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चम्बल नदी का पानी छोड़ने से निचली बस्तियों में भरा पानी

वर्तमान में 290000 क्यूसेक पानी कोटा बैराज से छोड़ा जा रहा है. जिससे नयापुरा क्षेत्र की निचली बस्तियों में पानी भर गया है. हालात ऐसे हैं कि ढाई सौ घरों की बस्ती पूरी तरह जलमग्न हो गई है. इनमें से एक मंजिल पानी मे डूब गया है. ऐसे में इन लोगों ने छतों पर जाकर शरण ली है और अपने सामानों को भी छतों पर शिफ्ट किया है. साथ ही खाने-पीने का संकट भी इन लोगों पर आ गया है.

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Published : Aug 28, 2019, 3:21 PM IST

water filled lower settlements, कोटा न्यूज, चम्बल के पानी से निचली बस्ती डूबा, खाने- पीने का भी संकट

कोटा. चंबल नदी पर बने सबसे बड़े बांध मध्य प्रदेश स्थित गांधी सागर में से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. इससे चंबल नदी में पानी की आवक हो रही है. लगातार पानी छोड़ने से कोटा बैराज से भी पानी की निकासी की जा रही है. अभी वर्तमान में 290000 क्यूसेक पानी कोटा बैराज से छोड़ा जा रहा है. जिससे नयापुरा क्षेत्र की निचली बस्तियों में पानी भर गया है.

चम्बल नदी के पानी छोड़ने से निचली बस्तियों में भरा पानी

हालात ऐसे हैं कि ढाई सौ घरों की बस्ती पूरी तरह जलमग्न हो गई है. इनमें से एक मंजिल पानी मे डूब गया है. ऐसे में इन लोगों ने छतों पर जाकर शरण ली है और अपने सामानों को भी छतों पर शिफ्ट किया है. साथ ही खाने-पीने का संकट भी इन लोगों पर आ गया है. एक मंजिल डूब जाने के चलते उनके खाने-पीने और राशन का संकट पैदा हो गया है.

यह भी पढ़ें- जोधपुरः हथियारों के साथ डांस करने वाला 007 गैंग का सरगना चढ़ा पुलिस के हत्थे...वीडियो वायरल करने के पीछे ये थी वजह

बस्ती के लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन के लोग उनके समस्या सुनने भी नहीं पहुंचे हैं. साथ ही उनके खाने पीने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया है. केवल आस-पड़ोस के लोगों से ही जुगाड़ कर खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं. साथ ही लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने छत पर शरण ली हुई है और कोटा में बारिश होने के बाद उनकी और समस्या बढ़ जाएगी.

कोटा. चंबल नदी पर बने सबसे बड़े बांध मध्य प्रदेश स्थित गांधी सागर में से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. इससे चंबल नदी में पानी की आवक हो रही है. लगातार पानी छोड़ने से कोटा बैराज से भी पानी की निकासी की जा रही है. अभी वर्तमान में 290000 क्यूसेक पानी कोटा बैराज से छोड़ा जा रहा है. जिससे नयापुरा क्षेत्र की निचली बस्तियों में पानी भर गया है.

चम्बल नदी के पानी छोड़ने से निचली बस्तियों में भरा पानी

हालात ऐसे हैं कि ढाई सौ घरों की बस्ती पूरी तरह जलमग्न हो गई है. इनमें से एक मंजिल पानी मे डूब गया है. ऐसे में इन लोगों ने छतों पर जाकर शरण ली है और अपने सामानों को भी छतों पर शिफ्ट किया है. साथ ही खाने-पीने का संकट भी इन लोगों पर आ गया है. एक मंजिल डूब जाने के चलते उनके खाने-पीने और राशन का संकट पैदा हो गया है.

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बस्ती के लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन के लोग उनके समस्या सुनने भी नहीं पहुंचे हैं. साथ ही उनके खाने पीने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया है. केवल आस-पड़ोस के लोगों से ही जुगाड़ कर खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं. साथ ही लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने छत पर शरण ली हुई है और कोटा में बारिश होने के बाद उनकी और समस्या बढ़ जाएगी.

Intro:वर्तमान में 290000 क्यूसेक पानी कोटा बैराज से छोड़ा जा रहा है. जिससे नयापुरा क्षेत्र की निचली बस्तियों में पानी भर गया है. हालात ऐसे हैं कि ढाई सौ घरों की बस्ती पूरी तरह जलमग्न हो गई है. इनमें से 1-1 मंजिल पानी डूब गया है. ऐसे में इन लोगों ने छतों पर जाकर शरण ली है और अपने सामानों को भी छतों पर शिफ्ट किया है. साथ ही खाने-पीने का संकट भी इन लोगों पर आ गया है.


Body:कोटा.
चंबल नदी पर बने सबसे बांध मध्य प्रदेश स्थित गांधी सागर में से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. इससे चंबल नदी में पानी की आवक हो रही है. लगातार पानी छोड़ने से कोटा बैराज से भी पानी की निकासी की जा रही है. अभी वर्तमान में 290000 क्यूसेक पानी कोटा बैराज से छोड़ा जा रहा है. जिससे नयापुरा क्षेत्र की निचली बस्तियों में पानी भर गया है. हालात ऐसे हैं कि ढाई सौ घरों की बस्ती पूरी तरह जलमग्न हो गई है. इनमें से 1-1 मंजिल पानी डूब गया है. ऐसे में इन लोगों ने छतों पर जाकर शरण ली है और अपने सामानों को भी छतों पर शिफ्ट किया है. साथ ही खाने-पीने का संकट भी इन लोगों पर आ गया है. एक मंजिल डूब जाने के चलते उनके खाने-पीने और राशन का संकट पैदा हो गया है.


Conclusion:बस्ती के लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन के लोग उनके समस्या सुनने भी नहीं पहुंचे हैं. साथ ही उनके खाने पीने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया है. केवल आस-पड़ोस के लोगों से ही जुगाड़ कर में खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं. साथ ही लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने छत पर शरण ली हुई है और कोटा में बारिश होने के बाद उनकी और समस्या बढ़ जाएगी.

बाइट का क्रम
बाइट-- रमेश सनगत, स्थानीय निवासी
बाइट-- मुकेश कुमार, स्थानीय निवासी
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