कोटा. मंत्री शांति धारीवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में विधायकों की बैठक (Congress Controversy in Rajasthan) आयोजित करने, स्पीकर को इस्तीफा सौंपने व पीसीसी राजस्थान के इंचार्ज अजय माकन पर गहलोत के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा दिया. अब वे सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बने हुए हैं. उनका एक सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे आलाकमान को भी आंख दिखाते हुए चुनौती देने जैसी बातें कह रहे हैं.
दरअसल, प्रदेश के संसदीय कार्य, विधि एवं न्याय और स्वास्थ्य शासन एवं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में विधायक उनके बंगले पर ही एकत्रित हुए थे, जिनकी अगुवाई भी की थी. जिसके बाद ही कांग्रेस विधायक दल की बैठक को धता बताते हुए दिल्ली से पहुंचे पर्यवेक्षकों को इंतजार करने दिया. दूसरी तरफ बैठक का बहिष्कार करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के बंगले पर जाकर विधायकों के इस्तीफे के पत्र सौंप दिए थे. यहां तक कि उन्होंने सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुए राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन पर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगा दिया.
धारीवाल सीएम गहलोत के करीबी हैं. इसी के चलते महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा उठाते हैं. सत्ता पक्ष की तरफ से विधानसभा में भी वे जवाब देते हैं. यहां तक कि मुख्यमंत्री गहलोत राज्य के बाहर होने पर उनके मंत्रालय का कार्यभार देखते हैं. जीएसटी की मीटिंग में भी बतौर वित्तमंत्री वे शामिल होते रहे हैं, लेकिन उनकी हाड़ौती और प्रदेश के कांग्रेस के दूसरे नेताओं से भी (Controversy Over Minister Shanti Dhariwal) कम ही बनती है. उनकी अदावत कई नेताओं से लगातार होती रही है. कई नेता, मंत्री व विधायक उनके खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे हैं.
भरत सिंह ने सड़कों पर लिखवाया था, यह पीडब्ल्यूडी का नहीं है मार्ग : अशोक गहलोत के पिछले शासन के दौरान यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और पीडब्ल्यूडी मंत्री भरत सिंह के बीच बिल्कुल नहीं बनती थी. इस शासन में दोनों के बीच अंतर्कलह जगजाहिर था. दोनों कोटा से ही विधायक थे. ऐसे में कई मुद्दों को लेकर टकराव होता था. सड़कों के खराब होने के मामले में भरत सिंह काफी मुखर हो गए थे. कोटा शहर के बारां रोड के लंबे खस्ताहाल होने के मामले में भरत सिंह ने अपने विभाग पीडब्ल्यूडी के जरिए सड़कों पर लिखवा दिया था कि यह सड़क पीडब्ल्यूडी की नहीं है. इसी तरह से विधायक पीपल्दा रामनारायण मीणा ने भी इस शासन में मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ मुखर हो गए थे. उन्होंने कहा था कि धारीवाल 4 बार जीते हैं, लेकिन तीन बार मंत्री रहे. जबकि मैं पांच बार विधायक बना, लेकिन एक बार भी मंत्री नहीं बनाया.
जयपुर के विधायक एकजुट हो गए थे धारीवाल के खिलाफ : मंत्रिमंडल फेरबदल के पहले भी सभी विधायकों से रायशुमारी हुई थी, जिनमें यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की भी शिकायत के विधायकों ने की थी. जयपुर के प्रभारी मंत्री धारीवाल की शिकायत भी वहां के विधायकों ने की थी. साथ ही कहा था कि बीते ढाई साल में उन्होंने प्रभारी मंत्री के नाते एक भी बैठक नहीं ली है. इसी तरह से जुलाई 2022 में भी पीसीसी में जनसुनवाई कर रहे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ भीलवाड़ा से आए कांग्रेस पार्षदों ने ही नाराजगी जताते हुए नारेबाजी कर दी थी और आरोप लगाया था कि धारीवाल उनकी बात नहीं सुन रहे हैं. उनके मामले को 1 साल से भी ज्यादा लंबित किया हुआ है.
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एकल पट्टा प्रकरण में भी धारीवाल एसीबी के सामने हुए थे पेश : भाजपा के शासन में सामने आए बहुचर्चित एकल पट्टा प्रकरण में शांति धारीवाल का नाम सामने आया था. इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भी जांच शुरू कर दी थी. इसमें कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया गया था. यहां तक कि धारीवाल भी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की टीम के सामने पेश हुए थे. यह जयपुर के जगतपुरा क्षेत्र में आवासीय कॉम्प्लेक्स व कॉलोनी की करीब दस बीघा आवासीय भूमि का एकल पट्टा जारी करने का मामला था, जिसमें एक फर्म पर जेडीए और यूडीएच अधिकारियों से मिलीभगत कर मामूली रकम पर करोड़ों की जमीन का पट्टा अपने नाम कराने का आरोप लगा था.
मंत्री गुढ़ा ने कहा था- बुजुर्ग, आज बताया भ्रष्टाचारी : सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा इस पूरे मामले को लेकर यूडीएच मंत्री धारीवाल पर हमलावर हो रहे हैं. उन्होंने 26 सितंबर को भी बयान जारी करते हुए उन्हें बुजुर्ग कह दिया था. साथ ही कहा कि बुढ़ापे में गलती धारीवाल ने की है. इसके बाद 27 सितंबर को भ्रष्टाचार के आरोप यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पर लगा दिए हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णन ने भी राजस्थान के मंत्रियों का नाम लिए बिना भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. साथ ही कहा कि हजारों करोड़ रुपए राजस्थान के मंत्रियों ने इस फैशन में कमा लिए हैं. इसके अलावा विधायक दिव्या मदेरणा भी इस पूरे प्रकरण के लिए शांति धारीवाल के साथ जलदाय मंत्री महेश जोशी को भी जिम्मेदार बता रही हैं.
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विधानसभा में दिए वक्त हुए पर हुआ हंगामा : संसदीय कार्य मंत्री धारीवाल ने मार्च माह में प्रदेश के दुष्कर्म के आंकड़ों के मामले में विधानसभा में दिए एक वक्तव्य को लेकर विवाद हो गया था. जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ था. हालांकि, इस मामले में धारीवाल ने (Dhariwal Conflict with Other Leaders) माफी मांगी और कहा कि उनकी जुबान फिसल गई थी. साथ ही कहा था कि पुलिस अनुदान की मांगों को लेकर मेरे से गलत शब्द निकल गया था. मैंने इस शब्द को विधानसभा की कार्यवाही से हटाने का आग्रह भी किया था. हालांकि, इसके बाद भी लगातार सड़क से लेकर विधानसभा तक में हंगामा जारी रहा था.