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कोटा अस्पताल में बिजली जाने का मामला: मृतका की बेटी बोली- अस्पताल की लापरवाही ने ली मां की जान - Death Due To Power Failure In Kota Hospital

परिजनों ने साफ कहा है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही (Death Due To Power Failure In Kota Hospital) इसमें रही थी. मृतका की बेटी का कहना है कि उनकी मां तड़प तड़प कर मर गई. बेटी के मुताबिक उस दौरान उन्होंने अस्पताल में मौजूद डॉक्टर, स्टाफ से लेकर सिक्योरिटी गार्ड और आम जनता से भी मदद मांगी लेकिन कोई उनकी मदद को आगे नहीं आया.

Kota Medical College death case
परिजनों का आरोप- अस्पताल की लापरवाही ने ली जान
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Published : Apr 26, 2022, 11:13 AM IST

Updated : Apr 26, 2022, 12:27 PM IST

कोटा. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में 24 अप्रैल की रात को करीब 3 घंटे तक बिजली बंद रही थी. इसके चलते एक महिला मरीज की जान चली गई (Death Due To Power Failure In Kota Hospital). अब मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने के चलते ही मौत हुई. मरीज नंदू बाई, रावतभाटा की रहने वाली थी. उनकी मौत के बाद परिजनों का वीडियो सामने आया है. जिसमें उन्होंने मौत के लिए अस्पताल को जिम्मेदार ठहराया है. कहा है कि अस्पताल की लापरवाही (Kota Medical College death case) के कारण उनकी मरीज ने तड़प तड़प कर जान गंवा दी. बेटी ने उन तीन घंटों की कहानी बयां की है. कहा है कि मां को तड़पता देख उन्होंने डॉक्टर, स्टाफ से लेकर सिक्योरिटी गार्ड और आम जनता से भी मदद मांगी, लेकिन कोई मदद को आगे नहीं आया. मां को खो चुकी बेटी ने कहा- ये तो हॉस्पिटल है. इंसान घर पर मरता तो समझते कि सुविधा नहीं है, लेकिन अस्पताल में तो सभी सुविधा होती है.

चिकित्सकों से गिड़गिड़ा रही थी , नहीं मिली मदद : बेटी मधु मौर्य का कहना है कि मां नन्दू बाई को सीएससी रावतभाटा से उनकी तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज कोटा के लिए रेफर करवा कर लाए थे, वहां पर इमरजेंसी में उन्हें भर्ती कर दिया था. उनके बीपी, शुगर और ऑक्सीजन का लेवल कम बताया जा रहा था. उनका उपचार चल रहा था 3:00 बजे के आसपास शुगर डाउन होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर ले जाया गया. इसके बाद शाम को लाइट चली गई. इससे ऑक्सीजन की समस्या आने लगी. इस दौरान हम एंबू बैग से लगातार ऑक्सीजन दे रहे थे, कभी मैं कभी मेरा भाई देता. ये काम करीब 10:30 तक चलता रहा है. इस बीच में सैकड़ों बार चिकित्सकों के पास गई और लाइट के बारे में उनसे पूछा. मेरी मां की तबीयत लगातार खराब होती जा रही थी. पूरे इमरजेंसी ब्लॉक में ही अंधेरा छाया हुआ था. सभी ने अपना मोबाइल की लाइट चालू की हुई थी. मेरी मां पसीना पसीना हो गई. ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से तड़पती रही.उनका शुगर लेवल मेंटेन नहीं रहा था। उनको लगातार घबराहट हो रही थी और हाथ पैर फेंक रही थीं. ऐसे में हम कभी उनके हाथ पकड़ते तो कभी पैर. मैं चिकित्सकों के हाथ जोड़ती रही, इस पर जो भी चिकित्सक वहां पर आता वह पल्स चल रही है कहकर वापस चला जाता.

बेटी बोली लापरवाही ने ली जान

पढ़ें- कोटा के अस्पताल में 3 घंटे तक बिजली गुल, महिला मरीज की मौत... परिजनों का आरोप- Oxygen बंद होने से गई जान

शिफ्ट करने के लिए कहा, जवाब मिला खाली बेड का पता कर बता दो: मृतका की बेटी ने बताया कि हम एम्बु बैग से लगातार ऑक्सीजन दे रहे थे. हमारे हाथ दर्द करने लगे थे. मां का शुगर लेवल लगातार गिर रहा था. उस वक्त मैं डॉक्टरों से गिड़गिड़ा रही थी. उनसे मां को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए कह रही थी, तब केवल एक ही जवाब हमें दिया जा रहा था कि आप खुद ही अस्पताल में तलाश कर लो कि बेड कहां पर खाली है, हम वहां पर शिफ्ट कर देंगे. मैं पहली बार अस्पताल आई हूं, ऐसे में मुझे कैसे जानकारी हो सकती है कि बेड कहां पर खाली पड़ा था. इस पर उन्होंने भी जवाब दिया कि हमें भी खाली बेड की जानकारी नहीं है. हमने दूसरे अस्पताल में रेफर करने के लिए कहा तो भी कोई जवाब नहीं दिया गया.

पुलिस को बुलाकर हमें धमकाया गया: मधु मौर्य का कहना है कि मां को ठीक-ठाक लेकर गई थी. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में लापरवाही की वजह से मरी हुई वापस लेकर आई हूं. कोई व्यवस्था वहां पर नहीं है, यहां तक कि कोई जनरेटर की व्यवस्था नहीं (Death In Hospital Due To power Interruption) है. जरनेटर भी होता, तो मेरी मां आज जीवित होती. इमरजेंसी में सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं थे. जूनियर डॉक्टर भी पूरी तरह से ट्रेंड नहीं थे. इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर से लेकर स्टाफ, स्वीपर और सभी लोग बदतमीज थे. अस्पताल की जो पल्स और मॉनिटर दिखा रहे थे. सब गलत दिखा रहे थे. मम्मी की तबीयत लगातार खराब हो रही थी. 10:30 बजे के करीब उन्होंने दम तोड़ दिया. बेटी ने अस्पताल पर धमकी देने का भी आरोप लगाया है. कहा- पुलिस को बुला कर भी हमें धमकाने की कोशिश की गई. हम उनसे डर नहीं रहे थे, लेकिन उन्होंने जबरदस्ती कर हमारी मां के शव को बाहर निकाल दिया.

कोटा. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में 24 अप्रैल की रात को करीब 3 घंटे तक बिजली बंद रही थी. इसके चलते एक महिला मरीज की जान चली गई (Death Due To Power Failure In Kota Hospital). अब मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने के चलते ही मौत हुई. मरीज नंदू बाई, रावतभाटा की रहने वाली थी. उनकी मौत के बाद परिजनों का वीडियो सामने आया है. जिसमें उन्होंने मौत के लिए अस्पताल को जिम्मेदार ठहराया है. कहा है कि अस्पताल की लापरवाही (Kota Medical College death case) के कारण उनकी मरीज ने तड़प तड़प कर जान गंवा दी. बेटी ने उन तीन घंटों की कहानी बयां की है. कहा है कि मां को तड़पता देख उन्होंने डॉक्टर, स्टाफ से लेकर सिक्योरिटी गार्ड और आम जनता से भी मदद मांगी, लेकिन कोई मदद को आगे नहीं आया. मां को खो चुकी बेटी ने कहा- ये तो हॉस्पिटल है. इंसान घर पर मरता तो समझते कि सुविधा नहीं है, लेकिन अस्पताल में तो सभी सुविधा होती है.

चिकित्सकों से गिड़गिड़ा रही थी , नहीं मिली मदद : बेटी मधु मौर्य का कहना है कि मां नन्दू बाई को सीएससी रावतभाटा से उनकी तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल कॉलेज कोटा के लिए रेफर करवा कर लाए थे, वहां पर इमरजेंसी में उन्हें भर्ती कर दिया था. उनके बीपी, शुगर और ऑक्सीजन का लेवल कम बताया जा रहा था. उनका उपचार चल रहा था 3:00 बजे के आसपास शुगर डाउन होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर ले जाया गया. इसके बाद शाम को लाइट चली गई. इससे ऑक्सीजन की समस्या आने लगी. इस दौरान हम एंबू बैग से लगातार ऑक्सीजन दे रहे थे, कभी मैं कभी मेरा भाई देता. ये काम करीब 10:30 तक चलता रहा है. इस बीच में सैकड़ों बार चिकित्सकों के पास गई और लाइट के बारे में उनसे पूछा. मेरी मां की तबीयत लगातार खराब होती जा रही थी. पूरे इमरजेंसी ब्लॉक में ही अंधेरा छाया हुआ था. सभी ने अपना मोबाइल की लाइट चालू की हुई थी. मेरी मां पसीना पसीना हो गई. ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से तड़पती रही.उनका शुगर लेवल मेंटेन नहीं रहा था। उनको लगातार घबराहट हो रही थी और हाथ पैर फेंक रही थीं. ऐसे में हम कभी उनके हाथ पकड़ते तो कभी पैर. मैं चिकित्सकों के हाथ जोड़ती रही, इस पर जो भी चिकित्सक वहां पर आता वह पल्स चल रही है कहकर वापस चला जाता.

बेटी बोली लापरवाही ने ली जान

पढ़ें- कोटा के अस्पताल में 3 घंटे तक बिजली गुल, महिला मरीज की मौत... परिजनों का आरोप- Oxygen बंद होने से गई जान

शिफ्ट करने के लिए कहा, जवाब मिला खाली बेड का पता कर बता दो: मृतका की बेटी ने बताया कि हम एम्बु बैग से लगातार ऑक्सीजन दे रहे थे. हमारे हाथ दर्द करने लगे थे. मां का शुगर लेवल लगातार गिर रहा था. उस वक्त मैं डॉक्टरों से गिड़गिड़ा रही थी. उनसे मां को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए कह रही थी, तब केवल एक ही जवाब हमें दिया जा रहा था कि आप खुद ही अस्पताल में तलाश कर लो कि बेड कहां पर खाली है, हम वहां पर शिफ्ट कर देंगे. मैं पहली बार अस्पताल आई हूं, ऐसे में मुझे कैसे जानकारी हो सकती है कि बेड कहां पर खाली पड़ा था. इस पर उन्होंने भी जवाब दिया कि हमें भी खाली बेड की जानकारी नहीं है. हमने दूसरे अस्पताल में रेफर करने के लिए कहा तो भी कोई जवाब नहीं दिया गया.

पुलिस को बुलाकर हमें धमकाया गया: मधु मौर्य का कहना है कि मां को ठीक-ठाक लेकर गई थी. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में लापरवाही की वजह से मरी हुई वापस लेकर आई हूं. कोई व्यवस्था वहां पर नहीं है, यहां तक कि कोई जनरेटर की व्यवस्था नहीं (Death In Hospital Due To power Interruption) है. जरनेटर भी होता, तो मेरी मां आज जीवित होती. इमरजेंसी में सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं थे. जूनियर डॉक्टर भी पूरी तरह से ट्रेंड नहीं थे. इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर से लेकर स्टाफ, स्वीपर और सभी लोग बदतमीज थे. अस्पताल की जो पल्स और मॉनिटर दिखा रहे थे. सब गलत दिखा रहे थे. मम्मी की तबीयत लगातार खराब हो रही थी. 10:30 बजे के करीब उन्होंने दम तोड़ दिया. बेटी ने अस्पताल पर धमकी देने का भी आरोप लगाया है. कहा- पुलिस को बुला कर भी हमें धमकाने की कोशिश की गई. हम उनसे डर नहीं रहे थे, लेकिन उन्होंने जबरदस्ती कर हमारी मां के शव को बाहर निकाल दिया.

Last Updated : Apr 26, 2022, 12:27 PM IST
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