कोटा. एग्जाम के समय स्टूडेंट को माता-पिता सोशल मीडिया से दूर से रहने की हिदायत देते हैं, लेकिन अब ऑनलाइन स्टडी का जमाना है. ऐसे में स्टूडेंट्स सेलफोन या लैपटॉप के जरिए ही अपनी पढ़ाई करते हैं. ऐसे में सोशल मीडिया से दूर नहीं रह सकते हैं, लेकिन जेईई मेन 2021 के फर्स्ट रैंकर सिद्धांत मुखर्जी ने सोशल मीडिया का सदुपयोग अपनी पढ़ाई के लिए किया. ताकि वह अपने फैकल्टी और दोस्तों के पियर ग्रुप से जिज्ञासाओं को मिटाते रहें और जो भी डाउट हो वो सॉल्व कर लें.
पढ़ेंः JEE Main 2021 : होनहारों से जानें सफलता के मंत्र, जिससे बन गए आंखों के तारे
सिद्धांत ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए कहा कि मैंने सोशल मीडिया काफी लिमिटेड यूज मैंने किया है. सिद्धांत का कहना है कि उनकी मैथमेटिक्स थोड़ी कमजोर थी, लेकिन टीचर और दोस्तों की गाइडेंस से उसमें काफी सुधार हुआ है.
उनका कहना है कि स्टूडेंट को प्रेशर में नहीं आना चाहिए. मेरी फिजिक्स काफी अच्छी थी, तो मैं अपने नंबरों को बैलेंस कर लेता था. साथ ही केमिस्ट्री में टीचर के अनुसार ही में चलता था.
केवल 3 महीने ही की थी जेईई मेन की तैयारी
सिद्धांत मुखर्जी ने पहले ही अटेंप्ट में जेईई मेन में क्वालीफाई किया है. उन्होंने जेईई मेन के लिए एक ही अटेंप्ट दिया है. उसके बाद सीबीएसई और एडवांस दोनों पर फोकस था, लेकिन सीबीएसई कैंसिल होने के बाद उनका सिंगल गोल एडवांस ही है. एडवांस में थोड़ी अलग तरह की तैयारी की जाती है, जेईई मेन से थोड़ा लेवल ज्यादा हाई होता है. जितना स्कोर यहां कर सकते है, उतना वहां करना कठिन होता है.
सिद्धांत ने कहा कि मैं 2019 से कोटा आया था तब से ही मेरा लक्ष्य जेईई एडवांस है. पिछले साल नवंबर के बाद ही मैंने जेईई मेन की तैयारी शुरू की थी, जो इस साल जनवरी तक की थी, बस 3 महीने का टाइम जेईई मेन को दिया है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मार्कअप लैंग्वेज में रिचर्स का मन
सिद्धांत मुखर्जी मानते हैं कि जेईई एडवांस को क्रैक करना काफी कठिन है. उनका कहना है कि आईआईटी मुंबई से सीएस ब्रांच लेने के लिए उन्हें टॉप-60 में आना होगा. यही उनका अग्रिम लक्ष्य है.
आईआईटी से बीटेक करने के बाद उनका कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मार्केट लैंग्वेज में वह काम करना चाहते हैं. क्योंकि आने वाला 20 से 30 साल इसी का है. सिद्धांत का जेईई एडवांस का पेपर 3 अक्टूबर को है और इसके एक दो दिन बाद ही वह यूके चले जाएंगे जहां पर कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई वह करेंगे.
कोटा में नहीं हुई किसी तरह की समस्या
सिद्धांत के साथ उनकी नानी श्रीपर्णा ही कोटा में रहती थी. उनका कहना है कि फर्स्ट स्टैंडर्ड से सिद्धांत के साथ उसकी पढ़ाई का ध्यान रखती हैं. कोटा में उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. वर्क फ्रॉम होम होने के चलते सिद्धांत की मां नबनीता और पिता संदीप भी कई बार कोटा आए हैं.
पहली स्टेज जेईई मेन पार की, दूसरी एडवांस बाकी
निजी कोचिंग के निदेशक नवीन माहेश्वरी का कहना है कि कोटा का रिजल्ट हमेशा अच्छा ही आता है. इस बार चार अलग-अलग सेशन में परीक्षा का आयोजित की गई थी. कई बच्चे टॉपर रहे हैं, उन्होंने कहा कि अभी जब रैंकिंग जारी होगी, तो उस रैंकिंग में हजारों बच्चे कोटा के शामिल है. कोरोना का काफी कठिन काल था.
इन बच्चों के लिए फिर भी उन्होंने अच्छी परफॉर्मेंस की है. और मेंटेन भी रखा है. कोटा के झंडे को ऊंचा रखा है. हमारी फैकल्टी ने भी काफी मेहनत इनके साथ की है. जहां पर मौका मिला है, वहां पर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों में पढ़ाई में करवाई गई है. पहली स्टेज इन्होंने पार कर ली है, अब दूसरी स्टेज एडवांस के लिए तैयारी कर रहे हैं.