्टर (Jholachap Doctor) को मोदी सरकार के कौशल विकास योजना का संकल्प भी बता दिया.
झोलाछाप डॉक्टर एक तरह का जुगाड़
विधायक भरत सिंह (MLA Bharat Singh) ने प्रदेश में हो रही झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को पत्र लिखा है. साथ ही उन्होंने कहा है कि कोरोना ग्रामीण इलाकों में जंगल की आग की तरह फैल चुका है. पूरे प्रदेश में करीब 40 हजार गांव है, लेकिन चिकित्सा व्यवस्था पहुंचाना बहुत बड़ी चुनौती है और साधन भी कम है. डॉक्टर भी सभी जगह नहीं पहुंच सकते हैं. ऐसे में झोलाछाप डॉक्टरों की पहुंच आज भी गांव में है और गांव के लोग इन पर काफी विश्वास भी करते हैं.
भरत सिंह ने कहा कि बीमार होने पर ग्रामीण लोग इनसे संपर्क कर इलाज कराते हैं. सरकार समय-समय पर इनके खिलाफ कार्रवाई कर इनको बंद करने पर जोर देती है. वर्तमान में इनके खिलाफ अभियान चलाया गया है और इनको इलाज करने से रोका गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की सोच अपनी जगह सही है, लेकिन मुल्क में जुगाड़ का अपना ही महत्व है.
झोलाछाप डॉक्टर में होता है अपनापन
विधायक भरत सिंह ने पत्र में लिखा है कि झोलाछाप डॉक्टर (Jholachap doctor) 365 दिन गांव में सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं. इनके व्यवहार में अपनापन और जनता के प्रति विश्वास पैदा करने वाला होता है. अपनी सेवा के आधार पर चिकित्सा के बाजार में यह जिंदा रह सकते हैं. मरीज के बुलाने पर यह उसके घर तक पहुंच कर सेवा प्रदान करते हैं. इनके संपर्क शहर में अच्छे चिकित्सक होते हैं, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर मरीज का शहर में इलाज के लिए जाने में मदद भी करते हैं. साथ ही इनमें कामकाज को सुधारने की ललक भी हमेशा रहती है.
चिकित्सा विभाग की कार्रवाई पर उठाया सवाल
भरत सिंह ने पत्र में लिखा है कि बेरोजगारी के इस दौर में ये झोलाछाप डॉक्टर मोदी सरकार (Modi Government) के कौशल विकास योजना के संकल्प की एक सफल मिसाल है. ये स्वयं को रोजगार के अलावा 1 या 2 लोगों को रोजगार भी प्रदान करते हैं. जहां तक की किसी की मृत्यु का प्रश्न है, कोरोना काल में इनके यहां एक-दो व्यक्ति की मौत हुई होगी जबकि मेडिकल कॉलेज और बड़े सरकारी अस्पताल में असंख्य लोग मर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार मेरे पत्र पर मंथन करें. साथ ही उन्होंने पूछा कि इनकी सेवाओं को पूर्ण रूप से बंद करके क्या सरकारी चिकित्सा सेवा पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा. क्या ग्रामीण जनता को इससे लाभ मिल सकेगा.