कोटा. नगर निगम कोटा की अग्निशमन टीम ने शुक्रवार को सुबह 7 बजे एरोड्रम स्थित आकाश मॉल पर पहुंचकर इस बिल्डिंग को सीज कर (Akash Mall Is Seized in Kota) दिया. फायर एनओसी आकाश मॉल के पास नहीं थी. इसके चलते नगर निगम की टीम ने कई नोटिस उन्हें दिए, लेकिन नोटिस का जवाब भी आकाश मॉल के संचालक नहीं दे रहे थे. ऐसे में नगर निगम दक्षिण आयुक्त राजपाल सिंह के आदेश के बाद मॉल को सीज कर दिया गया है. इसमें सिनेमाघर, आधार सेंटर के अलावा कई ऑफिस और रेस्टोरेंट संचालित होते हैं. शहर के बीचोबीच स्थित यह बिल्डिंग कई सालों से बिना फायर एनओसी के ही संचालित हो रही थी.
कार्रवाई करने दक्षिण के चीफ फायर ऑफिसर दीपक राजौरा, उत्तर के जलज घसीजा व असिस्टेंट फायर ऑफिसर देवेंद्र गौतम सहित पूरा अमला पहुंचा. अचानक निगम की फायर टीम को देखते हुए मॉल के सिक्योरिटी गार्ड भी सकते में आ गए. इसके बाद उसने मॉल के मालिक और संचालकों को फोन किया, लेकिन मालिक मॉल तक पहुंचते उससे पहले ही नगर निगम की अग्निशमन अनुभाग टीम ने मॉल को सीज (No Fire safety Measure in Malls of Kota) कर दिया.
चीफ फायर ऑफिसर दीपक राजौरा ने बताया कि अग्निशमन की टीम ने आकाश मॉल संचालकों को बीते 5 सालों से कई नोटिस दिए हैं. मैंने खुद ने 2021 में तीन नोटिस इस मॉल संचालकों को दिए थे. उन्होंने कहा कि हमने कई बार फायर सेफ्टी के उपकरणों की जांच की, जिन्हें हम भी नहीं चला पा रहे थे. ऐसे में आम व्यक्ति कैसे इनका उपयोग कर पाएगा? साथ ही इस मॉल में चल रहे सिनेमा घर में भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं, लेकिन वहां भी फायर फाइटिंग के कोई इंतजाम नहीं हैं. मॉल संचालक फायर एनओसी को रिन्यूअल भी नहीं करा रहे थे और नई एनओसी के लिए भी आवेदन नहीं कर रहे थे.
मॉल में फायर सेफ्टी के उपकरण चालू हालात में भी नहीं हैं. सीएफओ जलज घसीजा ने बताया कि पूरे कोटा दक्षिण और उत्तर नगर निगम के एरिया में 1000 बिल्डिंगों को नोटिस दिए हुए हैं. इनमें कई हाईराइज रेजिडेंशियल बिल्डिंग, हॉस्पिटल, कोचिंग संस्थान, हॉस्टल, होटल, मैस, स्कूल, बड़े शोरूम और इंडस्ट्रियल फैक्ट्रियां शामिल हैं. सभी को कई बार चेतावनी भी दी जा चुकी है. ऐसे में अब उच्चाधिकारियों के निर्देश पर सख्ती शुरू की है.
इसी के तहत आकाश मॉल को सीज कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी. ऐसे में जो भी लोग फायर एनओसी तुरंत लें, ताकि आगजनी की घटनाओं पर रोक लग सके. अस्पतालों को सरकार ने इसमें थोड़ी रियायत दी हुई है और कोटा शहर के 90 फीसदी अस्पतालों के बाद इस तरह की फायर एनओसी भी है. हालांकि अन्य 10 फीसदी अस्पतालों के पास फायर एनओसी नहीं है। इन पर भी हम सख्ती कर रहे हैं.