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SME मीणा के खिलाफ उच्च अधिकारी ने सरकार को पत्र लिखे, ACB से जांच की उठाई थी मांग

कोटा में रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए SME पन्नालाल मीणा के खिलाफ उनके विभाग के कर्मचारियों ने राज्य सरकार को पत्र लिखे थे. इन पत्रों में मीणा के करोड़ों के घोटाले की जानकारी दी गई. जिसके बाद पत्र लिखने वाले दीपक तंवर को एपीओ कर दिया गया.

कोटा न्यूज, Mining department employees, SME पन्नालाल मीणा, SME Pannalal Meena
SME के खिलाफ उच्च अधिकारी ने लिखे थे पत्र
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Published : Dec 26, 2019, 11:13 AM IST

Updated : Dec 26, 2019, 2:57 PM IST

कोटा. रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए खनन विभाग के अधीक्षण खनन अभियंता पीएल मीणा और अन्य अधिकारियों के खिलाफ उनके ही विभाग के उच्च अधिकारी ने राज्य सरकार को पत्र लिखे थे. जिनमें कोटा संभाग में मीणा के करोड़ों के घालमेल और गड़बड़झाले की जानकारी दी गई थी. अधिकारी ने पत्र लिखकर कार्रवाई करने की मांग की थी.

SME के खिलाफ उच्च अधिकारी ने लिखे थे पत्र

इन पत्रों में झालावाड़ की एक माइनिंग फर्म को फर्जीवाड़ा कर खनन पट्टे अलॉट करने के पूरे मामले का भी जिक्र किया गया था. यह सभी पत्र विभाग के तत्कालीन एडीशनल डायरेक्टर माइनिंग दीपक तंवर ने अपने उच्चाधिकारियों को लिखे थे. जिनमें एसीबी से जांच की अनुशंसा कर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ एफआईआर करवाने की बात लिखी थी. इन पत्रों में राशि में घालमेल कर अपने चहेतों को उपकृत करने और राजकोष को चूना लगाने की बात भी लिखी गई थी. हालांकि, सरकार ने इन सभी पत्रों को पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की.

इन पत्रों को भेजने के एक दिन बाद ही पत्र लिखने वाले तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक माइनिंग दीपक तंवर को एपीओ कर दिया गया था. पत्रों को लेकर 6 महीने बाद भी किसी तरह का कोई एक्शन सरकार ने नहीं लिया. वहीं एसीबी को भी यह जांच नहीं सौंपी है.

यह भी पढ़ें. केईडीएल के मामले में आम जनता की आंखों में धूल झोंक रहे मंत्री धारीवाल: प्रहलाद गुंजल

सिवायचक और चारागाह की भूमि पर भी जारी कर दिए थे पट्टे

तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक माइनिंग दीपक तंवर ने उच्चाधिकारियों को लिखे पत्र में बताया है, कि अलग-अलग चीजों के मामले में अधिकारियों ने ना तो जमीन की किस्म, ना खातेदारी का सत्यापन कराया है. खसरों की जांच के लिए भी पटवारी के साथ संयुक्त सीमांकन सत्यापन नहीं किया. उसके स्थान पर केवल टेबल पर डिमार्केशन किया गया और पट्टे दिए गए हैं. इसका प्रमाण है, कि जिन खसरों में पट्टों के लिए कंपनी ने आवेदन ही नहीं किया, उन पर भी खनन स्वीकृति जारी कर दी गई है, इनमें सिवाय चक और चारागाह भूमि पर थे.

यह भी पढ़ें. कोटा में 27 से आयोजित होगा कॉपरेटिव स्पेक्ट्रम, खेल प्रतियोगिताओं के साथ होगा कॉन्क्लेव

ट्रांसफर के 3 माह बाद फिर कोटा जमा, 15 सालों से यही कर रहा नौकरी

रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुए पीएल मीणा ने अधिकांश नौकरी कोटा में ही की है. कोटा संभाग में ही वह असिस्टेंट माइनिंग इंजीनियर, माइनिंग इंजीनियर, सुपरिटेंडेंट माइनिंग इंजीनियर और एडिशन डायरेक्टर जैसे सभी पदों पर प्रमोशन लेते रहे हैं. खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने ट्रांसफर लिस्ट जारी करके मीणा को कोटा से भरतपुर भेजा था, लेकिन 3 महीने बाद ही वापस वे अपना तबादला कोटा में करवा लाए थे. यही नहीं उन्होंने सुप्रिटेंडेंट माइनिंग इंजीनियर के साथ-साथ एडिशनल डायरेक्टर का भी अतिरिक्त पद संभाल लिया.

कोटा. रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए खनन विभाग के अधीक्षण खनन अभियंता पीएल मीणा और अन्य अधिकारियों के खिलाफ उनके ही विभाग के उच्च अधिकारी ने राज्य सरकार को पत्र लिखे थे. जिनमें कोटा संभाग में मीणा के करोड़ों के घालमेल और गड़बड़झाले की जानकारी दी गई थी. अधिकारी ने पत्र लिखकर कार्रवाई करने की मांग की थी.

SME के खिलाफ उच्च अधिकारी ने लिखे थे पत्र

इन पत्रों में झालावाड़ की एक माइनिंग फर्म को फर्जीवाड़ा कर खनन पट्टे अलॉट करने के पूरे मामले का भी जिक्र किया गया था. यह सभी पत्र विभाग के तत्कालीन एडीशनल डायरेक्टर माइनिंग दीपक तंवर ने अपने उच्चाधिकारियों को लिखे थे. जिनमें एसीबी से जांच की अनुशंसा कर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ एफआईआर करवाने की बात लिखी थी. इन पत्रों में राशि में घालमेल कर अपने चहेतों को उपकृत करने और राजकोष को चूना लगाने की बात भी लिखी गई थी. हालांकि, सरकार ने इन सभी पत्रों को पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की.

इन पत्रों को भेजने के एक दिन बाद ही पत्र लिखने वाले तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक माइनिंग दीपक तंवर को एपीओ कर दिया गया था. पत्रों को लेकर 6 महीने बाद भी किसी तरह का कोई एक्शन सरकार ने नहीं लिया. वहीं एसीबी को भी यह जांच नहीं सौंपी है.

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सिवायचक और चारागाह की भूमि पर भी जारी कर दिए थे पट्टे

तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक माइनिंग दीपक तंवर ने उच्चाधिकारियों को लिखे पत्र में बताया है, कि अलग-अलग चीजों के मामले में अधिकारियों ने ना तो जमीन की किस्म, ना खातेदारी का सत्यापन कराया है. खसरों की जांच के लिए भी पटवारी के साथ संयुक्त सीमांकन सत्यापन नहीं किया. उसके स्थान पर केवल टेबल पर डिमार्केशन किया गया और पट्टे दिए गए हैं. इसका प्रमाण है, कि जिन खसरों में पट्टों के लिए कंपनी ने आवेदन ही नहीं किया, उन पर भी खनन स्वीकृति जारी कर दी गई है, इनमें सिवाय चक और चारागाह भूमि पर थे.

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ट्रांसफर के 3 माह बाद फिर कोटा जमा, 15 सालों से यही कर रहा नौकरी

रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुए पीएल मीणा ने अधिकांश नौकरी कोटा में ही की है. कोटा संभाग में ही वह असिस्टेंट माइनिंग इंजीनियर, माइनिंग इंजीनियर, सुपरिटेंडेंट माइनिंग इंजीनियर और एडिशन डायरेक्टर जैसे सभी पदों पर प्रमोशन लेते रहे हैं. खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने ट्रांसफर लिस्ट जारी करके मीणा को कोटा से भरतपुर भेजा था, लेकिन 3 महीने बाद ही वापस वे अपना तबादला कोटा में करवा लाए थे. यही नहीं उन्होंने सुप्रिटेंडेंट माइनिंग इंजीनियर के साथ-साथ एडिशनल डायरेक्टर का भी अतिरिक्त पद संभाल लिया.

Intro:अधीक्षण खनन अभियंता पीएल मीणा व अन्य अधिकारियों के खिलाफ उनके ही विभाग के उच्च अधिकारी ने राज्य सरकार को पत्र लिखे थे. जिनमें कोटा संभाग में मीणा ने किस तरह से कारगुजारी कर करोड़ों के घालमेल और गड़बड़झाड़े की जानकारी दी गई थी. इसमें झालावाड़ की एक माइनिंग फॉर्म को फर्जीवाड़ा कर खनन पट्टे अलॉट करने के पूरे मामले का भी उल्लेख ने किया था. यह सभी पत्र विभाग के तत्कालीन एडिशनल डायरेक्टर माइनिंग दीपक तंवर ने अपने उच्चाधिकारियों को लिखे थे. जिनमें एसीबी से जांच की अनुशंसा कर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ एफआईआर करवाने की बात की उन्होंने लिखी थी.


Body:कोटा.
रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए खनन विभाग के अधीक्षण खनन अभियंता पीएल मीणा व अन्य अधिकारियों के खिलाफ उनके ही विभाग के उच्च अधिकारी ने राज्य सरकार को पत्र लिखे थे. जिनमें कोटा संभाग में मीणा ने किस तरह से कारगुजारी कर करोड़ों के घालमेल और गड़बड़झाड़े की जानकारी दी गई थी. इसमें झालावाड़ की एक माइनिंग फर्म को फर्जीवाड़ा कर खनन पट्टे अलॉट करने के पूरे मामले का भी उल्लेख ने किया था.
यह सभी पत्र विभाग के तत्कालीन एडिशनल डायरेक्टर माइनिंग दीपक तंवर ने अपने उच्चाधिकारियों को लिखे थे. जिनमें एसीबी से जांच की अनुशंसा कर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ एफआईआर करवाने की बात की उन्होंने लिखी थी. इन पत्रों में कान के डेट रेट की राशि में घालमेल कर अपने चहेतों को उपकृत करने और राजकोष को चूना लगाने की बात भी लिखी गई थी. हालांकि सरकार ने इन सभी पत्रों को पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की और इन पत्रों को भेजने के एक दिन बाद ही पत्र लिखने वाले तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक माइनिंग दीपक तंवर को एपीओ कर दिया गया था. पत्रों को लेकर 6 महीने बाद भी किसी तरह का कोई एक्शन सरकार ने नहीं लिया. वही एसीबी को भी यह जांच नहीं सौंपी है.


सिवायचक व चारागाह की भूमि पर भी जारी कर दिए थे पट्टे
तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक माइनिंग दीपक तंवर ने उच्चाधिकारियों को लिखे पत्र में बताया है कि अलग-अलग चीजों के मामले में अधिकारियों ने ना तो जमीन की किस्म, ना खातेदारी का सत्यापन कराया है. खसरों की जांच के लिए भी पटवारी के साथ संयुक्त सीमांकन सत्यापन नहीं किया. उसके स्थान पर केवल टेबल पर डिमार्केशन किया गया और पट्टे दिए गए है. इसका प्रमाण है कि जिन खसरों में पट्टों के लिए कंपनी ने आवेदन ही नहीं किया, उन पर भी खनन स्वीकृति जारी कर दी गई है, इनमें सिवायचक व चारागाह भूमि पर थे.


Conclusion:ट्रांसफर के 3 माह बाद फिर कोटा जमा, 15 सालों से यही कर रहा नौकरी
रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुए पीएल मीणा ने अधिकांश नौकरी कोटा में ही की है कोटा संभाग में ही वह असिस्टेंट माइनिंग इंजीनियर, माइनिंग इंजीनियर, सुपरिटेंडेंट माइनिंग इंजीनियर और एडिशन डायरेक्टर जैसे सभी पदों पर प्रमोशन लेते रहे हैं. खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने ट्रांसफर लिस्ट जारी करके मीणा को कोटा से भरतपुर भेजा था, लेकिन वो 3 माह बाद ही वापस वे अपना तबादला कोटा में करवा लाए थे. यही नहीं उन्होंने सुपरिटेंडेंट माइनिंग इंजीनियर के साथ-साथ एडिशनल डायरेक्टर का भी अतिरिक्त पद संभाल लिया.
Last Updated : Dec 26, 2019, 2:57 PM IST
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