कोटा. दशहरा मेले के लिए तैयारियां जोरों पर है. मेला समिति (Kota Rashtriya Dussehra Mela) की कई राउंड बैठक हुई है. वहीं जिला कलेक्टर भी व्यवस्थाओं पर नजर बनाए हुए हैं. दुकानों का आवंटन भी शुरू कर दिया गया है. इस बार कई संस्थाओं से प्रोग्राम करवाने की योजना बनाई गई है. तर्क दिया जा रहा है कि इससे नगर निगम का कुछ बजट बचेगा. कोविड काल में समारोहों पर लगे ब्रेक के 2 साल बाद कोटा में राष्ट्रीय दशहरा मेले का आयोजन किया जा रहा है.
इस बार 129 वां राष्ट्रीय दशहरा मेला आयोजित होगा. कोटा में मेले के आयोजन से जुड़ी तैयारियां 3 से 4 महीने पहले से ही शुरू हो जाती हैं, लेकिन इस बार देरी हुई. वजह कोटा उत्तर और दक्षिण नगर निगम का अलग अलग होना है. मेले के आयोजन के लिए दोनों को मिलाकर ही मेला समिति बनाई गई है. कोटा नगर निगम उत्तर की महापौर और मेले की अध्यक्ष मंजू मेहरा का कहना है कि इस बार मेले के लिए 8 करोड़ का बजट रखा गया है. इस बार स्पॉन्सर्स की भी तादाद अच्छी खासी देखने को मिलेगी. यह लोग स्पॉन्सर करेंगे, ऐसे में नगर निगम का कुछ बजट इसमें बचेगा. बचे हुए बजट को आम जनता के लिए मेले को और अधिक व्यवस्थित और सुंदर बनाने में लगाया जाएगा.
शहरवासियों को एसएमएस से न्यौता: मेला अधिकारी गजेंद्र सिंह का कहना है कि इस बार वे अनूठा प्रयास कर रहे हैं. जिसके तहत मेले में हो रहे कार्यक्रम की जानकारी हर शहरवासी को उसके मोबाइल पर दी जाएगी. इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिया गया है. जिसमें बल्क मैसेजिंग के जरिए हर व्यक्ति को कार्यक्रम की सूचना उपलब्ध कराई जाएगी. कोटा के प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक दिन मैसेज मिलेगा कि आज शाम को कौन सा कार्यक्रम किस स्थान पर आयोजित होगा? जानकारी होगी कि कार्यक्रम कितने बजे और कितनी देर चलेगा. ये व्यक्तिगत आमंत्रण होगा. इसके अलावा हम ये भी प्रयास कर रहे हैं कि सोशल मीडिया के जरिए मेले की अच्छी मार्केटिंग की जाए. कोशिश होगी कि मेले में कोटा शहर और आसपास के पर्यटन स्थलों की छवि Reflect हो. जिससे अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर इसे जगह मिले और डिजिटल स्वरूप को भी लोग अच्छे से देख सकें.
पहले जितना नहीं होगा बड़ा रावण: सालों से दशहरे का आयोजन कोटा में किया जा रहा है. साल 2019 में रावण की ऊंचाई बढ़कर 101 फीट हो गई थी जबकि मेघनाथ और कुंभकरण की ऊंचाई लगभग 55-55 फीट. कोविड-19 के दो साल में रस्म अदायगी के तौर पर ही रावण दहन किया गया. तब 50 फीट के पुतले ही बनाए गए थे, इस बार भी रावण की ऊंचाई ज्यादा नहीं रखी गई है. रावण 75 फीट का बनाया जा रहा है. वहीं कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले 50 - 50 फीट के हैं. इस बार रावण अपनी गर्दन, सिर और हाथ हिलाएगा. उसके हाथ में तलवार होगी, जिसको वो लहराएगा साथ ही पलक झपकाएगा. रावण और अन्य पुतले 28 की आवाजें निकालेंगे इस दौरान वह होठों को भी हिलाएंगे.
1000 बांस व 100 किलो रस्सी का उपयोग: कोटा में रावण बनाने के लिए दिल्ली से कारीगर आए हैं (Ravan in Kota Dusshera Mela 2022), जो बीते कई सालों से यहां पर बनाते रहे हैं. कोरोना के दौरान दूसरे कारीगर यहां आए थे. कारीगर मोहम्मद जमशेद का कहना है कि इस बार रावण की ऊंचाई कम की गई है. रावण 75 फीट का है. उसमें 1000 बांस का उपयोग किया जाएगा. जिसके लिए 15 कारीगर बीते 1 महीने से जद्दोजहद कर रहे हैं. साथ ही इस रावण को पाश के जरिए अलग-अलग जगह बांधा जाता है. जिसमें 100 किलो के आसपास सुतली (जूट की रस्सी) का उपयोग किया जाएगा. करीब 500 किलो अखबार की रद्दी का भी उपयोग किया जाएगा. इसके बाद भारी मात्रा में पटाखे भी रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों में लगाए जाएंगे. रावण निर्माण का काम जोर-शोर से जारी है. मोहम्मद जमशेद ने उम्मीद जताई है कि दशहरे के 5 दिन पहले इसे तैयार कर दिया जाएगा. फिर इसके बाद रावण दहन स्थल पर खड़ा किया जाएगा.
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पार्षद नहीं चढ़ सकेंगे मंच पर, व्यवस्था का दिया हवाला: बीते कई सालों से मेले पर मंच पर चढ़ने के लिए आपाधापी मच जाती है, जैसे ही प्रस्तुति देने के लिए कलाकार आते हैं. उसके पहले पार्षद और नगर निगम के कार्मिकों सहित अन्य लोग उनके साथ सेल्फी लेने के लिए पहुंच जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. मेला समिति ने निर्णय लिया है कि इस बार पार्षद और नगर निगम के कर्मचारी कार्यक्रम के दौरान आने वाले कलाकारों के साथ फोटो खिंचवाने के लिए मंच पर नहीं चढ़ सकेंगे. मंच पर चढ़ने के लिए महज कुछ लोगों को ही पास दिए जाएंगे. उसके अलावा स्पॉन्सर और विशिष्ट अतिथि ही मंच पर चढ़ सकेंगे. पार्षदों के लिए एक ब्लॉक अलग बना दिया गया है, जहां पर वो अपने परिवार या जानकारों के साथ बैठ सकेंगे. इस फैसले का दबी जुबान में विरोध भी किया जा रहा है लेकिन बड़े अधिकारी और महापौर, उपमहापौर, मेला समिति के सहमत होने के चलते कोई ज्यादा विरोध भी नहीं कर पा रहा है.
500 दुकान और 80 झूले से रंगारंग होगा दशहरा: 2 साल बाद दशहरे मेले की रौनक देखने लायक होगी. इस बार करीब 500 स्थाई और अस्थाई दुकानें मेले में पहुंचेंगी. जिनमें 200 अस्थाई और करीब 325 स्थाई दुकाने हैं. करीब 70 से 80 छोटे बड़े झूले भी पहुंचेंगे. इसके अलावा सर्कस और मौत का कुआं सहित अन्य कई रोमांचक शो होंगे। एक बड़ा फूड मार्केट भी इस मेले में लगता है. जिसमें करीब 150 से ज्यादा दुकानें होती है. वहीं मनिहारी, हैंडलूम, चूड़ी, क्रॉकरी, चप्पल, लोहा और जानवरों की साज-सज्जा से जुड़ी दुकानें भी सजेंगी. इनके लिए नगर निगम की टीम आवंटन कर रही है.
महाष्टमी को उद्घाटन: कोटा में दशहरे मेले का उद्घाटन महाष्टमी के दिन आशा पाला मंदिर पर पूजा के साथ होता है. जिसके बाद मेले का ध्वजारोहण किया जाता है. 3 अक्टूबर को महा अष्टमी के दिन यह आयोजन किया जाएगा. जिसके बाद दशहरे पर रावण दहन होगा. जिसमें राम बारात और भगवान लक्ष्मी नारायण की झांकी गढ़ पैलेस से पहुंचेगी. इसके बाद मेला धनतेरस के 1 दिन पहले यानी कि 21 अक्टूबर तक चलेगा. जिसमें रोज अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. इनमें कई तरह की प्रतियोगिताएं रोज आयोजित की जाती हैं. साथ ही पंजाबी, भोजपुरी और दिनेश संध्या जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जिन को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं.