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SPECIAL : एक साल से बंद मथुराधीश, फाग उत्सव का आनंद नहीं ले पा रहे श्रद्धालु...सेवादारों के साथ होली खेल रहे भगवान

बीते करीब 1 साल से ही मंदिर बंद है. ऐसे में इस बार भी फाग महोत्सव में यहां के पुजारी सेवादार और अन्य मंदिर सदस्य ही रंग उड़ाएंगे. भगवान मथुराधीश के कोटा आने के बाद के इतिहास में पहली बार है कि श्रद्धालु भगवान के साथ होली नहीं खेल पाएंगे और श्रद्धालुओं को इसका मलाल भी है.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
फाग में भी बंद मथुराधीश के पट
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Published : Mar 18, 2021, 7:39 PM IST

Updated : Mar 18, 2021, 9:04 PM IST

कोटा. शहर के पाटनपोल में स्थित मथुराधीश मंदिर में फाग महोत्सव की बड़ी धूम रहती है. परकोटे के अंदर स्थित मथुराधीश भगवान के मंदिर में भक्त जमकर रंगो की होली आस्था और भक्ति भाव के साथ खेलते हैं. लेकिन इस बार कॉविड 19 के चलते मथुराधीश मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया है...

फाग में भी बंद मथुराधीश के पट

बीते करीब 1 साल से ही मंदिर बंद है. ऐसे में इस बार भी फाग महोत्सव में यहां के पुजारी सेवादार और अन्य मंदिर सदस्य ही रंग उड़ाएंगे. भगवान मथुराधीश के कोटा आने के बाद के इतिहास में पहली बार है कि श्रद्धालु भगवान के साथ होली नहीं खेल पाएंगे और श्रद्धालुओं को इसका मलाल भी है. ये मंदिर वल्लभ कुंज संप्रदाय वैष्णव प्रथम पीठ का मंदिर है.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
मथुराधीश के दर्शन के लिए तरसे कोटा वासी

बसंत पंचमी से शुरू होता है 40 दिन का फाग महोत्सव

मथुराधीश मंदिर में श्रद्धालुओं को काफी आनंद फाग महोत्सव के दौरान आता है. यहां पर रंगों का उत्सव बसंत पंचमी से ही शुरु होता है. बसंत पंचमी से रंग गुलाल उड़ने लगता है. पहले सफेद और फिर लाल गुलाल से भगवान के साथ होली खेलते हैं. इस समय श्रद्धालु दर्शन करने ज्यादा आते हैं. होली के पहले पूर्णिमा तक गुलाल उड़ता है. इसके बाद होली तक पानी व रंग से ठाकुरजी होली खेलते हैं. इसके साथ ही छठवीं व नवमी के बीच बगीचा सजाया है.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
फाग उत्सव के लिए तरस रहे श्रद्धालु

जिसमें ठाकुरजी बगीचे में आकर रंग व पानी से होली खेलते हैं. इस बार बगीचा सजेगा, लेकिन श्रद्धालु नहीं होंगे. क्योंकि मंदिर कमेटी ने अभी तक मंदिर खोलने पर निर्णय नहीं लिया है. ये फ़ाग महोत्सव होली के दूसरे दिन फूलडोल तक यह चलता है. जिसमें अलग-अलग दिन अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

बरसाने और वृंदावन जैसी होली

फ़ाग महोत्सव की में भगवान मथुराधीश अपने भक्तों के बीच बगीचे की होली खेलने के लिए बगीचे आते हैं. जिसमें रंग, गुलाल और रंगों के पानी की बौछार से भक्त कृष्ण भक्ति में जमकर थिरकते हैं और रंग गुलाल की होली खेली जाती है. जैसी होली कोटा के मथुराधीश मंदिर में होती है, उससे लगता है कि यहां पर मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना कोटा में साकार हो जाता है.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
फाग में भी बंद मथुराधीश के पट

हवेली को दिया गया था मंदिर स्वरूप

कोटा में 1795 में श्रीमथुराधीश प्रभु की प्रतिमा स्थापित की गई थी. शहर के पाटन पोल द्वार के पास प्रभु के रथ को रुकवाया और तत्कालीन आचार्य गोस्वामी गोपीनाथ महाराज ने आज्ञा दी कि प्रभु को यहीं विराजने की इच्छा है. तब कोटा के राज्य दीवान द्वारकादास में अपने हवेली को गोस्वामी जी के सुपुर्द कर दिया. गोस्वामी जी ने उसे हवेली में फेरबदल करा कर प्रभु को विराजमान किया. प्रभु तब से अभी इस हवेली में विराजमान हैं. इससे पहले मथुराधीश प्रभु 65 वर्ष बूंदी में विराजे थे. यहां वल्लभ संप्रदाय के अनुसार सेवा होती थी.

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कोरोना काल में अब तक बंद हैं पट

पढ़ें- राजस्थान में लौट रही पर्यटन की रौनक...सबसे ज्यादा पर्यटकों से आमेर गुलजार

बूंदी से कोटा लाए थे भगवान को

बताया जाता है कि महाराव दुर्जन साल हाड़ा बूंदी से वल्लभ संप्रदाय के प्रथम पीठ को कोटा लेकर आए थे, मथुराधीश जी की प्रतिमा भगवान श्रीकृष्ण ने वल्लभमय सप्त स्वरूपों में से प्रथमेश है. इसी कारण कोटा के मथुराधीश मंदिर को वल्लभ संप्रदाय के प्रथम पीठ मानी जाती है और वल्लभ कुल संप्रदाय के अनुयायियों के लिए भी महत्वपूर्ण प्रथम तीर्थ है.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
हर साल फाग उत्सव में हजारों श्रद्धालु होते हैं शामिल

सेवा पूजा जारी, ट्रस्ट करता है संचालन

मंदिर में केवल श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद है. जबकि मंदिर में भगवान की सेवा पूजा का क्रम जारी है. वहां पर जो पुजारी लगे हुए हैं, वह अपना पूरा काम कर पहले की तरह कर रहे हैं. यहां पर मंदिर में सेवा पूजा करने के लिए अलग पुजारी हैं. इसके अलावा भगवान का भोग तैयार करने के लिए अलग हैं. यहां तक कि दूध की मिठाई बनाने के लिए भी अलग रसोईया है और अन्य दूसरे कार्यों के लिए भी अलग पुजारी हैं. साथ ही मंदिर ट्रस्ट के जरिए संचालित किया जाता है.

पांच बार कर सकते थे दर्शन

मंदिर में मंगला से लेकर शाम तक अलग-अलग बार श्रद्धालुओं को दर्शन होते हैं. इसमें समय पर कुछ समय के लिए ही मंदिर खोला जाता है. जिसमें श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है. यहां पांच अलग-अलग बार श्रद्धालुओं को दर्शन होते थे. जिसमें सुबह, दोपहर व शाम को यह दर्शन होते हैं.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
कोटा में 1795 में श्रीमथुराधीश प्रभु की प्रतिमा हुई स्थापित

पढ़ें- आमेर महल घूमने आई सचिन तेंदुलकर की पत्नी और बेटी

हर साल आते हैं 10 लाख श्रद्धालु, समय से होते हैं दर्शन

मंदिर में सामान्य दिनों में करीब 1500 से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं. वहीं छुट्टी वाले दिनों में यह संख्या दुगनी होकर 3500 पहुंच जाती है. वहीं कृष्ण जन्माष्टमी के अलावा अन्य त्योहारों पर यह संख्या करीब 10,000 से ज्यादा पहुंच जाती है. होली के दिनों में भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर होली खेलने के लिए पहुंचते हैं. जिनमें बगीचे की होली के दिन तो यह संख्या काफी ज्यादा होती है. ऐसे में माना जाए तो पूरे साल भर में करीब 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर में आते हैं.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
सभी मंदिरों को खोला गया लेकिन मथुराधीश मंदिर को नहीं

मंदिर के बाहर स्थित व्यापारियों की आमदनी भी हुई प्रभावित

मथुराधीश मंदिर के बाहर के बाजार को नंदग्राम बाजार कहा जाता है. यहां के व्यापारियों के लिए मंदिर के बंद होने से आमदनी पर असर पड़ रहा है. यहां के व्यापारी कहते हैं कि मंदिर बंद होने के चलते श्रद्धालु नहीं आ पा रहे हैं, जो कि दूरदराज के इलाके से आते हैं. यहां तक की फाग महोत्सव के 40 दिनों में तो ग्रामीण इलाके से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे. जिससे उन्हें व्यापार में फायदा होता था, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. वह कई बार मंदिर कमेटी से आग्रह भी कर चुके हैं, लेकिन मंदिर कमेटी मंदिर को खोलना नहीं चाह रही है. यह मंदिर 1 साल से बंद है. जबकि अन्य सभी मंदिरों में दर्शन शुरू हो गए हैं.

नहीं टूटे परंपरा

श्रद्धालुओं ने कहा इस बार हमारी भी यह मांग है कि कुछ ही लोगों को मंदिर में प्रवेश दिया जाए, ताकि श्रद्धालु भगवान के साथ होली खेल सके और परंपरा नहीं टूटे. भगवान केवल सेवादारों के साथ ही होली खेल रहे हैं. ऐसे में कुछ ही श्रद्धालुओं को प्रवेश दे दें, क्योंकि परिसर भी काफी बड़ा है और वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना भी हो सकती है. महिला श्रद्धालुओं ने कहा कि वे अन्य सभी मंदिरों में दर्शन भी करने जा रही हैं, लेकिन केवल मथुराधीश मंदिर को ही नहीं खोला गया है.

कोटा. शहर के पाटनपोल में स्थित मथुराधीश मंदिर में फाग महोत्सव की बड़ी धूम रहती है. परकोटे के अंदर स्थित मथुराधीश भगवान के मंदिर में भक्त जमकर रंगो की होली आस्था और भक्ति भाव के साथ खेलते हैं. लेकिन इस बार कॉविड 19 के चलते मथुराधीश मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया है...

फाग में भी बंद मथुराधीश के पट

बीते करीब 1 साल से ही मंदिर बंद है. ऐसे में इस बार भी फाग महोत्सव में यहां के पुजारी सेवादार और अन्य मंदिर सदस्य ही रंग उड़ाएंगे. भगवान मथुराधीश के कोटा आने के बाद के इतिहास में पहली बार है कि श्रद्धालु भगवान के साथ होली नहीं खेल पाएंगे और श्रद्धालुओं को इसका मलाल भी है. ये मंदिर वल्लभ कुंज संप्रदाय वैष्णव प्रथम पीठ का मंदिर है.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
मथुराधीश के दर्शन के लिए तरसे कोटा वासी

बसंत पंचमी से शुरू होता है 40 दिन का फाग महोत्सव

मथुराधीश मंदिर में श्रद्धालुओं को काफी आनंद फाग महोत्सव के दौरान आता है. यहां पर रंगों का उत्सव बसंत पंचमी से ही शुरु होता है. बसंत पंचमी से रंग गुलाल उड़ने लगता है. पहले सफेद और फिर लाल गुलाल से भगवान के साथ होली खेलते हैं. इस समय श्रद्धालु दर्शन करने ज्यादा आते हैं. होली के पहले पूर्णिमा तक गुलाल उड़ता है. इसके बाद होली तक पानी व रंग से ठाकुरजी होली खेलते हैं. इसके साथ ही छठवीं व नवमी के बीच बगीचा सजाया है.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
फाग उत्सव के लिए तरस रहे श्रद्धालु

जिसमें ठाकुरजी बगीचे में आकर रंग व पानी से होली खेलते हैं. इस बार बगीचा सजेगा, लेकिन श्रद्धालु नहीं होंगे. क्योंकि मंदिर कमेटी ने अभी तक मंदिर खोलने पर निर्णय नहीं लिया है. ये फ़ाग महोत्सव होली के दूसरे दिन फूलडोल तक यह चलता है. जिसमें अलग-अलग दिन अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

बरसाने और वृंदावन जैसी होली

फ़ाग महोत्सव की में भगवान मथुराधीश अपने भक्तों के बीच बगीचे की होली खेलने के लिए बगीचे आते हैं. जिसमें रंग, गुलाल और रंगों के पानी की बौछार से भक्त कृष्ण भक्ति में जमकर थिरकते हैं और रंग गुलाल की होली खेली जाती है. जैसी होली कोटा के मथुराधीश मंदिर में होती है, उससे लगता है कि यहां पर मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना कोटा में साकार हो जाता है.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
फाग में भी बंद मथुराधीश के पट

हवेली को दिया गया था मंदिर स्वरूप

कोटा में 1795 में श्रीमथुराधीश प्रभु की प्रतिमा स्थापित की गई थी. शहर के पाटन पोल द्वार के पास प्रभु के रथ को रुकवाया और तत्कालीन आचार्य गोस्वामी गोपीनाथ महाराज ने आज्ञा दी कि प्रभु को यहीं विराजने की इच्छा है. तब कोटा के राज्य दीवान द्वारकादास में अपने हवेली को गोस्वामी जी के सुपुर्द कर दिया. गोस्वामी जी ने उसे हवेली में फेरबदल करा कर प्रभु को विराजमान किया. प्रभु तब से अभी इस हवेली में विराजमान हैं. इससे पहले मथुराधीश प्रभु 65 वर्ष बूंदी में विराजे थे. यहां वल्लभ संप्रदाय के अनुसार सेवा होती थी.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
कोरोना काल में अब तक बंद हैं पट

पढ़ें- राजस्थान में लौट रही पर्यटन की रौनक...सबसे ज्यादा पर्यटकों से आमेर गुलजार

बूंदी से कोटा लाए थे भगवान को

बताया जाता है कि महाराव दुर्जन साल हाड़ा बूंदी से वल्लभ संप्रदाय के प्रथम पीठ को कोटा लेकर आए थे, मथुराधीश जी की प्रतिमा भगवान श्रीकृष्ण ने वल्लभमय सप्त स्वरूपों में से प्रथमेश है. इसी कारण कोटा के मथुराधीश मंदिर को वल्लभ संप्रदाय के प्रथम पीठ मानी जाती है और वल्लभ कुल संप्रदाय के अनुयायियों के लिए भी महत्वपूर्ण प्रथम तीर्थ है.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
हर साल फाग उत्सव में हजारों श्रद्धालु होते हैं शामिल

सेवा पूजा जारी, ट्रस्ट करता है संचालन

मंदिर में केवल श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद है. जबकि मंदिर में भगवान की सेवा पूजा का क्रम जारी है. वहां पर जो पुजारी लगे हुए हैं, वह अपना पूरा काम कर पहले की तरह कर रहे हैं. यहां पर मंदिर में सेवा पूजा करने के लिए अलग पुजारी हैं. इसके अलावा भगवान का भोग तैयार करने के लिए अलग हैं. यहां तक कि दूध की मिठाई बनाने के लिए भी अलग रसोईया है और अन्य दूसरे कार्यों के लिए भी अलग पुजारी हैं. साथ ही मंदिर ट्रस्ट के जरिए संचालित किया जाता है.

पांच बार कर सकते थे दर्शन

मंदिर में मंगला से लेकर शाम तक अलग-अलग बार श्रद्धालुओं को दर्शन होते हैं. इसमें समय पर कुछ समय के लिए ही मंदिर खोला जाता है. जिसमें श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है. यहां पांच अलग-अलग बार श्रद्धालुओं को दर्शन होते थे. जिसमें सुबह, दोपहर व शाम को यह दर्शन होते हैं.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
कोटा में 1795 में श्रीमथुराधीश प्रभु की प्रतिमा हुई स्थापित

पढ़ें- आमेर महल घूमने आई सचिन तेंदुलकर की पत्नी और बेटी

हर साल आते हैं 10 लाख श्रद्धालु, समय से होते हैं दर्शन

मंदिर में सामान्य दिनों में करीब 1500 से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं. वहीं छुट्टी वाले दिनों में यह संख्या दुगनी होकर 3500 पहुंच जाती है. वहीं कृष्ण जन्माष्टमी के अलावा अन्य त्योहारों पर यह संख्या करीब 10,000 से ज्यादा पहुंच जाती है. होली के दिनों में भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर होली खेलने के लिए पहुंचते हैं. जिनमें बगीचे की होली के दिन तो यह संख्या काफी ज्यादा होती है. ऐसे में माना जाए तो पूरे साल भर में करीब 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर में आते हैं.

Religious places of Kota,  Fag festival in Kota,  Kota Mathuradhish Temple Phagotsav
सभी मंदिरों को खोला गया लेकिन मथुराधीश मंदिर को नहीं

मंदिर के बाहर स्थित व्यापारियों की आमदनी भी हुई प्रभावित

मथुराधीश मंदिर के बाहर के बाजार को नंदग्राम बाजार कहा जाता है. यहां के व्यापारियों के लिए मंदिर के बंद होने से आमदनी पर असर पड़ रहा है. यहां के व्यापारी कहते हैं कि मंदिर बंद होने के चलते श्रद्धालु नहीं आ पा रहे हैं, जो कि दूरदराज के इलाके से आते हैं. यहां तक की फाग महोत्सव के 40 दिनों में तो ग्रामीण इलाके से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे. जिससे उन्हें व्यापार में फायदा होता था, लेकिन अब ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. वह कई बार मंदिर कमेटी से आग्रह भी कर चुके हैं, लेकिन मंदिर कमेटी मंदिर को खोलना नहीं चाह रही है. यह मंदिर 1 साल से बंद है. जबकि अन्य सभी मंदिरों में दर्शन शुरू हो गए हैं.

नहीं टूटे परंपरा

श्रद्धालुओं ने कहा इस बार हमारी भी यह मांग है कि कुछ ही लोगों को मंदिर में प्रवेश दिया जाए, ताकि श्रद्धालु भगवान के साथ होली खेल सके और परंपरा नहीं टूटे. भगवान केवल सेवादारों के साथ ही होली खेल रहे हैं. ऐसे में कुछ ही श्रद्धालुओं को प्रवेश दे दें, क्योंकि परिसर भी काफी बड़ा है और वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना भी हो सकती है. महिला श्रद्धालुओं ने कहा कि वे अन्य सभी मंदिरों में दर्शन भी करने जा रही हैं, लेकिन केवल मथुराधीश मंदिर को ही नहीं खोला गया है.

Last Updated : Mar 18, 2021, 9:04 PM IST
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