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यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का सपना, कैटल फ्री होगा कोटा अपना...तैयारियों को लेकर देखें खास रिपोर्ट - housing scheme is in 650 bigha in kota

आने वाले समय में कोटा कैटिल फ्री सिटी के रूप में प्रदेश के साथ पूरे देश में भी अलग पहचान बनाएगा. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल इसके लिए 650 बीघा जमीन पर 300 करोड़ से पशुपालकों के लिए आवासीय योजना बनाकर काम भी शुरू करा दिया है. मंत्री का कहना है कि शहर से पशुपालकों को हर हाल में शिफ्ट कर कैटल फ्री सिटी बनाई जाएगी.

cattle wil be shifted from kota city
कोटा शहर से शिफ्ट होंगे पशुपालक
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Published : Jan 22, 2021, 9:50 PM IST

कोटा. शहर को पशु बाड़े और डेयरियों से मुक्त करने के लिए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने अभियान छेड़ दिया है. इसके तहत नगर विकास न्यास ने 650 बीघा से ज्यादा जमीन पर 300 करोड़ रुपए की एक अनूठी देवनारायण पशुपालक आवासीय स्कीम तैयार की है, जो कि देश में सबसे अलग है. हालांकि शहर में शहर में बड़ी संख्या में रह रहे पशु पालकों दूर शिफ्ट करना टेढ़ी खीर होगा. इसके बावजूद मंत्री धारीवाल का कहना है कि जो पशुपालक स्वेच्छा से शिफ्ट हो जाएगा उसे तुरंत ही कर दिया जाएगा और जो नहीं जाएगा उसे सख्ती कर भेजा जाएगा. कुछ भी हो शहर को पूरी तरह से कैटल फ्री किया जाएगा.

कोटा शहर से शिफ्ट होंगे पशुपालक

प्रदेश के कद्दावर नेता और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कोटा शहर को नया रूप देने का अभियान शुरू किया है. उनका सपना है कि विश्व स्तरीय शहरों में कोटा का नाम भी शुमार हो. इसके तहत स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हजारों करोड़ के काम यहां पर करवाए जा रहे हैं. ऐसे ही शहर को पशु बाड़े और डेयरियों से मुक्त करने के लिए भी यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने अभियान छेड़ रखा है. वे कोटा को देश का पहला कैटल फ्री शहर बनाना चाहते हैं. इसके तहत नगर विकास न्यास ने 650 से ज्यादा बीघा जमीन पर 300 करोड़ रुपए की एक अनूठी देवनारायण पशुपालक आवासीय स्कीम बनाई है, जो कि पूरे देश में सबसे अलग है.

cattle wil be shifted from kota city
300 करोड़ से बन रही आवासीय योजना

पढ़ें: Special: शारीरिक और आर्थिक मोर्चे पर लड़ाई के बावजूद हौसले के दम पर क्रिकेट में जोर आजमाते पैरा क्रिकेटर्स

हालांकि शहर में करीब एक हजार के आसपास पशु पालक रहते हैं और इन सब को शिफ्ट करना टेढ़ी खीर भी होगा. हालांकि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल कह रहे हैं कि जो पशुपालक स्वेच्छा से शिफ्ट हो जाएगा उसको तुरंत शिफ्ट कर दिया जाएगा और जो नहीं होगा उन्हें सख्ती कर भेजा जाएगा. लेकिन जो भी शहर को पूरी तरह से कैटल फ्री किया जाएगा.

cattle wil be shifted from kota city
650 बीघा में बन रही आवासीय स्कीम

कई जगह कर रखा है अवैध कब्जा

फिलहाल अधिकांश पशुपालक सरकारी जमीन या नालों पर अतिक्रमण कर अपने पशुबाड़े संचालित कर रहे हैं. इसके अलावा पशुपालकों ने यूआईटी की जमीन और प्लॉटों पर भी कब्जा कर रखा है. कई लोगों की आवंटित जगह पर भी उन्होंने पशु बाड़े बनाए हुए हैं जबकि कुछ ने खुद की जमीन खरीद उस पर पशु बाड़ा बनाया है. ऐसे में वे अपनी खरीदी हुई जगह छोड़कर कैसे जाएंगे, यह बड़ा सवाल है. बीते साल भी पशुओं के सड़कों पर घूमने या डेयरियों के होने से 49 लोगों की जान दुर्घटना में गई है. मंत्री धारीवाल का कहना है कि कोटा ऐसा शहर है, जहां पर लगातार आवारा जानवरों से दुर्घटनाएं होने से लोगों की जान जा रही हैं.

cattle wil be shifted from kota city
कोटा से पशुपालकों की खबर

पढ़ें: Special: वर्ष 2021 में कब और कितने लगेंगे ग्रहण, जानें किन-किन राशियों पर पड़ेगा प्रभाव

काफी स्टडी के बाद शुरू की योजना

भाजपा के शासन में कांग्रेस नेता और विधायक भरत सिंह ने मुंडन करवाया था और इस प्रकार की घटनाओं का विरोध जताया था. अब कांग्रेस के शासन में भी लगातार गायों की मौत हो रही है. इस पर यूडीएच मंत्री खुद भी मान रहे हैं कि सड़क पर घूम रहे आवारा जानवरों और मवेशियों से टकराकर कई लोग हादसे का शिकार हो रहे हैं. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने दावा किया है कि इस अनूठी स्कीम को लागू करने के लिए पहले देश भर में पशुपालकों के लिए बनी योजनाओं को देखा गया और उसके बाद उन सब का फीडबैक यहां पर लिया गया. जिन जगहों पर योजनाएं फेल हुई हैं वहां की पूरी स्टडी की गई है. इसके बाद इस योजना को देश में अमलीजामा पहनाया गया है.

अब योजना का काम पूरे जोर-शोर से चल रहा है. मई तक यह पूरी योजना तैयार हो जाएगी. साथ ही यहां पर पशुपालकों को शिफ्ट करने का काम भी शुरू हो जाएगा. इस अनूठी योजना को देखने के लिए देश के कई बड़े शहरों का प्रशासन भी कोटा आ रहा है. पशुपालकों की योजना के लिए एक बड़ा आयोजन स्थल भी रखा गया है जहां पशु मेले आयोजित किए जा सकेंगे.

रंगमंच के साथ होगा पशुओं के बैठने के लिए तालाब

इसके अलावा इसमें एक रंगमंच भी बनाया गया है. यहां तक कि पशुओं को पानी में बैठने की आदत होती है, ऐसे में उनके लिए तालाबों का निर्माण भी किया जा रहा है. पशुपालकों को दूध बेचने के लिए एक निश्चित जगह भी तय की गई है जिसे दूध मंडी कहा जाएगा. यह पूरी तरह से अलग होगी. इस स्कीम के सैंपल हाउस भी संवेदक ने तैयार कर दिए हैं जहां पर पशुपालकों के लिए पूरी सुविधाएं हैं. टिनशेड भी पशुओं के लिए लगाया गया है. इसके अलावा पशुपालकों के रहने के लिए दो कमरे और किचन तैयार हैं. उस पशुओं के लिए चारा रखने के लिए अलग व्यवस्था है. पानी पिलाने की भी पूरी व्यवस्था की गई है.

पढ़ें: SPECIAL : श्याम-श्वेत सिनेमा की तारिकाओं को कैनवास पर उकेरा 13 साल की अदिति ने...मासूम का संदेश- संघर्ष को सलाम

अस्पताल के साथ बच्चों के लिए पार्क भी

पशुपालकों के लिए भी वहां पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है. बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल है. इसके अलावा पशुओं के उपचार के लिए वहां अस्पताल की व्यवस्था है. सामुदायिक भवन भी बनाया गया है. बच्चों के खेलने के लिए पार्क भी अलग-अलग जगह बनाए गए हैं. इस पूरी योजना में जल सप्लाई के लिए अलग से पानी की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा पूरे परिसर में सड़कों का निर्माण किया जाएगा, बिजली की व्यवस्था के साथ पुलिस चौकी भी स्थापित होगी.

एक रुपए किलो में खरीदेंगे गोबर, गैस की भी मिलेगी सुविधा

यूआईटी स्कीम के तहत एक गोबर गैस का बड़ा प्लांट भी तैयार कर रही है. जिसके लिए पशुपालकों से ही एक रुपए किलो में गोबर खरीदा जाएगा. इसके अलावा आसपास की जितनी भी गोशालाएं हैं, वहां से भी गोबर एकत्रित होगा जिससे गैस निर्मित की जाएगी. इस प्लांट का टेंडर भी कर दिया गया है जिसके अंतर्गत 5 साल तक ऑपरेशन और मेंटेनेंस भी फर्म ही करेगी. इसी गोबर गैस प्लांट के जरिए पशुपालकों को गैस की सुविधा भी मिलेगी. खास बात यह है कि इससे रोशनी भी प्रदान की जा सकेगी

15 से 18 लाख रुपए तक मिलेंगे मकान

यहां पर 35*70 के प्लॉट करीब 15 लाख रुपए और 35*90 के भूखंड का 17 लाख 50 हजार रुपए में मिलेगा. यूआईटी की इस योजना में आवासीय कम पशुपालन भूखंडों की संख्या 1178 है. इसके अलावा डेयरी फार्मिंग के लिए भी 77 प्लॉट हैं. साथ ही जो व्यापारी भूसे के गोदाम बनाना चाहते हैं, उनके लिए भी 33 भूखंड तय किए गए हैं. सभी में पूरी व्यवस्था करके दी जाएगी. इसके आवंटन फॉर्म दिसंबर में जारी कर दिए गए थे. अगर पूरे आवंटी या नहीं आते हैं, तो यूआईटी के अधिकारियों का कहना है कि जो भी लोग नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, उन्हें ये बाड़े आवंटित कर दिए जाएंगे.

कोटा. शहर को पशु बाड़े और डेयरियों से मुक्त करने के लिए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने अभियान छेड़ दिया है. इसके तहत नगर विकास न्यास ने 650 बीघा से ज्यादा जमीन पर 300 करोड़ रुपए की एक अनूठी देवनारायण पशुपालक आवासीय स्कीम तैयार की है, जो कि देश में सबसे अलग है. हालांकि शहर में शहर में बड़ी संख्या में रह रहे पशु पालकों दूर शिफ्ट करना टेढ़ी खीर होगा. इसके बावजूद मंत्री धारीवाल का कहना है कि जो पशुपालक स्वेच्छा से शिफ्ट हो जाएगा उसे तुरंत ही कर दिया जाएगा और जो नहीं जाएगा उसे सख्ती कर भेजा जाएगा. कुछ भी हो शहर को पूरी तरह से कैटल फ्री किया जाएगा.

कोटा शहर से शिफ्ट होंगे पशुपालक

प्रदेश के कद्दावर नेता और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कोटा शहर को नया रूप देने का अभियान शुरू किया है. उनका सपना है कि विश्व स्तरीय शहरों में कोटा का नाम भी शुमार हो. इसके तहत स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हजारों करोड़ के काम यहां पर करवाए जा रहे हैं. ऐसे ही शहर को पशु बाड़े और डेयरियों से मुक्त करने के लिए भी यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने अभियान छेड़ रखा है. वे कोटा को देश का पहला कैटल फ्री शहर बनाना चाहते हैं. इसके तहत नगर विकास न्यास ने 650 से ज्यादा बीघा जमीन पर 300 करोड़ रुपए की एक अनूठी देवनारायण पशुपालक आवासीय स्कीम बनाई है, जो कि पूरे देश में सबसे अलग है.

cattle wil be shifted from kota city
300 करोड़ से बन रही आवासीय योजना

पढ़ें: Special: शारीरिक और आर्थिक मोर्चे पर लड़ाई के बावजूद हौसले के दम पर क्रिकेट में जोर आजमाते पैरा क्रिकेटर्स

हालांकि शहर में करीब एक हजार के आसपास पशु पालक रहते हैं और इन सब को शिफ्ट करना टेढ़ी खीर भी होगा. हालांकि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल कह रहे हैं कि जो पशुपालक स्वेच्छा से शिफ्ट हो जाएगा उसको तुरंत शिफ्ट कर दिया जाएगा और जो नहीं होगा उन्हें सख्ती कर भेजा जाएगा. लेकिन जो भी शहर को पूरी तरह से कैटल फ्री किया जाएगा.

cattle wil be shifted from kota city
650 बीघा में बन रही आवासीय स्कीम

कई जगह कर रखा है अवैध कब्जा

फिलहाल अधिकांश पशुपालक सरकारी जमीन या नालों पर अतिक्रमण कर अपने पशुबाड़े संचालित कर रहे हैं. इसके अलावा पशुपालकों ने यूआईटी की जमीन और प्लॉटों पर भी कब्जा कर रखा है. कई लोगों की आवंटित जगह पर भी उन्होंने पशु बाड़े बनाए हुए हैं जबकि कुछ ने खुद की जमीन खरीद उस पर पशु बाड़ा बनाया है. ऐसे में वे अपनी खरीदी हुई जगह छोड़कर कैसे जाएंगे, यह बड़ा सवाल है. बीते साल भी पशुओं के सड़कों पर घूमने या डेयरियों के होने से 49 लोगों की जान दुर्घटना में गई है. मंत्री धारीवाल का कहना है कि कोटा ऐसा शहर है, जहां पर लगातार आवारा जानवरों से दुर्घटनाएं होने से लोगों की जान जा रही हैं.

cattle wil be shifted from kota city
कोटा से पशुपालकों की खबर

पढ़ें: Special: वर्ष 2021 में कब और कितने लगेंगे ग्रहण, जानें किन-किन राशियों पर पड़ेगा प्रभाव

काफी स्टडी के बाद शुरू की योजना

भाजपा के शासन में कांग्रेस नेता और विधायक भरत सिंह ने मुंडन करवाया था और इस प्रकार की घटनाओं का विरोध जताया था. अब कांग्रेस के शासन में भी लगातार गायों की मौत हो रही है. इस पर यूडीएच मंत्री खुद भी मान रहे हैं कि सड़क पर घूम रहे आवारा जानवरों और मवेशियों से टकराकर कई लोग हादसे का शिकार हो रहे हैं. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने दावा किया है कि इस अनूठी स्कीम को लागू करने के लिए पहले देश भर में पशुपालकों के लिए बनी योजनाओं को देखा गया और उसके बाद उन सब का फीडबैक यहां पर लिया गया. जिन जगहों पर योजनाएं फेल हुई हैं वहां की पूरी स्टडी की गई है. इसके बाद इस योजना को देश में अमलीजामा पहनाया गया है.

अब योजना का काम पूरे जोर-शोर से चल रहा है. मई तक यह पूरी योजना तैयार हो जाएगी. साथ ही यहां पर पशुपालकों को शिफ्ट करने का काम भी शुरू हो जाएगा. इस अनूठी योजना को देखने के लिए देश के कई बड़े शहरों का प्रशासन भी कोटा आ रहा है. पशुपालकों की योजना के लिए एक बड़ा आयोजन स्थल भी रखा गया है जहां पशु मेले आयोजित किए जा सकेंगे.

रंगमंच के साथ होगा पशुओं के बैठने के लिए तालाब

इसके अलावा इसमें एक रंगमंच भी बनाया गया है. यहां तक कि पशुओं को पानी में बैठने की आदत होती है, ऐसे में उनके लिए तालाबों का निर्माण भी किया जा रहा है. पशुपालकों को दूध बेचने के लिए एक निश्चित जगह भी तय की गई है जिसे दूध मंडी कहा जाएगा. यह पूरी तरह से अलग होगी. इस स्कीम के सैंपल हाउस भी संवेदक ने तैयार कर दिए हैं जहां पर पशुपालकों के लिए पूरी सुविधाएं हैं. टिनशेड भी पशुओं के लिए लगाया गया है. इसके अलावा पशुपालकों के रहने के लिए दो कमरे और किचन तैयार हैं. उस पशुओं के लिए चारा रखने के लिए अलग व्यवस्था है. पानी पिलाने की भी पूरी व्यवस्था की गई है.

पढ़ें: SPECIAL : श्याम-श्वेत सिनेमा की तारिकाओं को कैनवास पर उकेरा 13 साल की अदिति ने...मासूम का संदेश- संघर्ष को सलाम

अस्पताल के साथ बच्चों के लिए पार्क भी

पशुपालकों के लिए भी वहां पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है. बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल है. इसके अलावा पशुओं के उपचार के लिए वहां अस्पताल की व्यवस्था है. सामुदायिक भवन भी बनाया गया है. बच्चों के खेलने के लिए पार्क भी अलग-अलग जगह बनाए गए हैं. इस पूरी योजना में जल सप्लाई के लिए अलग से पानी की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा पूरे परिसर में सड़कों का निर्माण किया जाएगा, बिजली की व्यवस्था के साथ पुलिस चौकी भी स्थापित होगी.

एक रुपए किलो में खरीदेंगे गोबर, गैस की भी मिलेगी सुविधा

यूआईटी स्कीम के तहत एक गोबर गैस का बड़ा प्लांट भी तैयार कर रही है. जिसके लिए पशुपालकों से ही एक रुपए किलो में गोबर खरीदा जाएगा. इसके अलावा आसपास की जितनी भी गोशालाएं हैं, वहां से भी गोबर एकत्रित होगा जिससे गैस निर्मित की जाएगी. इस प्लांट का टेंडर भी कर दिया गया है जिसके अंतर्गत 5 साल तक ऑपरेशन और मेंटेनेंस भी फर्म ही करेगी. इसी गोबर गैस प्लांट के जरिए पशुपालकों को गैस की सुविधा भी मिलेगी. खास बात यह है कि इससे रोशनी भी प्रदान की जा सकेगी

15 से 18 लाख रुपए तक मिलेंगे मकान

यहां पर 35*70 के प्लॉट करीब 15 लाख रुपए और 35*90 के भूखंड का 17 लाख 50 हजार रुपए में मिलेगा. यूआईटी की इस योजना में आवासीय कम पशुपालन भूखंडों की संख्या 1178 है. इसके अलावा डेयरी फार्मिंग के लिए भी 77 प्लॉट हैं. साथ ही जो व्यापारी भूसे के गोदाम बनाना चाहते हैं, उनके लिए भी 33 भूखंड तय किए गए हैं. सभी में पूरी व्यवस्था करके दी जाएगी. इसके आवंटन फॉर्म दिसंबर में जारी कर दिए गए थे. अगर पूरे आवंटी या नहीं आते हैं, तो यूआईटी के अधिकारियों का कहना है कि जो भी लोग नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, उन्हें ये बाड़े आवंटित कर दिए जाएंगे.

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