कोटा. शहर के आस-पास के इलाकों में मगरमच्छों का आना जाना आम बात है. हालांकि सर्दी के मौसम में मगरमच्छ धूप सेकने के लिए नदी नालों से बाहर निकलते हैं. ऐसे में बुधवार को भी राज भवन के पीछे चंबल नदी के बीचों-बीच बने टापू पर कई मगरमच्छ एक साथ बैठे हुए धूप सेकते हुए नजर आए. मगरमच्छों को देखने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते रहे हैं. लोग किनारे से ही मगरमच्छ देखते हैं.
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नेचर प्रमोटर और फोटोग्राफर एएच जैदी का कहना है कि मगरमच्छ की बॉडी का तापमान सर्दी में कम हो जाता है. नदी, तालाबों के बीच बने टापू के दोनों किनारे पर यह धूप सेकने के लिए आ जाते हैं और मुंह खोलकर पूरे दिन किनारों पर रहते हैं. हालांकि अन्य इलाकों के नदी नालों के नजदीक सघन बस्तियां हो गई हैं. ऐसे में वहां पर इस तरह से मगरमच्छ के आ जाने से लोग दहशत में भी आ जाते हैं. दूसरी तरफ बच्चों और और जो प्रकृति प्रेमी हैं, उनको यहां पर आने से अलग ही आनंद आता है.
हजारों की तादाद में है मगरमच्छ
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के साथ-साथ कोटा बैराज के पहले का हिस्सा और कोटा शहर के बाद चंबल नदी को घड़ियाल सेंचुरी बनाया हुआ है. इसके चलते कोटा शहर की आसपास के बड़े नालों और सहायक नदियों में भी बड़ी मात्रा में मगरमच्छ हैं. यहां तक की चंबल की दाई मुख्य नहर में भी कई जगह पर मगरमच्छों ने अपना निवास बनाया हुआ है. यह मगरमच्छ बारिश के सीजन में पानी बढ़ने पर आसपास की कॉलोनियों में प्रवेश कर जाते हैं. इनकी तादाद कोटा शहर के आसपास हजारों की संख्या में है.