कोटा. देशभर में डाई अमोनियम फास्फेट यानी डीएपी खाद की कमी का असर हाड़ौती संभाग में दिख रहा है. किसानों को बुआई के लिए डीएपी खाद नहीं मिल रहा है. रबी की फसल की बुआई के लिए किसानों को डीएपी खाद चाहिए. लेकिन खाद नहीं मिलने से बुआई का काम अटकने के आसार हैं.
संभागीय आयुक्त कैलाश चंद मीणा ने निर्देश दिए हैं कि किसानों को 10 से ज्यादा कट्टे डीएपी खाद के न दिये जाएं. किसानों को सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) इस्तेमाल करने के भी निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि डीएपी की कमी है. ऐसे में किसान एसएसपी उर्वरक का ज्यादा उपयोग करें. मीणा ने दलहन और तिलहन फसलों के लिए एसएसपी को ज्यादा उपयोगी बताया. संभागीय आयुक्त कैलाश चंद मीणा ने उर्वरक की संभावित कमी के मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के भी निर्देश दिये.
बता दें कि पूरे देश भर में डीएपी खाद का संकट बना हुआ है. अधिक कस्टम ड्यूटी के चलते चीन से आने वाला माल कम हो गया है. भारत की निर्भरता यूरोपियन देशों पर है. जहां से भी पूरा आयात लागत ज्यादा होने के चलते नहीं हो पाया है. कोटा संभाग में जहां पर 87 हजार मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है. उसकी जगह पर महज 18 हजार मीट्रिक टन ही उपलब्ध है. हालांकि बीते साल कोटा में डीएपी करीब डेढ़ लाख मीट्रिक टन खरीदा गया था.
2 अनुपात 3 में लेना होगा डीएपी व एसएसपी
संभागीय आयुक्त मीणा के दिए निर्देश के अनुसार सरसों एवं चना की फसल के लिए कृषक को डीएपी के अधिकतम 10 बैग ही उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके अलावा कृषक को आधार कार्ड व जमाबंदी के आधार पर दो अनुपात तीन में डीएपी और एसएसपी दी जाएगी. यानी कि 4 कट्टे डीएपी लेने पर 6 कट्टे एसएसपी किसानों को दी जाएगी. ताकि डीएपी की कमी को एसएसपी को बढ़ावा देकर कम किया जा सके.
साथ ही संभाग के सभी बॉर्डर पर चेक पोस्ट स्थापित किए जाएंगे और अवैध तरीके से अन्य राज्यों में डीएपी जाता है, तो संबंधित के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई और प्रशासनिक कार्रवाई भी की जाएगी.
कालाबाजारी और ज्यादा दर पर भी होगी कार्रवाई
मीणा ने दिए आदेश के अनुसार साथ ही डीएपी की कालाबाजारी नहीं हो, इसके लिए एसडीएम और तहसीलदार के साथ कृषि विभाग के अधिकारी दल बनाकर कार्रवाई करें. रूरा के बड़े स्टॉकिस्ट, उनके गोदाम के साथ विक्रेताओं के यहां निरीक्षण भी करें. इसके साथ ही कोई भी उर्वरक विक्रेता निर्धारित दर से अधिक पर डीएपी की बिक्री करता पकड़ में आए तो उसके विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम व उर्वरक नियंत्रण आदेश के अनुसार कार्रवाई की जाए.