कोटा. जयपुर की जेल में हुए कोरोना विस्फोट के बाद अब कोटा प्रशासन भी कैदियों के प्रति अलर्ट हो रहा है. प्रशासन मंथन में जुटा है कि किसी भी तरह सेंट्रल जेल तक कोरोना का संक्रमण न पहुंचे. कोर्ट से प्राप्त निर्देशों के आधार पर इसके लिए अब तय किया गया है कि नए कैदियों को जेल में दाखिल करने के पहले कोविड- 19 टेस्ट किया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट यदि पॉजिटिव आती है तो उस कैदी को पहले इलाज के लिए कोविड अस्पताल में भेजा जाएगा. उ सके बाद ही उसे जेल में प्रवेश दिया जाएगा.
कोटा सीएमएचओ डॉ. बीएस तंवर ने बताया की जेल में बन्द अन्य कैदियों में संक्रमण के खतरे को देखते हुए ये एहतियातन कदम उठाया जा रहा है. अब जैसे ही कोई नया कैदी जेल में दाखिल होने के लिए आता है, तो पहले उस कैदी का कोविड- 19 टेस्ट किया जाएगा, जिसकी प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. यदि कैदी में संक्रमण मिलता है तो पहले अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज करवाया जाएगा. साथ ही 14 दिनों का क्वॉरेंटाइन पीरियड पूरा करना होगा, जिसके पश्चात उसे न्यायिक अभिरक्षा के लिए जेल में भेजा जाएगा.
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फिलहाल, कोटा सेंट्रल जेल में 1 हजार 192 कैदी बन्द हैं. ऐसे में एक भी संक्रमित कैदी यदि अंदर पहुंचता है, तो वो न केवल इन सभी को संक्रमित कर सकता है. बल्कि जेल प्रशासन, जेलकर्मी और जेलकर्मियों के परिजनों के लिए भी बड़ा खतरा साबित हो सकता है. हालांकि अभी तक जेल में प्रशासन संक्रमण के मद्देनजर फूंक-फूंककर कदम रख रहा है.
वहीं कैदियों को अंदर सेनेटाइजेशन के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है. साथ ही उन्हें अन्य कैदियों से अलग रखा जाता है. कोटा जेल से कोविड- 19 के चक्कर में कुछ कैदियों को अन्य जिलों में भी शिफ्ट किया गया है, लेकिन कोटा में अब तक कुल 326 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं. ऐसे में प्रशासन कैदियों की सुरक्षा के साथ किसी प्रकार का रिस्क लेना नहीं चाहता.