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Exclusive: NEET-2020 में 720 अंक लाने वाली आकांक्षा सिंह बोली, सेकंड आने का मलाल नहीं, रैंक से फर्क नहीं पड़ता

NEET की सेकंड टॉपर आकांक्षा सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए दूसरी रैंक आने को लेकर कहा कि उन्हें किसी भी बात का कोई मलाल नहीं है. उन्होंने कहा कि जो रैंक है, वह मेरे लिए केवल एक नंबर है. इससे मुझे कोई फर्क ही नहीं पड़ता है.

NEET second topper Akanksha Singh,  kota news
NEET की सेकंड टॉपर आकांक्षा सिंह
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Published : Oct 21, 2020, 10:17 PM IST

कोटा. नीट (NEET) परीक्षा के परिणाम में इस बार 2 विद्यार्थियों ने 720 अंक लाकर सभी को चौंका दिया है. यह वह रिकॉर्ड है जिसकी बराबरी तो की जा सकती है, लेकिन उसे तोड़ा नहीं जा सकता है. एक छात्र शोयब आफताब कोटा से ही कोचिंग कर रहा था तो वहीं दूसरी छात्रा आकांक्षा सिंह दिल्ली से कोचिंग और पढ़ाई कर रही थी.

'सेकंड आने का मलाल नहीं

बुधवार को आकांक्षा सिंह कोटा आईं और ईटीवी भारत ने उनसे विशेष बातचीत की. आकांक्षा ने बताया कि सफलता पाने के लिए काफी कुछ त्याग करना पड़ा. उन्होंने कहा कि हार्ड वर्क डिटरमिनेशन और स्मार्ट तरीके से काम किया जाए तो निश्चित ही आपको सफलता मिल सकती है. उन्होंने बताया कि रोज 8 से 10 घंटे तक सेल्फ स्टडी करती थी. उन्होंने सोशल मीडिया के कारण फोन भी यूज नहीं किया.

पढ़ें- EXCLUSIVE : उड़ीसा के शोएब का बड़ा कमाल, NEET में 720 में से 720 लाकर रच दिया इतिहास

शोएब आफताब के बराबर अंक लेकिन दूसरी रैंक के सवाल पर आकांक्षा सिंह ने कहा कि उन्हें किसी भी बात का कोई मलाल नहीं है. मैं जितनी मैक्सिमम कोशिश कर सकती थी, वह मैंने की है और जितने नंबर मैक्सिमम थे, वह मैं लेकर आई हूं. जो रैंक हैं वह मेरे लिए केवल एक नंबर है. इससे मुझे कोई फर्क ही नहीं पड़ता है.

लोगों की हेल्प करने के लिए चुना

पहले प्रशासनिक अधिकारी बनकर समाज की सेवा में जुटने का लक्ष्य बनाने वाली आकांक्षा से टर्निंग प्वाइंट के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि मैंने आईएएस अफसर बनने का सोचा था और बाद में मेरा रुख एमबीबीएस की तरफ हो गया. यही मेरे लाइफ का टर्निंग प्वाइंट था, मेडिकल में मेरा इंटरेस्ट हो गया और मुझे लगता है कि डॉक्टर बनकर आप लोगों को सीधा इंटरेक्ट कर सकते हैं. लोगों की जरूरत से ज्यादा हेल्प की जा सकती है.

ग्राउंड टू अर्थ रहकर की तैयारी

आकांक्षा सिंह ने आगामी तैयारी के बारे में बताया कि वह एम्स दिल्ली से एमबीबीएस करना चाहती हैं. इसके बाद न्यूरोलॉजी के फील्ड में वे रिसर्च करना चाहती हैं, जिसमें न्यूरो सर्जरी और न्यूरोलॉजी शामिल है. साथ ही उन्होंने कहा कि स्मार्ट वर्क और डेडीकेशन के साथ पूरा काम किया जाए तो जो भी करना चाह रहे उसमें सफलता जरूर मिलेगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि मेरी सफलता की सबसे बड़ी पूंजी ग्राउंड टू अर्थ रहना ही है. इसमें परिजनों ने मेरा साथ दिया.

बता दें, आकांक्षा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के नजदीक कुशीनगर की रहने वाली है और वे दिल्ली से ही कोचिंग कर रही थी. इसके साथ ही उनके पिता राजेंद्र कुमार राव एयरफोर्स में सार्जेंट पद से रिटायर्ड हैं. साथ ही उनकी मां रुचिका सिंह टीचर हैं.

कोटा. नीट (NEET) परीक्षा के परिणाम में इस बार 2 विद्यार्थियों ने 720 अंक लाकर सभी को चौंका दिया है. यह वह रिकॉर्ड है जिसकी बराबरी तो की जा सकती है, लेकिन उसे तोड़ा नहीं जा सकता है. एक छात्र शोयब आफताब कोटा से ही कोचिंग कर रहा था तो वहीं दूसरी छात्रा आकांक्षा सिंह दिल्ली से कोचिंग और पढ़ाई कर रही थी.

'सेकंड आने का मलाल नहीं

बुधवार को आकांक्षा सिंह कोटा आईं और ईटीवी भारत ने उनसे विशेष बातचीत की. आकांक्षा ने बताया कि सफलता पाने के लिए काफी कुछ त्याग करना पड़ा. उन्होंने कहा कि हार्ड वर्क डिटरमिनेशन और स्मार्ट तरीके से काम किया जाए तो निश्चित ही आपको सफलता मिल सकती है. उन्होंने बताया कि रोज 8 से 10 घंटे तक सेल्फ स्टडी करती थी. उन्होंने सोशल मीडिया के कारण फोन भी यूज नहीं किया.

पढ़ें- EXCLUSIVE : उड़ीसा के शोएब का बड़ा कमाल, NEET में 720 में से 720 लाकर रच दिया इतिहास

शोएब आफताब के बराबर अंक लेकिन दूसरी रैंक के सवाल पर आकांक्षा सिंह ने कहा कि उन्हें किसी भी बात का कोई मलाल नहीं है. मैं जितनी मैक्सिमम कोशिश कर सकती थी, वह मैंने की है और जितने नंबर मैक्सिमम थे, वह मैं लेकर आई हूं. जो रैंक हैं वह मेरे लिए केवल एक नंबर है. इससे मुझे कोई फर्क ही नहीं पड़ता है.

लोगों की हेल्प करने के लिए चुना

पहले प्रशासनिक अधिकारी बनकर समाज की सेवा में जुटने का लक्ष्य बनाने वाली आकांक्षा से टर्निंग प्वाइंट के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि मैंने आईएएस अफसर बनने का सोचा था और बाद में मेरा रुख एमबीबीएस की तरफ हो गया. यही मेरे लाइफ का टर्निंग प्वाइंट था, मेडिकल में मेरा इंटरेस्ट हो गया और मुझे लगता है कि डॉक्टर बनकर आप लोगों को सीधा इंटरेक्ट कर सकते हैं. लोगों की जरूरत से ज्यादा हेल्प की जा सकती है.

ग्राउंड टू अर्थ रहकर की तैयारी

आकांक्षा सिंह ने आगामी तैयारी के बारे में बताया कि वह एम्स दिल्ली से एमबीबीएस करना चाहती हैं. इसके बाद न्यूरोलॉजी के फील्ड में वे रिसर्च करना चाहती हैं, जिसमें न्यूरो सर्जरी और न्यूरोलॉजी शामिल है. साथ ही उन्होंने कहा कि स्मार्ट वर्क और डेडीकेशन के साथ पूरा काम किया जाए तो जो भी करना चाह रहे उसमें सफलता जरूर मिलेगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि मेरी सफलता की सबसे बड़ी पूंजी ग्राउंड टू अर्थ रहना ही है. इसमें परिजनों ने मेरा साथ दिया.

बता दें, आकांक्षा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के नजदीक कुशीनगर की रहने वाली है और वे दिल्ली से ही कोचिंग कर रही थी. इसके साथ ही उनके पिता राजेंद्र कुमार राव एयरफोर्स में सार्जेंट पद से रिटायर्ड हैं. साथ ही उनकी मां रुचिका सिंह टीचर हैं.

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