रामगंजमंडी (कोटा). कस्बे में लाइमस्टोन की कुल 56 खदानें हैं. जिनमें से चेचट की करीब 6 से अधिक खदानें पर्यावरण स्वीकृति के अभाव में पहले से ही बंद की जा चुकी है. वहीं पिपाखेड़ी में भी 3 खदानें पहले से ही बंद पड़ी है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल बेंच के आदेश की पालना में खनिज विभाग ने क्षेत्र की एक बड़ी खदान एसोसिएट स्टोन इंडस्ट्रीज को गुरुवार को खनिज उत्पादन कार्य को बंद करवा दिया है. इसके साथ ही तोल कांटे पर निकलने वाले रवन्ना भी बंद कर दिया है.
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आपको बता दें की एएसआई इंडस्ट्रीज की खदान 10 हजार फीट एरिए में संचालित है. प्रतिदिन करीब 6 सौ ट्रकों से खदानों से पत्थर का परिवहन होता है. रफ पत्थरों को प्रोसेसिंग के लिए पॉलिश फैक्ट्रियों में भेज जाता है. वहीं कुदायला अमरपुरा एरिए में लगी कोटा स्टोन फैक्ट्रियां इस इंडस्ट्रीज की खदान से आने वाले रफ पत्थर पर आश्रित है. वहीं क्षेत्र में रफ पत्थर की प्रोसेसिंग करने वाली लगभग 1700 यूनिट लगी हुई है. जिनमें काम करने वाले 50 हजार मजदूरों पर बेरोजगारी का संकट अभी से मंडराने लगा है.
पहले तो खदानें बंद होने से मजदूरी करने वाले 35 हजार मजदूर बेरोजगार हो गए. अब कोटा स्टोन की रफ पत्थर प्रोसैसिंग यूनिट के मजदूरों पर भी संकट मंडराने लगा है.इन प्रोसेसिंग यूनिटों के व्यापारी भी सोच विचार में उलझ गए है कि अब रफ कोटा स्टोन इकाइयों में कहां से लाया जाएगा. पहले ही कोटा स्टोन मार्केट में चल रही टाइल्स के कारण मंदी के दौर से गुजर रहा है. वही अब प्रोसेसिंग यूनिट मालिकों को अपना क्षेत्र छोड़कर दूसरे क्षेत्र से रफ कोटा स्टोन लाना पड़ेगा, जो कहीं न कहीं इनके लिए नुकसान का सौदा साबित होगा.
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कोटा स्टोन फैक्ट्री संचालक ओम मीणा का कहना है कि जैसे ही पता चला कि रामगंजमंडी की कोटा स्टोन माइल्स बंद हुई, तो हमको बड़ा झटका लगा कि वहां के सभी मजदूर बेरोजगार हो गए. उसके बाद हमारे स्टॉक में कोटा स्टोन का रफ माल एक-दो दिन का ही रह गया. अब हमें भी बड़ी समस्या आने वाली है. हमने यह यूनिट किराए पर ली है. हमने लाखों रुपए की लेन-देन कर रखी है, उसका क्या होगा.? संचालक का कहना है कि हमारी फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर, जिनका घर इसी से चलता है. वे सभी बेरोजगार हो जाएंगे. इससे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हजारों परिवार जुड़े हैं.
इस बात को लेकर फैक्ट्री मालिक फराज खान का कहना है कि अब हालात क्षेत्र के बहुत बुरे होने वाले है. क्षेत्र में खदानें चलती थी, उससे ही फैक्ट्री का सारा कारोबार चलता था. व्यापार पूरा ठप होने वाला है. लाखों मजदूर व व्यापारी बेरोजगार हो जाएंगे. क्षेत्र में महामारी फेल जाएगी. उपखण्ड में पर्यावरण बोर्ड की स्वीकृति नहीं मिलने पर कई खदानें बंद हो गई. कई परिवार बेरोजगार हो गए. अब यह संकट कोटा स्टोन के रफ पत्थर की प्रोसेसिंग यूनिट इकाइयों व उनमे काम करने वाले मजदूरों पर भी मंडरायेगा.