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मुकुंदरा में ईको-सेंसिटिव जोन के बाहर खनन की सभी बाधाएं खत्म...करीब एक लाख लोगों को मिलेगा रोजगार - मुकुंदरा ईको सेंसिटिव जोन दायरा घटा

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के ईको-सेंसिटिव जोन (Mukundara Eco-Sensitive Zone) को 10 से घटाकर 1 किलोमीटर कर दिया गया है. ऐसे में बाहर के एरिया में अब पर्यटन खनन और अन्य उद्योग स्थापित हो सकेंगे. साथ ही ईको-सेंसिटिव जोन में भी प्रदूषण रहित खेती की जाएगी.

मुकुंदरा ईको सेंसीटिव जोन दायरा घटा, Mukundara Eco Sensitive Zone Scope Reduced
मुकुंदरा ईको सेंसीटिव जोन दायरा घटा
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Published : Dec 1, 2020, 9:41 PM IST

कोटा. केंद्रीय वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व नेशनल के ईको-सेंसिटिव जोन की सीमा 10 किमी से घटा एक किमी करने के संबंध में अंतिम गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस एक किमी के ईको-सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) के बाहर अब खनन सहित अन्य वाणिज्यिक गतिविधियों को प्रारंभ करने को लेकर सभी बाधाएं खत्म हो गई हैं. इस कदम से एक लाख लोगों से अधिक को फिर से रोजगार की राह आसान हो गई है.

मुकुंदरा ईको-सेंसिटिव जोन दायरा घटा

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से 27 नवंबर को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार ईको-सेंसिटिव जोन में किसी भी प्रकार के खनन की अनुमति नहीं होगी, लेकिन इस सीमा के बाहर खनन उच्चतम न्यायालय द्वारा टीएन गोडावर्मन थिरूमुलपाइ बनाम भारत गणराज्य और गोवा फाउंडेशन बनाम भारत गणराज्य मामलों में दिए गए निर्णयों के अनुरूप किया जा सकेगा.

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इसके अतिरिक्त ईको सेंसिटिव जोन में प्रदूषण नहीं फैलाने वाले उद्योग लगाने की अनुमति प्रदान की गई है. प्रोटेक्टेड एरिया के एक किमी के दायरे की सीमा तक कोई नया होटल या रिसोर्ट नहीं खोला जा सकेगा. हालांकि इस सीमा के परे सभी प्रकार की नई पर्यटन गतिविधियों और पूर्व में विद्यमान पर्यटन गतिविधियों के विस्तार की अनुमति होगी.

नोटिफिकेशन के अनुसार प्रोटेक्टेड एरिया की सीमा के एक किमी के भीतर या ईको सेंसिटिव जोन में किसी भी प्रकार के वाणिज्यिक निर्माण की अनुमति नहीं होगी, लेकिन इस क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय रहवासियों को उनके दैनिक उपयोग के लिए आवश्यक निर्माण की अनुमति दी जाएगी. इसके अलावा इस क्षेत्र में गैर-प्रदूषणकारी उद्योग के लिए न्यूनतम आवश्यक निर्माण की भी अनुमति दी जाएगी.

ईको सेंसिटिव जोन में गैर प्रदूषणकारी लघु उद्योग, सेवा उद्योग, एग्रो बेस्ट उद्योग, फूलों की खेती-बागवानी आदि की भी अनुमति रहेगी. पर्यटन के दृष्टिकोण से ईको सेंसिटिव जोन के उपर हॉट एयर बैलून, ड्रोन और माइक्रालाइट उड़ाने की भी नियमानुसार अनुमति होगी. नोटिफिकेशन में राज्य सरकार को दो वर्ष में ईको-सेंसिटिव जोन के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

इसमें राज्य सरकार को स्थानीय नागरिकों से चर्चा के साथ-साथ नोटिफिकेशन में दिए गए अन्य निर्देशों की पालना और पर्यावरण, कृषि, पर्यटन, ग्रामीण विकास समेत अन्य विभागों को भी शामिल करने को कहा गया है. मुकुंदरा नेशनल टाइगर रिजर्व क्षेत्र के ईको सेंसिटिव जोन को लेकर लोकसभा स्पीकर और क्षेत्रीय सांसद ओम बिरला भी प्रयासरत थे.

पढे़ंः सीमा की 'रक्षा दीवार' BSF का आज स्थापना दिवस...बीकानेर में जवानों ने निकाली ऊंट परेड

करीब एक लाख लोगों को मिलेगा रोजगार...

नया नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इस क्षेत्र में खनन और पर्यटन उद्योग को दोबारा गति मिलेगी. ईको-सेंसिटिव जोन की सीमा पूर्व में 10 किमी होने के कारण खनन बंद होने से इससे जुड़े सहगामी उद्योग कार्यों और स्पिलिटिंग इकाइयों प्रभावित हुई थी. इस कारण एक लाख से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया था. अब फिर से 3500 से अधिक खदानों में रौनक लौटेगी और एक लाख से अधिक श्रमिकों को भी रोजगार मिल सकेगा.

कोटा. केंद्रीय वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व नेशनल के ईको-सेंसिटिव जोन की सीमा 10 किमी से घटा एक किमी करने के संबंध में अंतिम गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस एक किमी के ईको-सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) के बाहर अब खनन सहित अन्य वाणिज्यिक गतिविधियों को प्रारंभ करने को लेकर सभी बाधाएं खत्म हो गई हैं. इस कदम से एक लाख लोगों से अधिक को फिर से रोजगार की राह आसान हो गई है.

मुकुंदरा ईको-सेंसिटिव जोन दायरा घटा

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से 27 नवंबर को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार ईको-सेंसिटिव जोन में किसी भी प्रकार के खनन की अनुमति नहीं होगी, लेकिन इस सीमा के बाहर खनन उच्चतम न्यायालय द्वारा टीएन गोडावर्मन थिरूमुलपाइ बनाम भारत गणराज्य और गोवा फाउंडेशन बनाम भारत गणराज्य मामलों में दिए गए निर्णयों के अनुरूप किया जा सकेगा.

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इसके अतिरिक्त ईको सेंसिटिव जोन में प्रदूषण नहीं फैलाने वाले उद्योग लगाने की अनुमति प्रदान की गई है. प्रोटेक्टेड एरिया के एक किमी के दायरे की सीमा तक कोई नया होटल या रिसोर्ट नहीं खोला जा सकेगा. हालांकि इस सीमा के परे सभी प्रकार की नई पर्यटन गतिविधियों और पूर्व में विद्यमान पर्यटन गतिविधियों के विस्तार की अनुमति होगी.

नोटिफिकेशन के अनुसार प्रोटेक्टेड एरिया की सीमा के एक किमी के भीतर या ईको सेंसिटिव जोन में किसी भी प्रकार के वाणिज्यिक निर्माण की अनुमति नहीं होगी, लेकिन इस क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय रहवासियों को उनके दैनिक उपयोग के लिए आवश्यक निर्माण की अनुमति दी जाएगी. इसके अलावा इस क्षेत्र में गैर-प्रदूषणकारी उद्योग के लिए न्यूनतम आवश्यक निर्माण की भी अनुमति दी जाएगी.

ईको सेंसिटिव जोन में गैर प्रदूषणकारी लघु उद्योग, सेवा उद्योग, एग्रो बेस्ट उद्योग, फूलों की खेती-बागवानी आदि की भी अनुमति रहेगी. पर्यटन के दृष्टिकोण से ईको सेंसिटिव जोन के उपर हॉट एयर बैलून, ड्रोन और माइक्रालाइट उड़ाने की भी नियमानुसार अनुमति होगी. नोटिफिकेशन में राज्य सरकार को दो वर्ष में ईको-सेंसिटिव जोन के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

इसमें राज्य सरकार को स्थानीय नागरिकों से चर्चा के साथ-साथ नोटिफिकेशन में दिए गए अन्य निर्देशों की पालना और पर्यावरण, कृषि, पर्यटन, ग्रामीण विकास समेत अन्य विभागों को भी शामिल करने को कहा गया है. मुकुंदरा नेशनल टाइगर रिजर्व क्षेत्र के ईको सेंसिटिव जोन को लेकर लोकसभा स्पीकर और क्षेत्रीय सांसद ओम बिरला भी प्रयासरत थे.

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करीब एक लाख लोगों को मिलेगा रोजगार...

नया नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इस क्षेत्र में खनन और पर्यटन उद्योग को दोबारा गति मिलेगी. ईको-सेंसिटिव जोन की सीमा पूर्व में 10 किमी होने के कारण खनन बंद होने से इससे जुड़े सहगामी उद्योग कार्यों और स्पिलिटिंग इकाइयों प्रभावित हुई थी. इस कारण एक लाख से अधिक लोगों का रोजगार छिन गया था. अब फिर से 3500 से अधिक खदानों में रौनक लौटेगी और एक लाख से अधिक श्रमिकों को भी रोजगार मिल सकेगा.

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