कोटा. जिले में हैंगिंग ब्रिज पर अधिक टोल वसूली के विरोध में ट्रांसपोर्ट व्यवसायों ने लंबा जाम लगा दिया. हाइवे पर वाहनों की लंबी कतारे लगने से लोगों को काफी परेशानियों का सामने करना पड़ा. जिसके बाद ट्रांसपोर्ट व्यवसाय अध्यक्ष ने मोके पर पहुंच कर टोल प्लाजा के मैनेजर बुलाया और फिल काफी समझाइश के बाद जाम को खुलावाया गया.
बता दें कि हैंगिंग ब्रिज नयागांव टोल नाके पर उस समय हंगामा हो गया जब कोटा पासिंग पर दो ट्रक गुजरात का माल लेकर टोल पर पहुचे. टोल पर पूरा टोल मांगने पर ड्राइवरों ने हंगामा कर दिया. जिससे ववहां जाम लग गया. जिसके बाद ट्रक मालिक और आरकेपुरम थाना पुलिस ने मोके पर पहुंच कर जाम को खुलवाया.
वहीं टोल प्लाजा संचालन के अधिकारी और ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने मुलाकात कर बातचीत में इसका हल भी निकाला और इस मामले को लेकर जिला प्रशासन से बात करने की भी बात कही.
बता दें कि कोटा हैंगिंग ब्रिज पर जब से टोल शुरू हुआ है तब से इस पर गुजरने वाले कोटा लोकल लोडिंग वाहनों का आधा टोल लिया जा रहा था. मंगलवार को कोटा से गुजरात के लिए जा रहे दो ट्रकों से पूरा टोल के पैसे लेने पर ट्रक ड्राइवरों ने हंगामा कर दिया. जिसके बाद देखते ही देखते हंगामे ने जाम का रुप ले लिया. इस पर ट्रांसपोर्ट व्यवसायों ने टोल प्लाजा के संचालको पर वहां पर किसी भी प्रकार की सुविधा न होने का आरोप लगाया.
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ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के सेकेट्री मदनचंद खंडेलवाल का कहना है कि जब टोल संचालक के पदाधिकारी से कोटा से बूंदी के लिए टोल के बारे में पूछा तो उन्होंने 330 रुपए जाने के और 330 रुपए आने का बताया. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि कोटा लोकल वाहनों के टोल वसूली को इतना कम कर दें कि आर्थिक भार कम हो जाए.
टांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि प्रशासन के माध्यम से यह तय हुआ था कि कोटा लोकल वाहनों का आधा टोल टैक्स लिया जायेगा. लेकिन, आज से इन्होंने पूरा पैसा लेना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि जब बढ़े हुए टोल के बारे में पुछा गया तो कहा गया कि फास्ट टैग लागू होने के कारण पूरी वसूली की जा रही है.
बता दें कि फास्ट टैग एक दिसम्बर से लागू होने वाली थी मगर बावजूद इसके टोलके पूरे पैसे वसूले जा रहे है. आगे उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में प्रशासन से बात की जाएगी. हैंगिंग ब्रिज टोल कंपनी के मैनेजर ने बताया कि कोटा लोकल वाहन नेशनल परमिट से माल लेकर जा है. इस पर भारत सरकार ने जिस जिले में पंजीकृत है उसको छोड़ कर 50 प्रतिशत लेने का प्रावधान है. उनका कहना है कि राष्ट्रीय परमिट पर चलने वाली गाड़िया का पूरा टोल लगता है.