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SPECIAL : हाड़ौती में फसल पर मौसम की मार...पहले मानसून आने में हुई देरी, अब अतिवृष्टि ने तोड़ी किसानों की कमर - कोटा खबर

हाड़ौती के किसानों के साथ इस मानसून (monsoon) में धोखा हुआ है. प्रकृति के प्रकोप ने इस बार किसानों को चौपट करने के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है. बारिश (Rain) ने भी उन पर अत्याचार कर दिया है. हाड़ौती में इस बार कृषि भूमि के 41 फीसदी भाग पर इस बार खेती नहीं होगी.

हाड़ौती संभाग में फसल खराबा
हाड़ौती संभाग में फसल खराबा
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Published : Aug 7, 2021, 5:19 PM IST

Updated : Aug 7, 2021, 6:56 PM IST

कोटा. मानसून की देरी के चलते किसान अपनी 9 लाख 33 बीघा जमीन पर फसल की बुवाई नहीं कर पाए. ऐसे में इस बार यहां से खरीफ की फसल नहीं होगी. जबकि करीब 11 लाख बीघा जमीन पर अतिवृष्टि (excess rain) के चलते खराबा भी हो गया है. कुल मिलाकर हाड़ौती की 49 लाख बीघा कृषि भूमि (agricultural land ) पर से 20 लाख से ज्यादा कृषि भूमि पर उत्पादन नहीं होगा. यह कुल कृषि भूमि का 41 फीसदी है.

किसानों की फसल का उत्पादन बारिश पर निर्भर करता है. बारिश भी समय से हो तो किसानों को फायदा होता है. बारिश की देरी और मात्रा पर भी फसल उत्पादन निर्भर करता है. मानसून की देरी के चलते किसान अपनी 9 लाख 33 बीघा जमीन पर फसल की बुवाई (sowing the crop) नहीं कर पाए. ऐसे में यहां से खरीफ की फसल नहीं होगी. जबकि ज्यादा बारिश से इस बार करीब 11 लाख बीघा जमीन पर फसल खराब भी हो गई है. कुल मिलाकर हाड़ौती की 49 लाख बीघा कृषि भूमि पर से 20 लाख से ज्यादा कृषि भूमि पर उत्पादन नहीं होगा. यह कुल कृषि भूमि की 41 फीसदी है.

मौसम की बेरुखी, किसानों पर मार

पानी के साथ बह गया करोड़ों रुपए का बीज

हाड़ौती संभाग में सर्वाधिक नुकसान किसानों को सोयाबीन और उड़द की फसल में हुआ है. जिसके लिए करोड़ों रुपए का बीज खेतों में डाला गया था. एक अनुमान के मुताबिक करीब 500 करोड़ रुपए का सोयाबीन का बीज किसानों ने खरीदा था. इसी तरह से उड़द के लिए भी 150 करोड़ का बीज किसानों ने खरीदा था. सभी फसलों की बात की जाए तो करीब 1000 करोड़ का बीज किसानों ने बोया है. जिनमें 41 फ़ीसदी से ज्यादा नुकसान है.

हाड़ौती संभाग में फसल खराबा
हाड़ौती की 20 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर नहीं होगा उत्पादन

महंगे बीज के कारण दोबारा नहीं होगी फसल

किसान दीनदयाल नागर का कहना है कि उन्होंने खेत की उराई कर बीज डाला था. बारिश के चलते वह खेतों सड़ गया. बचा हुआ बीज बारिश के पानी में बह गया. जो कुछ खेतों में फसल उगी थी, वह भी खेतों में पानी भर जाने के चलते खराब हो गई. सोयाबीन का 9500 रुपए क्विंटल का महंगा बीज खरीदा गया था. इस स्थिति में वह दोबारा फसल भी नहीं कर सकते. फसल में देरी भी हो गई है. बारिश का भी कोई पता नहीं है क्योंकि लगातार बारिश की चेतावनी दी गई है. इसके चलते खेत नहीं सूखेगा, तो दोबारा बुवाई भी नहीं हो सकती.

हाड़ौती संभाग में फसल खराबा
पहले मानसून देर से आया, अब अतिवृष्टि ने मारा

कोटा पर दोहरी मार, बुवाई में पिछड़ा, खराबे में आगे

हाड़ौती संभाग में पहले ही 81 फ़ीसदी कम बुवाई हुई थी. जिसमें कोटा जिले में सबसे कम 68 फ़ीसदी बुवाई हुई थी. उसके बाद बूंदी जिले में 75, बारां में 88 और झालावाड़ में 89 फीसदी कृषि भूमि पर ही किसान अपनी फसल की बुवाई कर पाए थे. जबकि खराबे में सबसे अव्वल कोटा जिला रहा है, जहां पर 55 फ़ीसदी फसल खराब हुई. इसके बाद बूंदी जिले में 48 और बारां में 25 फ़ीसदी किसानों की बोई गई फसल अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई. जबकि झालावाड़ में 1 फ़ीसदी से भी कम खराबा सामने आया है.

हाड़ौती संभाग में फसल खराबा
हाड़ौती के किसान मायूस

अनपढ़ किसान कैसे देगा ऑनलाइन या टोल फ्री पर जानकारी

भारतीय किसान संघ के प्रचार मंत्री रूप नारायण यादव का कहना है कि किसान ने खेतों की तैयारी करने के बाद में बरसात के हिसाब से सोच रहे थे, वही करेंगे. लेकिन जिस तरह से बरसात आई है, पिछले 10 दिन से खेतों में पानी नहीं रुका और खेत ऊपर से भर और गए हैं. किसानों का कहना है कि सरकार अतिवृष्टि रिपोर्ट के लिए ऑनलाइन या टोल फ्री नंबर पर संपर्क करने की सलाह दे रही है. लेकिन अधिकांश किसान पढ़े-लिखे नहीं हैं. ऐसे में वो अतिवृष्टि की जानकारी ऑनलाइन या टोल फ्री नंबर से 72 घंटे में कैसे दे पाएंगे. इसी के चलते किसानों को मुआवजा (crop failure compensation) नहीं मिल पाता है.

खेत में सूखी फसल

किसान देवकिशन गुर्जर का कहना है कि बरसात समय के अनुसार नहीं आई. इसके चलते जमीन परती ही रह गई है. ऐसे सैकड़ों की संख्या में किसान हैं जो अपने खेतों में बुवाई नहीं कर पाए थे. जिन किसानों ने जून महीने में ही पानी को देखते हुए बुवाई कर दी थी उनकी फसल खेतों में ही सूख गई. बाकी बची हुई फसल बारिश के चलते खराब हो गई. सर्वाधिक खराबा सोयाबीन, उड़द, मक्का और तिल्ली में हुआ है. हाड़ौती में बोई गई 26 फीसदी सोयाबीन और 48 फ़ीसदी उड़द में खराबा हुआ है. यह खराबा 90 प्रतिशत तक है.

जिलेवार फसल खराबा की स्थिति (आंकड़े बीघा में)

जिला

लक्ष्य

(बीघा)

बुवाई

(बीघा)

पड़त भूमि

(बीघा)

खराबा

(बीघा)

कोटा1082300734186 348114407865
बूंदी1082300814549267751 391153
बारां13864501222877 163573301000
झालावाड़134695011951671517831572


फसलवार बुवाई और नुकसान (आंकड़े बीघा में)

फसल

लक्ष्य

(बीघा)

बुवाई

(बीघा)

पड़त भूमि

(बीघा)

नुकसान

(बीघा)

सोयाबीन28361002455134380966626260
उड़द1070450663455406965314459
मक्का355500354749750 71886
चावल4542503286281256220

कोटा. मानसून की देरी के चलते किसान अपनी 9 लाख 33 बीघा जमीन पर फसल की बुवाई नहीं कर पाए. ऐसे में इस बार यहां से खरीफ की फसल नहीं होगी. जबकि करीब 11 लाख बीघा जमीन पर अतिवृष्टि (excess rain) के चलते खराबा भी हो गया है. कुल मिलाकर हाड़ौती की 49 लाख बीघा कृषि भूमि (agricultural land ) पर से 20 लाख से ज्यादा कृषि भूमि पर उत्पादन नहीं होगा. यह कुल कृषि भूमि का 41 फीसदी है.

किसानों की फसल का उत्पादन बारिश पर निर्भर करता है. बारिश भी समय से हो तो किसानों को फायदा होता है. बारिश की देरी और मात्रा पर भी फसल उत्पादन निर्भर करता है. मानसून की देरी के चलते किसान अपनी 9 लाख 33 बीघा जमीन पर फसल की बुवाई (sowing the crop) नहीं कर पाए. ऐसे में यहां से खरीफ की फसल नहीं होगी. जबकि ज्यादा बारिश से इस बार करीब 11 लाख बीघा जमीन पर फसल खराब भी हो गई है. कुल मिलाकर हाड़ौती की 49 लाख बीघा कृषि भूमि पर से 20 लाख से ज्यादा कृषि भूमि पर उत्पादन नहीं होगा. यह कुल कृषि भूमि की 41 फीसदी है.

मौसम की बेरुखी, किसानों पर मार

पानी के साथ बह गया करोड़ों रुपए का बीज

हाड़ौती संभाग में सर्वाधिक नुकसान किसानों को सोयाबीन और उड़द की फसल में हुआ है. जिसके लिए करोड़ों रुपए का बीज खेतों में डाला गया था. एक अनुमान के मुताबिक करीब 500 करोड़ रुपए का सोयाबीन का बीज किसानों ने खरीदा था. इसी तरह से उड़द के लिए भी 150 करोड़ का बीज किसानों ने खरीदा था. सभी फसलों की बात की जाए तो करीब 1000 करोड़ का बीज किसानों ने बोया है. जिनमें 41 फ़ीसदी से ज्यादा नुकसान है.

हाड़ौती संभाग में फसल खराबा
हाड़ौती की 20 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर नहीं होगा उत्पादन

महंगे बीज के कारण दोबारा नहीं होगी फसल

किसान दीनदयाल नागर का कहना है कि उन्होंने खेत की उराई कर बीज डाला था. बारिश के चलते वह खेतों सड़ गया. बचा हुआ बीज बारिश के पानी में बह गया. जो कुछ खेतों में फसल उगी थी, वह भी खेतों में पानी भर जाने के चलते खराब हो गई. सोयाबीन का 9500 रुपए क्विंटल का महंगा बीज खरीदा गया था. इस स्थिति में वह दोबारा फसल भी नहीं कर सकते. फसल में देरी भी हो गई है. बारिश का भी कोई पता नहीं है क्योंकि लगातार बारिश की चेतावनी दी गई है. इसके चलते खेत नहीं सूखेगा, तो दोबारा बुवाई भी नहीं हो सकती.

हाड़ौती संभाग में फसल खराबा
पहले मानसून देर से आया, अब अतिवृष्टि ने मारा

कोटा पर दोहरी मार, बुवाई में पिछड़ा, खराबे में आगे

हाड़ौती संभाग में पहले ही 81 फ़ीसदी कम बुवाई हुई थी. जिसमें कोटा जिले में सबसे कम 68 फ़ीसदी बुवाई हुई थी. उसके बाद बूंदी जिले में 75, बारां में 88 और झालावाड़ में 89 फीसदी कृषि भूमि पर ही किसान अपनी फसल की बुवाई कर पाए थे. जबकि खराबे में सबसे अव्वल कोटा जिला रहा है, जहां पर 55 फ़ीसदी फसल खराब हुई. इसके बाद बूंदी जिले में 48 और बारां में 25 फ़ीसदी किसानों की बोई गई फसल अतिवृष्टि की भेंट चढ़ गई. जबकि झालावाड़ में 1 फ़ीसदी से भी कम खराबा सामने आया है.

हाड़ौती संभाग में फसल खराबा
हाड़ौती के किसान मायूस

अनपढ़ किसान कैसे देगा ऑनलाइन या टोल फ्री पर जानकारी

भारतीय किसान संघ के प्रचार मंत्री रूप नारायण यादव का कहना है कि किसान ने खेतों की तैयारी करने के बाद में बरसात के हिसाब से सोच रहे थे, वही करेंगे. लेकिन जिस तरह से बरसात आई है, पिछले 10 दिन से खेतों में पानी नहीं रुका और खेत ऊपर से भर और गए हैं. किसानों का कहना है कि सरकार अतिवृष्टि रिपोर्ट के लिए ऑनलाइन या टोल फ्री नंबर पर संपर्क करने की सलाह दे रही है. लेकिन अधिकांश किसान पढ़े-लिखे नहीं हैं. ऐसे में वो अतिवृष्टि की जानकारी ऑनलाइन या टोल फ्री नंबर से 72 घंटे में कैसे दे पाएंगे. इसी के चलते किसानों को मुआवजा (crop failure compensation) नहीं मिल पाता है.

खेत में सूखी फसल

किसान देवकिशन गुर्जर का कहना है कि बरसात समय के अनुसार नहीं आई. इसके चलते जमीन परती ही रह गई है. ऐसे सैकड़ों की संख्या में किसान हैं जो अपने खेतों में बुवाई नहीं कर पाए थे. जिन किसानों ने जून महीने में ही पानी को देखते हुए बुवाई कर दी थी उनकी फसल खेतों में ही सूख गई. बाकी बची हुई फसल बारिश के चलते खराब हो गई. सर्वाधिक खराबा सोयाबीन, उड़द, मक्का और तिल्ली में हुआ है. हाड़ौती में बोई गई 26 फीसदी सोयाबीन और 48 फ़ीसदी उड़द में खराबा हुआ है. यह खराबा 90 प्रतिशत तक है.

जिलेवार फसल खराबा की स्थिति (आंकड़े बीघा में)

जिला

लक्ष्य

(बीघा)

बुवाई

(बीघा)

पड़त भूमि

(बीघा)

खराबा

(बीघा)

कोटा1082300734186 348114407865
बूंदी1082300814549267751 391153
बारां13864501222877 163573301000
झालावाड़134695011951671517831572


फसलवार बुवाई और नुकसान (आंकड़े बीघा में)

फसल

लक्ष्य

(बीघा)

बुवाई

(बीघा)

पड़त भूमि

(बीघा)

नुकसान

(बीघा)

सोयाबीन28361002455134380966626260
उड़द1070450663455406965314459
मक्का355500354749750 71886
चावल4542503286281256220
Last Updated : Aug 7, 2021, 6:56 PM IST
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