ETV Bharat / city

केंद्र सरकार, किसान विरोधी अध्यादेश से अडानी अंबानी का गुलाम बनाना चाहती है: प्रदर्शनकारी किसान - किसान संगठन कर रहे विरोध

प्रदेश में लगातार कृषि अध्यादेश का विरोध किया जा रहा है. किसान अध्यादेश को लेकर किसान संगठनों ने भारत बंद का एलान किया था. जिसका असर कोटा में नजर नहीं आया. शुक्रवार को शहर की सभी दुकानें पहले की ही तरह खुली रही, हालांकि किसानों ने वाहन रैली निकाल कर कलेक्ट्रेट पर किसान अध्यादेश के खिलाफ प्रदर्शन किया.

rajasthan news, कोटा न्यूज
कोटा में किसानों ने किसान विरोधी अध्यादेश के खिलाफ निकाली रैली
author img

By

Published : Sep 25, 2020, 4:16 PM IST

कोटा. किसान संगठनों के कृषि सुधार अध्यादेश के विरोध में घोषित भारत बंद का असर कोटा में नजर नहीं आया. अधिकांश मार्केट पहले की तरह खुले रहे. भामाशाह मंडी में भी कामकाज पहले की तरह ही सुचारू रहा. हालांकि किसानों के संगठनों ने कोटा में एक वाहन रैली निकाली और कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. बता दें कि किसान अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले छावनी चौराहे पर एकत्रित हुए और वहां से 5 किलोमीटर की वाहन रैली के रूप में रवाना हुए.

कोटा में किसानों ने किसान विरोधी अध्यादेश के खिलाफ निकाली रैली

इस रैली में शामिल किसान ट्रैक्टर ट्रॉली और बाइक पर सवार होते हुए एमबीएस अस्पताल के सामने पहुंचे. इसके बाद यहां से पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां पर किसानों ने कलेक्ट्रेट पर जमकर नारेबाजी की. साथ ही केंद्र की मोदी सरकार को किसान विरोधी बताया.

किसान सड़कों पर ही बैठ गए और किसान नेताओं ने सभी को संबोधित किया. इसके बाद कलेक्ट्रेट में प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर उन्हें राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपा है. जिसमें मांग की गई है कि किसान सुधार अध्यादेश को निरस्त किया जाए. साथ ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को तुरंत लागू किया जाए, ताकि उपज को खरीदने के लिए गारंटीड कानून बनाया जा सके.

पढ़ें- कोटा सीएमएचओ डॉ. तंवर को डॉक्टर के पदस्थापन के मामले में चिकित्सा विभाग ने माना दोषी

अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष दुलीचंद बोरदा ने कहा कि केंद्र सरकार अडाणी अंबानी की सरकार है और कृषि सुधार अध्यादेश के जरिए किसानों को गुलाम बनाना चाहती है. संसद में जबरन बिना बहस के कानून पास करवाए गए हैं. कोरोना काल में सब फैक्ट्रियां और उत्पादन बंद था, तब किसान ही मेहनत कर रहा था. इसलिए सब कुछ 24 परसेंट के घाटे में है, लेकिन कृषि क्षेत्र में 4 फीसदी की ग्रोथ है. इसके बावजूद हर आधे घंटे में एक किसान आत्महत्या कर रहा है. उसके लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं.

हमारी एक ही मांग है कि किसान विरोधी अध्यादेश को वापस लिया जाए. नहीं तो हम सड़कों पर उतरेंगे. इस समय कटाई और क्रेशर खेतों में चल रहा है, लेकिन किसान सड़कों पर प्रोटेस्ट कर रहे हैं. हमारी मजबूरी है आने वाले समय में आंदोलन तेज करेंगे.

कोटा. किसान संगठनों के कृषि सुधार अध्यादेश के विरोध में घोषित भारत बंद का असर कोटा में नजर नहीं आया. अधिकांश मार्केट पहले की तरह खुले रहे. भामाशाह मंडी में भी कामकाज पहले की तरह ही सुचारू रहा. हालांकि किसानों के संगठनों ने कोटा में एक वाहन रैली निकाली और कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. बता दें कि किसान अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले छावनी चौराहे पर एकत्रित हुए और वहां से 5 किलोमीटर की वाहन रैली के रूप में रवाना हुए.

कोटा में किसानों ने किसान विरोधी अध्यादेश के खिलाफ निकाली रैली

इस रैली में शामिल किसान ट्रैक्टर ट्रॉली और बाइक पर सवार होते हुए एमबीएस अस्पताल के सामने पहुंचे. इसके बाद यहां से पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां पर किसानों ने कलेक्ट्रेट पर जमकर नारेबाजी की. साथ ही केंद्र की मोदी सरकार को किसान विरोधी बताया.

किसान सड़कों पर ही बैठ गए और किसान नेताओं ने सभी को संबोधित किया. इसके बाद कलेक्ट्रेट में प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर उन्हें राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपा है. जिसमें मांग की गई है कि किसान सुधार अध्यादेश को निरस्त किया जाए. साथ ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को तुरंत लागू किया जाए, ताकि उपज को खरीदने के लिए गारंटीड कानून बनाया जा सके.

पढ़ें- कोटा सीएमएचओ डॉ. तंवर को डॉक्टर के पदस्थापन के मामले में चिकित्सा विभाग ने माना दोषी

अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष दुलीचंद बोरदा ने कहा कि केंद्र सरकार अडाणी अंबानी की सरकार है और कृषि सुधार अध्यादेश के जरिए किसानों को गुलाम बनाना चाहती है. संसद में जबरन बिना बहस के कानून पास करवाए गए हैं. कोरोना काल में सब फैक्ट्रियां और उत्पादन बंद था, तब किसान ही मेहनत कर रहा था. इसलिए सब कुछ 24 परसेंट के घाटे में है, लेकिन कृषि क्षेत्र में 4 फीसदी की ग्रोथ है. इसके बावजूद हर आधे घंटे में एक किसान आत्महत्या कर रहा है. उसके लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं.

हमारी एक ही मांग है कि किसान विरोधी अध्यादेश को वापस लिया जाए. नहीं तो हम सड़कों पर उतरेंगे. इस समय कटाई और क्रेशर खेतों में चल रहा है, लेकिन किसान सड़कों पर प्रोटेस्ट कर रहे हैं. हमारी मजबूरी है आने वाले समय में आंदोलन तेज करेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.