कोटा. हाड़ौती में अतिवृष्टि से लाखों हेक्टेयर फसल तबाह हो गई है. इसके लिए राज्य सरकार के निर्देश पर प्रशासन नुकसान का आकलन करवा रहा है. दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत इस मामले में उग्र हो गए.
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उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे उन्हें हाड़ौती में प्रवेश नहीं करने देंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कोटा संभाग की अतिवृष्टि में कोविड-19 प्रोटोकॉल का बहाना बनाकर दौरा नहीं किया है. यह घाव पर नमक छिड़कने जैसा है.
पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने हाड़ौती में खराब हुई फसलों को लेकर सोमवार को किसानों के साथ प्रदर्शन किया. सैकड़ों की संख्या में वे किसानों को लेकर सर्किट हाउस पहुंचे. जहां से पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट तक निकाला गया. यहां जमकर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई.
इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी हाड़ौती की जनता का दर्द समझा. लोगों से मुलाकात की और उनके नुकसान की जानकारी भी ली है. प्रदेश के मुख्यमंत्री को ही हाड़ौती की जनता की चिंता नहीं है.
कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ चारों जिलों में अतिवृष्टि ने कहर बरपा दिया. हजारों की संख्या में लोग कई दिनों तक बाढ़ में डूबे रहे. उनकी खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है, लेकिन मुख्यमंत्री को इसकी कोई चिंता नहीं है. अब हाड़ौती की जनता उन्हें यहां पर नहीं आने देगी.
भाजपा नेता राजावत ने कहा कि राज्य और केंद्र का जांच दल भी फसलों के खराबे और बाढ़ अतिवृष्टि से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए पहुंचा था. जिस ने माना है कि 3,66,000 हेक्टेयर में खराबा हुआ है. जबकि ऐसा नहीं है, करीब 5 लाख हेक्टेयर से ज्यादा का खराबा हुआ है. ऐसे में करीब 5000 करोड़ रुपए का मुआवजा किसानों को मिलना चाहिए. साथ ही जिन व्यापारियों और लोगों के घरों और दुकानों में पानी प्रवेश कर गया था उनका भी करोड़ों का नुकसान हुआ है.
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ऐसी स्थिति में सरकार को तुरंत मुआवजा देना चाहिए, लेकिन सरकार ने तो साल 2019 और 2020 में हुए खराबे का भी मुआवजा अभी तक नहीं दिया है. राजावत ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस बार भी सरकार ने इस तरह से ही कदम उठाया, तो वह आगे जाकर और उग्र प्रदर्शन करेंगे. हालांकि पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत के प्रदर्शन में अधिकांश भाजपा के पदाधिकारी शामिल नहीं हुए. कोटा शहर और कोटा देहात के कोई बड़े नेता उनके साथ नजर आए.