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प्लांट के बाहर घंटों इंतजार करने के बाद मिल रही ऑक्सीजन, लोग बोले- घर पर मरीज को हमारी जरूरत और हम ऑक्सीजन के लिए भटक रहे - Corona epidemic

डीसीएम रोड स्थित ऑक्सीजन प्लांट के बाहर सिलेंडर भरवाने के लिए इंतजार कर रहे लोगों से ईटीवी भारत ने बातचीत की. जिसमें सामने आया कि उन्हें घर पर मरीज की तीमारदारी करनी है, लेकिन वह सिलेंडर भरवाने के लिए प्लांट के सामने खड़े हैं. इन लोगों का कहना है कि कई बार गिड़गिड़ाने के बाद भी उनकी बात नहीं मानी जा रही है. वे करीब 3 से 4 घंटे तक प्लांट के बाहर ही इंतजार कर रहे हैं फिर भी सिलेंडर नहीं मिला.

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प्लांट के बाहर घंटों इंतजार करने के बाद मिल रही ऑक्सीजन
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Published : Apr 29, 2021, 11:11 PM IST

कोटा. जिले में करीब 400 से ज्यादा कोरोना मरीजों का घर पर ही इलाज परिजन करवा रहे हैं. खुद ही ऑपरेशन सिलेंडर भरवा कर प्लांट से ले जा रहे हैं और घर पर ही उन्हें ऑक्सीजन की संजीवनी दे रहे हैं. ऐसे में ऑक्सीजन के लिए मारामारी पूरे शहर में बनी हुई है. शहर में पांच प्लांट जरूर संचालित हैं, लेकिन महज डीसीएम रोड स्थित एक प्लांट से ही मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर जारी किए जा रहे हैं. ऐसे में वहां काफी संख्या में लोग सुबह ही पहुंच जाते हैं.

प्लांट के बाहर घंटों इंतजार करने के बाद मिल रही ऑक्सीजन

पढ़ें- SPECIAL : अलवर के सरकारी अस्पताल में 29 वेंटिलेटर स्टोर में बंद...जिले में ऑक्सीजन बेड की भारी कमी के दौर में लापरवाही

काफी भीड़ वहां पर लोगों की होती है, लेकिन अधिकांश लोगों को भी सिलेंडर वहां पर नहीं मिल पा रहा है. उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है. आज भी प्लांट को शटडाउन किया गया. इसके चलते करीब 10:00 बजे से ही लोगों की लाइन लगी रही, जो कि 3 से 4 घंटे तक अपने परिजन के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए इंतजार कर रहे थे.

ईटीवी भारत में ऐसे कई लोगों से बातचीत की, जिसमें सामने आया कि उन्हें घर पर मरीज की तीमारदारी करनी है, लेकिन वह सिलेंडर भरवाने के लिए प्लांट के सामने खड़े हैं. इन लोगों का कहना है कि कई बार गिड़गिड़ाने के बाद भी उनकी बात नहीं मानी जा रही है.

इधर से उधर भेजा जा रहा

लोगों का कहना है कि सुबह डीसीएम रोड स्थित ऑक्सीजन प्लांट को लंबे समय चलते रहने के कारण शटडाउन लिया गया था. ऐसे में डेढ़ घंटे प्लांट बंद रहा. इस समय डीसीएम रोड स्थित प्लांट पर बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए. इन लोगों का कहना है कि उन्हें रानपुर भेज दिया जाता है और जब रानपुर प्लांट के बाहर पर पहुंच जाते हैं, तो वहां से वापस लौटा दिया जाता है कि यहां से किसी तरह का कोई सिलेंडर जारी नहीं किया जा रहा है. ऐसे में हम भटकने के लिए मजबूर हैं. भारी भरकम ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर अधिकांश लोग बाइक या स्कूटर पर ही चक्कर लगा रहे हैं. कुछ लोग ऑटो लेकर भी पहुंच रहे.

निजी अस्पतालों को भी समय से नहीं मिल रही ऑक्सीजन

कई निजी अस्पताल ऐसे हैं, जहां पर कोविड-19 के मरीज भर्ती नहीं है, लेकिन दूसरे बीमारियों के मरीज वहां पर भर्ती होते हैं. जिन्हें भी ऑक्सीजन की आवश्यकता लगातार रहती है. ऐसे निजी अस्पतालों ने भी जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था. साथ ही उन्होंने कहा था कि उन्हें भी ऑक्सीजन प्लांट से सप्लाई नहीं मिल पा रही है. ऐसे में उनके यहां जो दूसरी बीमारियों के सामान्य मरीज हैं. उनका भी इलाज अवरुद्ध हो रहा है. ऐसे में उन मरीजों की जान पर बन आई है.

सरकार अस्पताल तो नहीं दिला पाई, सिलेंडर तो दिलाएं

मल्टीमेटल के नजदीक स्थित ऑक्सीजन प्लांट के बाहर लोग घंटों इंतजार करते नजर आ जाएंगे. इन लोगों का कहना है कि वह सभी ऑक्सीजन सिलेंडर रिफलिंग कराने पहुंच रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि सरकार उन्हें अस्पताल में तो भर्ती नहीं करवा पाई है, लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है. ताकि वे मरीज को बचा सके और घर पर ही उसका इलाज कर सके. कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि जान पहचान वाले लोगों को तुरंत सिलेंडर जारी कर दिए जाते हैं, जबकि सामान्य लोग घंटों इंतजार कर रहे हैं.

पढ़ें- SPECIAL: 'VIP' ने कब्जा रखे हैं बेड, 'आम' लोगों को नहीं मिल रहा इलाज

औपचारिकता में लग जाते हैं कई घंटे

ऑक्सीजन प्लांट के बाहर सिलेंडर लेने पहुंचे लोगों का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट के सुरक्षाकर्मी उन्हें अंदर नहीं जाने देते हैं. उन्हें कहते हैं कि ईएसआई डिस्पेंसरी में बैठे हुए चिकित्सकों से ही वह जाकर मिले और उन्हें सिलेंडर के लिए पर्ची बना कर दी जाएगी. जिसके बाद ही प्लांट में प्रवेश उन्हें मिलेगा, लेकिन इन लोगों का कहना है कि वहां पे गए चिकित्सकों ने पर्ची नहीं बनाई गई.

सिलेंडर भरवाने के लिए औपचारिकता पूरी करने के लिए कहा है. जिसमें मरीज का ऑक्सीजन सैचुरेशन, डॉक्टर की पर्ची और सीटी स्कैन जांच का सपोर्ट मांगा जा रहा है. साथ ही मरीज का लाइव वीडियो भी दिखाना होता है या फिर वीडियो मंगा कर उन्हें ऑक्सीजन सैचुरेशन बताने के बाद ही पर्ची बनाई जाती है. इस औपचारिकता पूरी करने के बाद ही मरीज को सिलेंडर जारी किया जाता है. हालांकि रिफिल करने में भी एक घंटा लग जाता है क्योंकि पहले से ही कई सिलेंडर कतार में होते हैं.

कोटा. जिले में करीब 400 से ज्यादा कोरोना मरीजों का घर पर ही इलाज परिजन करवा रहे हैं. खुद ही ऑपरेशन सिलेंडर भरवा कर प्लांट से ले जा रहे हैं और घर पर ही उन्हें ऑक्सीजन की संजीवनी दे रहे हैं. ऐसे में ऑक्सीजन के लिए मारामारी पूरे शहर में बनी हुई है. शहर में पांच प्लांट जरूर संचालित हैं, लेकिन महज डीसीएम रोड स्थित एक प्लांट से ही मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर जारी किए जा रहे हैं. ऐसे में वहां काफी संख्या में लोग सुबह ही पहुंच जाते हैं.

प्लांट के बाहर घंटों इंतजार करने के बाद मिल रही ऑक्सीजन

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काफी भीड़ वहां पर लोगों की होती है, लेकिन अधिकांश लोगों को भी सिलेंडर वहां पर नहीं मिल पा रहा है. उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है. आज भी प्लांट को शटडाउन किया गया. इसके चलते करीब 10:00 बजे से ही लोगों की लाइन लगी रही, जो कि 3 से 4 घंटे तक अपने परिजन के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए इंतजार कर रहे थे.

ईटीवी भारत में ऐसे कई लोगों से बातचीत की, जिसमें सामने आया कि उन्हें घर पर मरीज की तीमारदारी करनी है, लेकिन वह सिलेंडर भरवाने के लिए प्लांट के सामने खड़े हैं. इन लोगों का कहना है कि कई बार गिड़गिड़ाने के बाद भी उनकी बात नहीं मानी जा रही है.

इधर से उधर भेजा जा रहा

लोगों का कहना है कि सुबह डीसीएम रोड स्थित ऑक्सीजन प्लांट को लंबे समय चलते रहने के कारण शटडाउन लिया गया था. ऐसे में डेढ़ घंटे प्लांट बंद रहा. इस समय डीसीएम रोड स्थित प्लांट पर बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए. इन लोगों का कहना है कि उन्हें रानपुर भेज दिया जाता है और जब रानपुर प्लांट के बाहर पर पहुंच जाते हैं, तो वहां से वापस लौटा दिया जाता है कि यहां से किसी तरह का कोई सिलेंडर जारी नहीं किया जा रहा है. ऐसे में हम भटकने के लिए मजबूर हैं. भारी भरकम ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर अधिकांश लोग बाइक या स्कूटर पर ही चक्कर लगा रहे हैं. कुछ लोग ऑटो लेकर भी पहुंच रहे.

निजी अस्पतालों को भी समय से नहीं मिल रही ऑक्सीजन

कई निजी अस्पताल ऐसे हैं, जहां पर कोविड-19 के मरीज भर्ती नहीं है, लेकिन दूसरे बीमारियों के मरीज वहां पर भर्ती होते हैं. जिन्हें भी ऑक्सीजन की आवश्यकता लगातार रहती है. ऐसे निजी अस्पतालों ने भी जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था. साथ ही उन्होंने कहा था कि उन्हें भी ऑक्सीजन प्लांट से सप्लाई नहीं मिल पा रही है. ऐसे में उनके यहां जो दूसरी बीमारियों के सामान्य मरीज हैं. उनका भी इलाज अवरुद्ध हो रहा है. ऐसे में उन मरीजों की जान पर बन आई है.

सरकार अस्पताल तो नहीं दिला पाई, सिलेंडर तो दिलाएं

मल्टीमेटल के नजदीक स्थित ऑक्सीजन प्लांट के बाहर लोग घंटों इंतजार करते नजर आ जाएंगे. इन लोगों का कहना है कि वह सभी ऑक्सीजन सिलेंडर रिफलिंग कराने पहुंच रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि सरकार उन्हें अस्पताल में तो भर्ती नहीं करवा पाई है, लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है. ताकि वे मरीज को बचा सके और घर पर ही उसका इलाज कर सके. कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि जान पहचान वाले लोगों को तुरंत सिलेंडर जारी कर दिए जाते हैं, जबकि सामान्य लोग घंटों इंतजार कर रहे हैं.

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औपचारिकता में लग जाते हैं कई घंटे

ऑक्सीजन प्लांट के बाहर सिलेंडर लेने पहुंचे लोगों का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट के सुरक्षाकर्मी उन्हें अंदर नहीं जाने देते हैं. उन्हें कहते हैं कि ईएसआई डिस्पेंसरी में बैठे हुए चिकित्सकों से ही वह जाकर मिले और उन्हें सिलेंडर के लिए पर्ची बना कर दी जाएगी. जिसके बाद ही प्लांट में प्रवेश उन्हें मिलेगा, लेकिन इन लोगों का कहना है कि वहां पे गए चिकित्सकों ने पर्ची नहीं बनाई गई.

सिलेंडर भरवाने के लिए औपचारिकता पूरी करने के लिए कहा है. जिसमें मरीज का ऑक्सीजन सैचुरेशन, डॉक्टर की पर्ची और सीटी स्कैन जांच का सपोर्ट मांगा जा रहा है. साथ ही मरीज का लाइव वीडियो भी दिखाना होता है या फिर वीडियो मंगा कर उन्हें ऑक्सीजन सैचुरेशन बताने के बाद ही पर्ची बनाई जाती है. इस औपचारिकता पूरी करने के बाद ही मरीज को सिलेंडर जारी किया जाता है. हालांकि रिफिल करने में भी एक घंटा लग जाता है क्योंकि पहले से ही कई सिलेंडर कतार में होते हैं.

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