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Speical: नवजात बच्चों की मौत के लिए बदनाम जेके लोन अस्पताल की बदली सूरत, 32 दिन में बनकर तैयार हुआ इंटरनेशनल लेवल का एनआईसीयू

कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात बच्चों के इलाज के लिए रिकॉर्ड 32 दिनों में इंटरनेशनल लेवल का एनआईसीयू बनकर तैयार हो गया है. 40 बेड की यह यूनिट अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी जिससे बच्चों का इलाज बेहतर हो सकेगा. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

jk lone hospital kota,  nicu in jk lone hospital
जेके लोन अस्पताल में एनआईसीयू
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Published : Feb 22, 2021, 7:47 PM IST

कोटा. मेडिकल कॉलेज कोटा का जेके लोन अस्पताल नवजातों की मौत के लिए पूरे देश में कुख्यात है. लेकिन अब एक नई सुविधा के लिए भी जेके लोन की देशभर में तारीफ हो रही है. बच्चों की मौत के बाद राजस्थान सरकार जागी और गंभीर बीमार नवजात शिशुओं के उपचार के लिए नियोनेटल इंसेंटिव केयर यूनिट तैयार की है. 40 बेड की ये यूनिट विश्व स्तरीय सुविधाएं से लैस है. जेके लोन अस्पताल को बाहर से देख कर कोई बता भी नहीं सकता कि इसमें इतनी अच्छी सुविधाओं वाला एनआईसीयू है. जेके लोन अस्पताल प्रबंधन इस एनआईसीयू को हैंड ओवर टेकन के बाद शुरू करेगा.

पढ़ें: राजस्थान उपचुनाव: किसान सम्मेलनों के जरिए वोटरों को साधने की तैयारी में कांग्रेस

सिंगल टर्म की से 32 दिनों में तैयार हो गया NICU

ईटीवी भारत ने दिसंबर में खुलासा किया था कि एक ही रात में महज कुछ घंटों में ही 10 नवजातों की मौत हो गई थी. जिसके बाद देशभर में राजस्थान की स्वास्थ्य सेवाओं की आलोचना हुई और जेके लोन अस्पताल फिर से राजनीति का अखाड़ा बन गया. इसके बाद सरकार ने 3 करोड़ 40 लाख रुपए का बजट जारी किया. जिससे इस एनआईसीयू को तैयार किया जाना था, सरकारी सिस्टम में स्कूल में बनने में महीनों लग जाते हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इसे सिंगल टर्म की पर काम करवाते हुए करीब 3 करोड़ रुपए में ही बन गया है. इसमें एक ही फर्म ने सिविल, इलेक्ट्रिक, एयरकंडीशन और उपकरण लगाने का भी काम किया है. जिसके बलबूते महज 32 दिनों में विश्वस्तरीय एनआईसीयू तैयार हो गई. जबकि इसको बनाने की समय सीमा 45 दिन तय की गई थी.

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विश्वस्तरीय उपकरण लगाए गए हैं एनआईसीयू में

राजस्थान का ये पहला अत्याधुनिक एनआईसीयू है

एनआईसीयू का निर्माण करने वाली फर्म का दावा है कि राजस्थान में यह इस तरह का पहला एनआईसीयू है, जो तैयार हुआ है. इसमें जो उपकरण स्थापित किए गए हैं, वह भी एफडीए अप्रूव्ड हैं. साथ ही सी-सर्टिसाइड भी हैं, जो कि विश्व स्तर के हैं. इनके लिए जो अंतरराष्ट्रीय मानक बने हैं, उनके अनुसार ही खरीदे गए हैं. साथ ही एनआईसीयू नियोनेटल फेडरेशन के गाइडलाइन के मुताबिक ही तैयार किया गया है.

कौनसे अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं

इस नए एनआईसीयू में 40 रेडिएंट वार्मर, 25 सीपेप मशीन, मल्टीपैरामीटर, बिलीरुबिनो मीटर, फोटोथेरेपी मशीन भी स्थापित की गई हैं. इसके अलावा एनआईसीयू के लिए राज्य सरकार ने नर्सिंग स्टाफ और चिकित्सकों को भी लगाया है. जिनकी लगातार ट्रेनिंग हो रही है. रेजिडेंट डॉक्टर और चिकित्सक 24 घंटे ड्यूटी पर आएगा. वहीं 40 बेड के आईसीयू में एक अनुपात एक में नर्सिंग कर्मी भी लगेंगे.

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32 दिनों में बनकर तैयार हुआ है एनआईसीयू

नहीं होगी एक वार्मर पर तीन नवजात को रखने की स्थिति

जेके लोन अस्पताल में नवजात के उपचार के लिए अब एनआईसीयू 40 बेड की सुविधा बढ़ जाने से कुल क्षमता 114 बेड हो गई है. मेडिकल कॉलेज की शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अमृता मएंगर ने बताया कि नई ओपीडी ब्लॉक और 156 बेड के इंडोर का भी कार्य जारी है. जिसके बाद में एनआईसीयू बेड की क्षमता और बढ़ेगी और यह 150 से ज्यादा हो जाएगी. अभी जो वर्तमान में एक वार्मर पर तीन बच्चों को रखने की स्थिति जेकेलोन अस्पताल में होती है, अब इन सभी सुविधाओं के बढ़ जाने के चलते उससे निजात मिलेगी और बच्चों का भी इलाज बेहतर हो सकेगा.

पढ़ें: SPECIAL : एक हाथ से तैरकर जीते थे कई गोल्ड और मेडल...हादसे में आधा हाथ भी गंवाया, लेकिन पिंटू फिर भी तैरेगा...

जेके लोन अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. गोपी किशन का मानना है कि नवजात के उपचार में उपकरणों का ज्यादा महत्वपूर्ण रोल होता है. ऐसे में सबसे बेस्ट एनआईसीयू में जो मशीनें होनी चाहिए वह यहां पर स्थापित की गई हैं.

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40 बेड की सुविधा होगी

कंपनी ही करेगी 10 साल तक मेंटेन

जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक मूंदड़ा ने बताया कि सरकार में अंतरराष्ट्रीय मानकों का एनआईसीयू तैयार करवाया है. इसमें करीब 3 करोड़ का खर्च आया है. इस पूरे कार्य के बाद 3 साल की वारंटी और 7 साल सीएमसी अनुबंध भी शामिल है. ऐसे में कंपनी अगले 10 साल तक ही मरम्मत और पूरा खर्चा भी एनआईसीयू का उठाएगी. इसके बाद दूसरे फेस के लिए भी सरकार ने 6 करोड़ का टेंडर स्वीकृत किया है, जिसमें पुराना जो 36 बेड का एनआईसीयू है, उसका भी रिनोवेशन किया जाएगा. वह भी इसी तरह का होगा, साथ ही कुछ वार्ड भी इसमें बदली किए जाएंगे.

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नवजात के परिजनों को आईसीयू में नहीं मिलेगी एंट्री

परिजनों को नहीं मिलेगी आईसीयू में एंट्री

जेके लोन अस्पताल के नए एनआईसीयू में नवजात जब रखा जाएगा, वहां तीमारदारों को प्रवेश नहीं मिलेगा. उन्हें बाहर से ही अपने नवजात को देखने के लिए कहा जाएगा. जिसके लिए ग्लास विंडो लगाई गई है. ताकि बाहर से ही परिजन उसे देख सकें. नवजात को ब्रेस्ट फीडिंग कराने के लिए जब मां को अंदर भेजा जाएगा तो उसे गाउन और जरूरी सुरक्षा के उपाय देकर ही भेजा जाएगा.

संक्रमण रोकने के लिए किए गए हैं ये उपाय

  • एनआईसीयू में 3 बैरियर एंट्री है
  • सीमलेस फ्लोरिंग-दीवारों पर फॉल सीलिंग कहीं भी जॉइंट नहीं है ताकि इंफेक्शन का खतरा नहीं रख सके
  • एंटीबैक्टीरियल पेंट करवाया गया है
  • तीमारदारों को इसमें प्रवेश नहीं दिया जाएगा
  • एयर कंडीशन में हेपा फिल्टर लगाए गए हैं, ताकि वायरस नहीं आए
  • इसके साथ ही नवजात को ब्रेस्टफीडिंग के लिए मां अंदर जाएगी तो उसके बैठने के लिए भी चेयर लगाई गई है
  • इसके साथ ही साउंड सिस्टम भी लगाया गया है ताकि किसी को भी अंदर बुलाना है, तो अंदर बैठे-बैठे ही मैसेज भेज दिया जाए


बच्चों की केयरिंग के लिए लगाए गए हैं खास उपकरण

नियोनेटल कूलिंग मशीन: जो बच्चे जन्म से रोते नहीं है, उन्हें 48 घंटे तक की कूलिंग मशीन में रखना होता है, यह कोटा की पहली मशीन है. जिसके जरिए ऐसे बच्चों को अच्छा उपचार मिल सकेगा.

हाई फ्रिकवेंसी ओसीलेटर वेंटिलेटर: जो नवजात 1 किलो से भी कम वजन के जन्म लेते हैं, उनके उपचार में यह काम आता है. उन्हें जो सांस लेने में तकलीफ होती है, उनके वेंटिलेशन में काफी मददगार यह मशीन है.

सीएफएफ: सेरेब्रल फंक्शन मॉनिटर इसे इज मॉनिटर भी कहते हैं. यह नवजात के मस्तिष्क की निगरानी के काम आता है. नवजात के दिमाग में होने वाली गतिविधियों पर आसानी से नजर बनाई जा सकती है.

बेड साइड होंगे एक्सरे, सोनोग्राफी और 2डी ईको: अस्पताल में अभी 40 बेड का नया एनआईसीयू तैयार हुआ है. इसमें पोर्टेबल एक्सरे मशीन लगाई गई है. जिससे की बच्चे के बेड के पास में ही एक्स-रे किया जा सके. इसके बाद दूसरे चरण में सोनोग्राफी और 2-डी ईको मशीन भी स्थापित की जाएगी. जिसके जरिए बच्चों के हाथ की बीमारियों का पता बेडसाइड ही पता लगाया जा सकेगा.

एम्ब्रेस कवर: नवजात को 4 घंटे तक इधर से उधर शिफ्ट करने के लिए एम्ब्रेस कवर भी एनआईसीयू में उपलब्ध हैं. इसके अलावा नवजात के उपचार और स्टाफ की मॉनिटरिंग के लिए 18 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

कोटा. मेडिकल कॉलेज कोटा का जेके लोन अस्पताल नवजातों की मौत के लिए पूरे देश में कुख्यात है. लेकिन अब एक नई सुविधा के लिए भी जेके लोन की देशभर में तारीफ हो रही है. बच्चों की मौत के बाद राजस्थान सरकार जागी और गंभीर बीमार नवजात शिशुओं के उपचार के लिए नियोनेटल इंसेंटिव केयर यूनिट तैयार की है. 40 बेड की ये यूनिट विश्व स्तरीय सुविधाएं से लैस है. जेके लोन अस्पताल को बाहर से देख कर कोई बता भी नहीं सकता कि इसमें इतनी अच्छी सुविधाओं वाला एनआईसीयू है. जेके लोन अस्पताल प्रबंधन इस एनआईसीयू को हैंड ओवर टेकन के बाद शुरू करेगा.

पढ़ें: राजस्थान उपचुनाव: किसान सम्मेलनों के जरिए वोटरों को साधने की तैयारी में कांग्रेस

सिंगल टर्म की से 32 दिनों में तैयार हो गया NICU

ईटीवी भारत ने दिसंबर में खुलासा किया था कि एक ही रात में महज कुछ घंटों में ही 10 नवजातों की मौत हो गई थी. जिसके बाद देशभर में राजस्थान की स्वास्थ्य सेवाओं की आलोचना हुई और जेके लोन अस्पताल फिर से राजनीति का अखाड़ा बन गया. इसके बाद सरकार ने 3 करोड़ 40 लाख रुपए का बजट जारी किया. जिससे इस एनआईसीयू को तैयार किया जाना था, सरकारी सिस्टम में स्कूल में बनने में महीनों लग जाते हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इसे सिंगल टर्म की पर काम करवाते हुए करीब 3 करोड़ रुपए में ही बन गया है. इसमें एक ही फर्म ने सिविल, इलेक्ट्रिक, एयरकंडीशन और उपकरण लगाने का भी काम किया है. जिसके बलबूते महज 32 दिनों में विश्वस्तरीय एनआईसीयू तैयार हो गई. जबकि इसको बनाने की समय सीमा 45 दिन तय की गई थी.

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विश्वस्तरीय उपकरण लगाए गए हैं एनआईसीयू में

राजस्थान का ये पहला अत्याधुनिक एनआईसीयू है

एनआईसीयू का निर्माण करने वाली फर्म का दावा है कि राजस्थान में यह इस तरह का पहला एनआईसीयू है, जो तैयार हुआ है. इसमें जो उपकरण स्थापित किए गए हैं, वह भी एफडीए अप्रूव्ड हैं. साथ ही सी-सर्टिसाइड भी हैं, जो कि विश्व स्तर के हैं. इनके लिए जो अंतरराष्ट्रीय मानक बने हैं, उनके अनुसार ही खरीदे गए हैं. साथ ही एनआईसीयू नियोनेटल फेडरेशन के गाइडलाइन के मुताबिक ही तैयार किया गया है.

कौनसे अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं

इस नए एनआईसीयू में 40 रेडिएंट वार्मर, 25 सीपेप मशीन, मल्टीपैरामीटर, बिलीरुबिनो मीटर, फोटोथेरेपी मशीन भी स्थापित की गई हैं. इसके अलावा एनआईसीयू के लिए राज्य सरकार ने नर्सिंग स्टाफ और चिकित्सकों को भी लगाया है. जिनकी लगातार ट्रेनिंग हो रही है. रेजिडेंट डॉक्टर और चिकित्सक 24 घंटे ड्यूटी पर आएगा. वहीं 40 बेड के आईसीयू में एक अनुपात एक में नर्सिंग कर्मी भी लगेंगे.

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32 दिनों में बनकर तैयार हुआ है एनआईसीयू

नहीं होगी एक वार्मर पर तीन नवजात को रखने की स्थिति

जेके लोन अस्पताल में नवजात के उपचार के लिए अब एनआईसीयू 40 बेड की सुविधा बढ़ जाने से कुल क्षमता 114 बेड हो गई है. मेडिकल कॉलेज की शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अमृता मएंगर ने बताया कि नई ओपीडी ब्लॉक और 156 बेड के इंडोर का भी कार्य जारी है. जिसके बाद में एनआईसीयू बेड की क्षमता और बढ़ेगी और यह 150 से ज्यादा हो जाएगी. अभी जो वर्तमान में एक वार्मर पर तीन बच्चों को रखने की स्थिति जेकेलोन अस्पताल में होती है, अब इन सभी सुविधाओं के बढ़ जाने के चलते उससे निजात मिलेगी और बच्चों का भी इलाज बेहतर हो सकेगा.

पढ़ें: SPECIAL : एक हाथ से तैरकर जीते थे कई गोल्ड और मेडल...हादसे में आधा हाथ भी गंवाया, लेकिन पिंटू फिर भी तैरेगा...

जेके लोन अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. गोपी किशन का मानना है कि नवजात के उपचार में उपकरणों का ज्यादा महत्वपूर्ण रोल होता है. ऐसे में सबसे बेस्ट एनआईसीयू में जो मशीनें होनी चाहिए वह यहां पर स्थापित की गई हैं.

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40 बेड की सुविधा होगी

कंपनी ही करेगी 10 साल तक मेंटेन

जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक मूंदड़ा ने बताया कि सरकार में अंतरराष्ट्रीय मानकों का एनआईसीयू तैयार करवाया है. इसमें करीब 3 करोड़ का खर्च आया है. इस पूरे कार्य के बाद 3 साल की वारंटी और 7 साल सीएमसी अनुबंध भी शामिल है. ऐसे में कंपनी अगले 10 साल तक ही मरम्मत और पूरा खर्चा भी एनआईसीयू का उठाएगी. इसके बाद दूसरे फेस के लिए भी सरकार ने 6 करोड़ का टेंडर स्वीकृत किया है, जिसमें पुराना जो 36 बेड का एनआईसीयू है, उसका भी रिनोवेशन किया जाएगा. वह भी इसी तरह का होगा, साथ ही कुछ वार्ड भी इसमें बदली किए जाएंगे.

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नवजात के परिजनों को आईसीयू में नहीं मिलेगी एंट्री

परिजनों को नहीं मिलेगी आईसीयू में एंट्री

जेके लोन अस्पताल के नए एनआईसीयू में नवजात जब रखा जाएगा, वहां तीमारदारों को प्रवेश नहीं मिलेगा. उन्हें बाहर से ही अपने नवजात को देखने के लिए कहा जाएगा. जिसके लिए ग्लास विंडो लगाई गई है. ताकि बाहर से ही परिजन उसे देख सकें. नवजात को ब्रेस्ट फीडिंग कराने के लिए जब मां को अंदर भेजा जाएगा तो उसे गाउन और जरूरी सुरक्षा के उपाय देकर ही भेजा जाएगा.

संक्रमण रोकने के लिए किए गए हैं ये उपाय

  • एनआईसीयू में 3 बैरियर एंट्री है
  • सीमलेस फ्लोरिंग-दीवारों पर फॉल सीलिंग कहीं भी जॉइंट नहीं है ताकि इंफेक्शन का खतरा नहीं रख सके
  • एंटीबैक्टीरियल पेंट करवाया गया है
  • तीमारदारों को इसमें प्रवेश नहीं दिया जाएगा
  • एयर कंडीशन में हेपा फिल्टर लगाए गए हैं, ताकि वायरस नहीं आए
  • इसके साथ ही नवजात को ब्रेस्टफीडिंग के लिए मां अंदर जाएगी तो उसके बैठने के लिए भी चेयर लगाई गई है
  • इसके साथ ही साउंड सिस्टम भी लगाया गया है ताकि किसी को भी अंदर बुलाना है, तो अंदर बैठे-बैठे ही मैसेज भेज दिया जाए


बच्चों की केयरिंग के लिए लगाए गए हैं खास उपकरण

नियोनेटल कूलिंग मशीन: जो बच्चे जन्म से रोते नहीं है, उन्हें 48 घंटे तक की कूलिंग मशीन में रखना होता है, यह कोटा की पहली मशीन है. जिसके जरिए ऐसे बच्चों को अच्छा उपचार मिल सकेगा.

हाई फ्रिकवेंसी ओसीलेटर वेंटिलेटर: जो नवजात 1 किलो से भी कम वजन के जन्म लेते हैं, उनके उपचार में यह काम आता है. उन्हें जो सांस लेने में तकलीफ होती है, उनके वेंटिलेशन में काफी मददगार यह मशीन है.

सीएफएफ: सेरेब्रल फंक्शन मॉनिटर इसे इज मॉनिटर भी कहते हैं. यह नवजात के मस्तिष्क की निगरानी के काम आता है. नवजात के दिमाग में होने वाली गतिविधियों पर आसानी से नजर बनाई जा सकती है.

बेड साइड होंगे एक्सरे, सोनोग्राफी और 2डी ईको: अस्पताल में अभी 40 बेड का नया एनआईसीयू तैयार हुआ है. इसमें पोर्टेबल एक्सरे मशीन लगाई गई है. जिससे की बच्चे के बेड के पास में ही एक्स-रे किया जा सके. इसके बाद दूसरे चरण में सोनोग्राफी और 2-डी ईको मशीन भी स्थापित की जाएगी. जिसके जरिए बच्चों के हाथ की बीमारियों का पता बेडसाइड ही पता लगाया जा सकेगा.

एम्ब्रेस कवर: नवजात को 4 घंटे तक इधर से उधर शिफ्ट करने के लिए एम्ब्रेस कवर भी एनआईसीयू में उपलब्ध हैं. इसके अलावा नवजात के उपचार और स्टाफ की मॉनिटरिंग के लिए 18 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

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