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Corona महामारी में अधिग्रहित एंबुलेंस का किराया 200 रुपए रोज, चालक और मालिक बोले- हमारा अपमान कर रहा प्रशासन

कोटा जिला प्रशासन (Kota District Administration) ने एंबुलेंस को अधिग्रहित (Acquired) किया था. लेकिन, अब जब उनका किराया तय कर दिया है तो उसमें एंबुलेंस मालिकों और चालकों के लिए यह घाटे का सौदा ही रहा है. एंबुलेंस मालिकों और चालकों के लिए किराया तय कर दिया गया है. जबकि एंबुलेंस चालकों के अनुसार उनका रोज का खर्चा इससे कई गुना अधिक हो रहा है. ऐसे में उनका कहना है कि हमने भी कोरोना योद्धा (Corona warrior) के रूप में काम किया है, लेकिन हमारा सम्मान करने की जगह जिला प्रशासन ने अपमान ही कर दिया.

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Published : Jun 6, 2020, 9:30 PM IST

Updated : Jun 6, 2020, 10:13 PM IST

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अधिग्रहित एंबुलेंस के किराए हुए कम

कोटा. कोरोना वायरस महामारी (कोविड- 19) से निपटने के लिए कोविड- 19 हॉस्पिटल में मरीजों को घर से भर्ती करने और उनके शवों को अंतिम क्रिया के लिए, लाने और ले जाने के लिए जिला प्रशासन ने एंबुलेंस को अधिग्रहित किया था. लेकिन अब जब उनका किराया तय कर दिया है तो उसमें एंबुलेंस मालिकों और चालकों के लिए यह घाटे का सौदा साबित हो रहा है.

अधिग्रहित एंबुलेंस के किराए हुए कम

बता दें कि एंबुलेंस मालिकों को महज 200 रुपए रोज दिया जा रहा है. चालकों के लिए भी 235 रुपए तय किए गए हैं. जबकि एंबुलेंस चालकों के अनुसार उनका रोज का खर्चा इससे कई गुना अधिक हो रहा है. एंबुलेंस मालिकों का कहना है कि कोरोना योद्धा के रूप में हम लोगों ने भी काम किया है, लेकिन हमारा सम्मान करने की जगह जिला प्रशासन ने हम लोगों का अपमान ही कर डाला.

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चालक और मालिकों में रोष

जीवन से खिलवाड़ कर काम किया

एंबुलेंस चालकों और मालिकों का कहना है कि उन्होंने जीवन से खिलवाड़ कर कोरोना महामारी से जुड़े मरीजों की सेवा का काम किया है. अपने परिवार और बच्चों की चिंता भी नहीं की. ऐसे मरीज, जिनको कोई हाथ नहीं लगा रहा था. उन मरीजों को लाने और ले जाने में लगे रहे. हॉट-स्पॉट एरिया से लेकर कभी थानों के चक्कर लगा रहे थे, तो कभी अस्पताल में ऐसे मरीजों को भर्ती करवा रहे थे. इस दौरान हमारा एक एंबुलेंस ड्राइवर भी Corona positive हो गया था. हमें प्रोत्साहन देने की जगह हमारा अपमान ही हुआ है.

यह भी पढ़ेंः कोटा: संभागीय आयुक्त ने संभाग के कृषि अधिकारियों संग की बैठक

पहले से तय था, फिर Epidemic act बताकर कम क्यों किया?

एंबुलेंस मालिक बृजमोहन नामा का कहना है कि जिला प्रशासन परिवहन विभाग और पुलिस ने पहले लोकल 600 रुपए और शहर के बाहर 10 रुपए किलोमीटर तय किया था. जबकि कोरोना एपिडेमिक एक्ट बताते हुए दोनों ही श्रेणियों से अलग हमें किराया दिया जा रहा है. अब इस महंगाई के जमाने में ड्राइवर 233 रुपए रोज में कैसे खर्चा चलाएगा. वहीं वाहन मालिक 200 रुपए रोज में गाड़ी की किस्त, बीमा, मेंटेनेंस, फिटनेस और परिवार का पालन कैसे करेगा. नामा का कहना है कि उन्होंने 2 महीने की किस्त इसी महीने 18 हजार 600 रुपए जमा कराई है. जबकि 2 महीने वाहन चलने पर ही उन्हें 12 हजार रुपए मिलेंगे.

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कोरोना वायरस महामारी (कोविड- 19)

पहले चली एंबुलेंस बाद में तय हुआ किराया

एंबुलेंस मालिकों का कहना है कि परिवहन विभाग ने उनकी एंबुलेंस को अधिग्रहित कर लिया. उन्होंने भी प्रशासन को कोरोना महामारी के मद्देनजर मरीजों की सेवार्थ एंबुलेंस सौंप दी. जब एंबुलेंस दो महीने चल गई. उसके बाद जिला प्रशासन ने उनका किराया तय किया, जिसमें एंबुलेंस को 200 और चालक को 235 रुपए देने का फैसला लिया.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान में 30 जून तक नहीं खुलेंगे धार्मिक स्थल, CM गहलोत की धर्मगुरुओं के साथ हुई बैठक

किराया मांगने गए, पुलिस हिरासत में बैठा दिया

एंबुलेंस मालिक सत्तार मोहम्मद का कहना है कि उन्हें दो महीने से किराया भी एंबुलेंस का नहीं दिया गया है. जब पत्नी की तबीयत खराब थी और वह एंबुलेंस को लेकर समय से मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल नहीं पहुंचे, तो उनकी शिकायत करते हुए डॉ. आशीष शर्मा ने कलेक्ट्रेट भेज दिया. जहां पर प्रशासनिक अधिकारी से उन्होंने किराए की बात की तो उन्होंने पुलिस हिरासत में उन्हें बैठा दिया. घंटों पुलिस हिरासत में ही बैठे रहे, बड़ी मुश्किल से वह छूटकर आए हैं.

अभी एंबुलेंस चालकों ने बिल नहीं दिए

मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील के अनुसार जो एंबुलेंस कोविड-19 के मरीजों को लाने ले जाने के काम में लगी थी. उनकी रेट जिला प्रशासन ने कुछ समय पहले ही तय की है. करीब 32 एंबुलेंस चल रही थी. इनमें बोलेरो, ओमनी वैन और टवेरा के अलावा कुछ बसें भी शामिल थी. अब केवल 11 वाहन ही दो जून के बाद संचालित किए जा रहे हैं. सभी एंबुलेंस चालकों से बिल मांगे हैं. कुछ ने बिल उपलब्ध नहीं करवाए हैं, बिल मिलते ही इन सब का भुगतान करवा देंगे. जिला प्रशासन ने भी जल्द भुगतान करवाने के निर्देश दिए हैं.

कोटा. कोरोना वायरस महामारी (कोविड- 19) से निपटने के लिए कोविड- 19 हॉस्पिटल में मरीजों को घर से भर्ती करने और उनके शवों को अंतिम क्रिया के लिए, लाने और ले जाने के लिए जिला प्रशासन ने एंबुलेंस को अधिग्रहित किया था. लेकिन अब जब उनका किराया तय कर दिया है तो उसमें एंबुलेंस मालिकों और चालकों के लिए यह घाटे का सौदा साबित हो रहा है.

अधिग्रहित एंबुलेंस के किराए हुए कम

बता दें कि एंबुलेंस मालिकों को महज 200 रुपए रोज दिया जा रहा है. चालकों के लिए भी 235 रुपए तय किए गए हैं. जबकि एंबुलेंस चालकों के अनुसार उनका रोज का खर्चा इससे कई गुना अधिक हो रहा है. एंबुलेंस मालिकों का कहना है कि कोरोना योद्धा के रूप में हम लोगों ने भी काम किया है, लेकिन हमारा सम्मान करने की जगह जिला प्रशासन ने हम लोगों का अपमान ही कर डाला.

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चालक और मालिकों में रोष

जीवन से खिलवाड़ कर काम किया

एंबुलेंस चालकों और मालिकों का कहना है कि उन्होंने जीवन से खिलवाड़ कर कोरोना महामारी से जुड़े मरीजों की सेवा का काम किया है. अपने परिवार और बच्चों की चिंता भी नहीं की. ऐसे मरीज, जिनको कोई हाथ नहीं लगा रहा था. उन मरीजों को लाने और ले जाने में लगे रहे. हॉट-स्पॉट एरिया से लेकर कभी थानों के चक्कर लगा रहे थे, तो कभी अस्पताल में ऐसे मरीजों को भर्ती करवा रहे थे. इस दौरान हमारा एक एंबुलेंस ड्राइवर भी Corona positive हो गया था. हमें प्रोत्साहन देने की जगह हमारा अपमान ही हुआ है.

यह भी पढ़ेंः कोटा: संभागीय आयुक्त ने संभाग के कृषि अधिकारियों संग की बैठक

पहले से तय था, फिर Epidemic act बताकर कम क्यों किया?

एंबुलेंस मालिक बृजमोहन नामा का कहना है कि जिला प्रशासन परिवहन विभाग और पुलिस ने पहले लोकल 600 रुपए और शहर के बाहर 10 रुपए किलोमीटर तय किया था. जबकि कोरोना एपिडेमिक एक्ट बताते हुए दोनों ही श्रेणियों से अलग हमें किराया दिया जा रहा है. अब इस महंगाई के जमाने में ड्राइवर 233 रुपए रोज में कैसे खर्चा चलाएगा. वहीं वाहन मालिक 200 रुपए रोज में गाड़ी की किस्त, बीमा, मेंटेनेंस, फिटनेस और परिवार का पालन कैसे करेगा. नामा का कहना है कि उन्होंने 2 महीने की किस्त इसी महीने 18 हजार 600 रुपए जमा कराई है. जबकि 2 महीने वाहन चलने पर ही उन्हें 12 हजार रुपए मिलेंगे.

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कोरोना वायरस महामारी (कोविड- 19)

पहले चली एंबुलेंस बाद में तय हुआ किराया

एंबुलेंस मालिकों का कहना है कि परिवहन विभाग ने उनकी एंबुलेंस को अधिग्रहित कर लिया. उन्होंने भी प्रशासन को कोरोना महामारी के मद्देनजर मरीजों की सेवार्थ एंबुलेंस सौंप दी. जब एंबुलेंस दो महीने चल गई. उसके बाद जिला प्रशासन ने उनका किराया तय किया, जिसमें एंबुलेंस को 200 और चालक को 235 रुपए देने का फैसला लिया.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान में 30 जून तक नहीं खुलेंगे धार्मिक स्थल, CM गहलोत की धर्मगुरुओं के साथ हुई बैठक

किराया मांगने गए, पुलिस हिरासत में बैठा दिया

एंबुलेंस मालिक सत्तार मोहम्मद का कहना है कि उन्हें दो महीने से किराया भी एंबुलेंस का नहीं दिया गया है. जब पत्नी की तबीयत खराब थी और वह एंबुलेंस को लेकर समय से मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल नहीं पहुंचे, तो उनकी शिकायत करते हुए डॉ. आशीष शर्मा ने कलेक्ट्रेट भेज दिया. जहां पर प्रशासनिक अधिकारी से उन्होंने किराए की बात की तो उन्होंने पुलिस हिरासत में उन्हें बैठा दिया. घंटों पुलिस हिरासत में ही बैठे रहे, बड़ी मुश्किल से वह छूटकर आए हैं.

अभी एंबुलेंस चालकों ने बिल नहीं दिए

मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील के अनुसार जो एंबुलेंस कोविड-19 के मरीजों को लाने ले जाने के काम में लगी थी. उनकी रेट जिला प्रशासन ने कुछ समय पहले ही तय की है. करीब 32 एंबुलेंस चल रही थी. इनमें बोलेरो, ओमनी वैन और टवेरा के अलावा कुछ बसें भी शामिल थी. अब केवल 11 वाहन ही दो जून के बाद संचालित किए जा रहे हैं. सभी एंबुलेंस चालकों से बिल मांगे हैं. कुछ ने बिल उपलब्ध नहीं करवाए हैं, बिल मिलते ही इन सब का भुगतान करवा देंगे. जिला प्रशासन ने भी जल्द भुगतान करवाने के निर्देश दिए हैं.

Last Updated : Jun 6, 2020, 10:13 PM IST
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